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Updated: 23 अगस्त, 2016 02:38 PM
कुमार कुणाल
कुमार कुणाल
 
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एक तो ओलंपिक, दूसरा मैराथन. इससे बड़ा स्टेज दुनिया में कोई भी नहीं. फेयसा लिलेएस को ये बात बखूबी मालूम थी. पूर्वी अफ्रीकी देश, इथियोपिया के लिलेएस ने न सिर्फ मैराथन रेस में हिस्सा लिया बल्कि सिल्वर मेडल भी जीता. लेकिन जीत की ख़ुशी में जश्न नहीं मनाया बल्कि विरोध दर्ज किया.

जी हां, लिलेएस ने दूसरे नंबर पर दौड़ ख़त्म करते ही अपने दोनों हाथों को क्रॉस कर हथकड़ी बना ली. वही चिन्ह जो उनके देश में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी बनाते हैं. लिलेएस इथियोपिया में ओरोमियो प्रान्त से आते हैं और वहां के ओरोम जनजाति का हिस्सा हैं. वही जनजाति जो अपने प्रजातान्त्रिक मांगों को लेकर पिछले साल नवंबर से लड़ाई लड़ रही है. इस लड़ाई में सैंकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, और उनसे कई गुना ज्यादा जेल की सलाखों के पीछे हैं.

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 लोकतंत्र के लिए रेस जीतते ही किया अनूठा विरोध

पिछले दिनों जब इथियोपिया में सरकार की नीतियों के खिलाफ देशव्यापी विरोध शुरू हुआ तो प्रदर्शनकारियों ने अपने दोनों हाथों से क्रॉस बनाकर विरोध का नया जरिया चुना. ये प्रदर्शन शांतिपूर्वक पूरे देश में अब भी चल रहे हैं.

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ये कोई पहली बार नहीं है कि इथियोपिया में इस तरह के प्रदर्शन हुए हों. पहले भी सरकार के खिलाफ मुस्लिम समुदाय ने ऐसी ही दमनकारी नीतियों को लेकर प्रदर्शन किया था और तभी से अपने हाथों से हथकड़ी बनाने का ये सिलसिला शुरु हुआ जिसे अब ओरोमियो ने भी अपना लिया है.

देश में ओरोम जनजाति की आबादी सबसे ज्यादा यानि लगभग 4 करोड़ है और लिलेएस उसी समुदाय की होने की वजह से परेशान हैं. दरअसल पूरा मामला तब शुरु हुआ जब ओरोमिया प्रांत की जमीन को इथियोपियाई राजधानी आदिस अबाबा में मिलाने की योजना सरकार ने शुरु की. इसको लेकर जबरदस्त विरोध हुआ और आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा. लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई. अब भी ओरोम जनजाति अपने अधिकारों को लेकर सड़कों पर है.

तो क्या वापस अपने देश नहीं जाएंगे लिलेएस

यही इन दिनों सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है. फेयसा लिलेएस को ऐसा लगता है कि अगर वो वापस अपने वतन लौटेंगे तो वहां उनकी जान को खतरा है और उनका ज़िंदा रहना अब मुश्किल है. सिल्वर मेडल जीतने के बाद अपने इंटरव्यू में लिलेएस ने कहा कि हमारे देश में विरोध करना बहुत मुश्किल है.

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हालांकि इथियोपियाई सरकार के प्रवक्ता ने ये भरोसा दिलाया है कि फेयसा लिलेएस के देश लौटने पर एक हीरो जैसा स्वागत होगा, क्योंकि उन्होंने ओलिंपिक मैराथन में देश के लिए पदक जीत कर सम्मान बढ़ाया है. लेकिन फेयसा लिलेएस को अपनी सरकार पर भरोसा नहीं है और उनका कहना है कि वो अपने परिवार और दोस्तों से पूछ कर ही कोई अंतिम फैसला लेंगे.

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ओरोमो जातीय समूह का विरोध करने का तरीका

यहाँ ये बात भी गौर करने की है कि फेयसा के परिवार वालों में से भी कई अभी जेल में हैं. सरकार की बातों पर विश्वास न करने की वजह भी है क्योंकि जब फेयसा ने रियो में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की उसके बाद इथियोपिया के सरकारी प्रसारणकर्ता EBC ने उनकी रेस दुबारा दिखाई तक नहीं.

जिन लोगों ने फेयसा लिलेएस को लाइव दौड़ते देखा, वही इस विरोध जताने की तस्वीरों के गवाह बन पाए. यहाँ ये भी बताना जरूरी है कि इथियोपिया के कई हिस्सों में सरकार ने इंटरनेट सेवा तक बंद कर रखी है.

लेखक

कुमार कुणाल कुमार कुणाल

लेखक आजतक में पत्रकार हैं.

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