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Updated: 23 मई, 2016 01:52 PM
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उसके भाई ने मार्च में ब्रसेल्स एयरपोर्ट पर आतंकी हमला करके 35 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. उसके भाई का नाम था नाजिम लाचरोई, जो ब्रसेल्स एयरपोर्ट पर खुद को बम से उड़ा लेने वाले दो आत्मघाती हमलावरों में से एक था. आईएस के आतंकी नाजिम के उस कृत्य से बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया कांप गई थी.

लेकिन अब उसी आतंकी नाजिम का भाई बेल्जियम का सिर गर्व से ऊंचा कर रहा है. जी हां, ब्रसेल्स आतंकी हमले में शामिल रहे आतंकी नाजिम का भाई मोउरद लोचराई ताइक्वांडो का बेहतरीन खिलाड़ी है और उसने रियो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर लिया है.

ये कहानी उस सोच को गलत साबित करती है जिसमें लोग किसी इंसान को उसके मजहब के आधार पर आंकने लगते हैं. किसी धर्म विशेष के व्यक्ति के आतंकी वारदात में शामिल होने का मतलब उसके मजहब के सभी लोगों को आतंकी मान लेना कतई नहीं है. इस बात के लिए इस कहानी से अच्छा उदाहरण शायद ही कोई हो. एक आतंकी के भाई की सफलता की ये कहानी नफरत, निराशा और हिंसा से भरी दुनिया में आशा की एक किरण जगाती है.

ये कहानियां दिखाती हैं, मजहब नहीं सोच बनाती है आतंकी!

24 वर्षीय आतंकी नाजिम के भाई मोउरद लोचराई ने हाल ही में समर यूनिवरसिएड्स में सिल्वर मेडल जीतकर अगस्त में होने वाले रियो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर लिया है. 21 वर्षीय मोउरद ने इससे पहले यूरोपियम ताइक्वांडो चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. उनके भाई के कृत्य ने बेल्जियम को शोक में डुबो दिया था लेकिन अब मोउरद इसी देश को जश्न मनाने का मौका देने जा रहे हैं.

ब्रसेल्स हमले के दो दिन बाद मोउरद ने कहा था कि जो कुछ भी हुआ बहुत ही निराशजनक था. मोउरद ने बताया कि  उसका अपने भाई के साथ फरवरी 2013 में सीरिया चले जाने के बाद से कोई संपर्क नहीं था. मोउरद के परिवारवालों का कहना है कि एक आतंकी का भाई होना मोउरद की गलती नहीं थी. लेकिन उसने इस जिल्लत से बाहर निकलने के लिए जो किया है वह बेहतरीन है. मोउरद ने दिखाया कि अच्छे काम से ही बुराई को खत्म किया जा सकता है.

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मोउरद लोचराई ने ताइक्वांडो में बेल्जियम की तरफ से ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई किया है

भाई को तो वह उस खतरनाक रास्ते से वापस नहीं ला सका लेकिन अपने देश के लिए वह जरूर कर दिखाया जिससे हर कोई उसे आतंकी के भाई नहीं बल्कि सच्चे नागरिक के तौर पर जाने. मोउरद की सफलता उन सभी के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है जो किसी एक की वजह से पूरे इस्लाम धर्म को आंतकवाद से जोड़कर उसका नाम खराब कर देते हैं. भले ही किसी मजहब के कुछ लोग गलत रास्ते पर चल पड़े लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं है कि उस धर्म के सभी लोगों को आतंकवादी मान लिया जाए. उस समय मोउरद जैसे लोग अपनी अच्छी कोशिशों से उम्मीद जगाते हैं कि इंसान को आंतकी मजहब नहीं बल्कि उसकी सोच बनाती है.

ये बात अभी हाल में तब भी साबित हुई थी जब भारत को धमकी देने वाला वीडियो जारी करने वाले ISIS के दो आतंकियों के परिवारवालों ने इस बात की कड़ी आलोचना की थी. हाल ही में आतंकी संगठन ISIS  ने भारत को बाबरी, मुजफ्फरनगर और गुजरात का बदला लेने की धमकी देने वाला वीडियो जारी किया था. इस वीडियो में नजर आने वाले दोनों युवा महाराष्ट्र के कल्याण के फहाद शेख और अमान टंडेल हैं, जो देश से भागकर ISIS से जुड़ने के लिए सीरिया चले गए थे. इस वीडियो के जारी होन के बाद इनके परिवारवालों ने इसकी कड़ी निंदा की और कहा कि मुस्लिम भारत में सुरक्षित हैं और ISIS या किसी और को हमारे आंतरिक मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है.

ये कहानियां दिखाती हैं कि क्यों लोगों को इस्लाम या किसी धर्म के प्रति अपने पूर्वाग्रहों से ग्रसित होने के बजाय तार्कक ढंग से ये सोचने की जरूरत है कि अच्छे और बुरे लोग हर जगह होते हैं. न कोई धर्म बुरा होता है न लोग, बुरी होती है तो सिर्फ सोच, जिससे सबकुछ बदल जाता है.

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