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Updated: 24 मई, 2019 07:06 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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जीत गए तो जश्न मनाएंगे, लेकिन हारने का ठीकरा तो ईवीएम के सिर पर ही फूटेगा. पिछले कई सालों से विपक्ष यही करता आ रहा है. इस लोकसभा चुनाव में ईवीएम का जिन्न बोतल से बाहर आया. विपक्ष की 21 पार्टियां तो ईवीएम का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक ले गईं. कभी राजनीतिक गलियारे में तो कभी कोर्ट में, ईवीएम पर हर जगह विपक्ष की ओर से गंभीर आरोप लगे. खैर, 2019 के लोकसभा चुनावों में ईवीएम और वीवीपैट के मिलान से जो आंकड़े मिले हैं, उन्होंने आखिरकार ईवीएम को बेकसूर साबित कर दिया है.

पिछली बार जब 21 विपक्षी पार्टियां सुप्रीम कोर्ट गई थीं, तो उनकी मांग थी कि कम से कम 50 फीसदी वीवीपैट का ईवीएम से मिलान होना चाहिए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था. विपक्ष ने तो मतगणना से पहले ये तक कह दिया कि 100 फीसदी वीवीपैट की पर्चियों की गितनी होनी चाहिए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को बकवास बताते हुए खारिज कर दिया है. वैसे भी, अगर सारी पर्चियां ही मिलानी पड़ेंगी, तो फिर ईवीएम से चुनाव कराने का क्या फायदा. इससे तो अच्छा है कि बैलेट पेपर से ही चुनाव करवा लो और बैठकर पर्चियां गिनते रहो.

ईवीएम, वीवीपैट, लोकसभा चुनाव रिजल्ट 2019ईवीएम और वीवीपैट के मिलान से जो आंकड़े मिले हैं, उन्होंने आखिरकार ईवीएम को बेकसूर साबित कर दिया है.

EVM-VVPAT का मिलान लगभग 100% सही

इस बार के लोकसभा चुनाव में जितनी ईवीएम और वीवीपैट का मिलना किया गया है, उसमें से अगर इक्का-दुक्का छोड़ दें, तो सभी सही निकले हैं. चुनाव आयोग के अनुसार गुरुवार रात 10.30 बजे तक जितनी ईवीएम का वीवीपैट से मिलान किया गया, उसमें से सिर्फ एक में गड़बड़ निकली है वो भी मानवीय भूल है. सूत्रों के अनुसार ईवीएम और वीवपैट के मिलान में गड़बड़ी की एक बड़ी वजह ये होती है कि कई बार मॉक टेस्ट के बाद मशीन को बिना फॉर्मेट किया ही पोलिंग अधिकारी चुनाव के लिए लगा देता है. हालांकि, चुनाव आयोग ये पता करेगा कि ये गलती कैसे हुए.

कितनी वीवीपैट का ईवीएम से हुआ मिलान?

विपक्ष कभी कहता है कि 50 फीसदी मशीनों का मिलान होना चाहिए, कभी कहता है कि सारी मशीनों का मिलान होना चाहिए. ऐसा में एक सवाल ये भी उठता है कि आखिर कितनी मशीनों का मिलना अभी होता है. आपको बता दें कि 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में चुनाव आयोग को निर्देश दिए थे कि हर लोकसभा सीट के कम से कम 5 पोलिंग बूथ पर ईवीएम और वीवीपैट का मिलान किया जाना जरूरी है. यानी इस बार 542 लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव में कुल 2710 पोलिंग बूथों पर ईवीएम और वीवीपैट का मिला किया गया है.

इस बार चुनाव आयोग ने कुल 22.3 लाख बैलेट यूनिट, 16.3 लाख कंट्रोल यूनिट और 17.3 लाख वीवीपैट इस्तेमाल की थीं. पिछली बार 4125 वीवीपैट का ईवीएम से मिलान किया गया था. इस बार कुल 20,625 वीवीपैट का ईवीएम से मिलान किया जाएगा.  पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. एस वाय कुरैशी के अनुसार एक गलती आंध्र प्रदेश में पाई गई, उसकी वजह मशीन का खराब हो जाना और फिर उसे बदलना है. चुनाव आयोग इस परेशानी को दूर करने का प्रयास कर रहा है. यानी ये कहना गलत नहीं होगा की 100 फीसदी वोटिंग बिल्कुल सही रही है.

आईपीएस रूपा ने कही ये बात

जानी पहचानी आईपीएस अफसर डी रूपा ने भी ट्विटर पर साफ किया है कि ईवीएम की हैकिंग नामुमकिन है. उन्होंने लिखा है- 'सभी आईएएस अफसर और राज्य प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारी यह बात जानते हैं, क्योंकि चुनाव के दौरान वो ही रिटर्निंग अफसर आदि का काम करते हैं. उन्होंने आगे सवाल किया कि क्या सभी अफसर अपनी नौकरी को दाव पर लगाकर हैकिंग होने देंगे?'

ईवीएम, वीवीपैट, लोकसभा चुनाव रिजल्ट 2019आईपीएस अफसर डी रूपा ने भी ट्विटर पर साफ किया है कि ईवीएम की हैकिंग नामुमकिन है.

विपक्ष का आरोप रहता है कि ईवीएम के साथ गड़बड़ की गई है. कभी हैकिंग की बात होती है तो कभी टेंपरिंग की. हालांकि, अभी तक एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है, जिसमें विपक्ष के ये दावे सच्चे साबित हो सकें. इतना ही नहीं, ईवीएम और वीवीपैट के मिलान में आज तक कोई भी ऐसा मामला नहीं पाया गया है, जिसमें वोट किसी दूसरी पार्टी को जा रहे हों. हां, ऐसी शिकायतें खूब आती हैं कि वोट किसी को भी देते हैं, जाता है भाजपा को. खैर, ईवीएम और वीवीपैट के मिलान के बाद ईवीएम बेगुनाह साबित हो गई है. वैसे भी, विपक्ष का मांग सिर्फ अपनी हार छुपाने का बहाना है, क्योंकि अगर हर मशीन चेक होगी, तो मशीन का क्या फायदा. ऐसे तो काम दोगुना हो जाएगा.

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