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Updated: 01 अप्रिल, 2019 10:37 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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चंद दिनों पहले ही भारत ने अंतरिक्ष में एक बड़ा मुकाम हासिल किया. भारत ने 27 मार्च को एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण किया और करीब 300 किलोमीटर ऊपर लो अर्थ ऑर्बिट में स्थित सैटेलाइट (जो टेस्ट के लिए ही छोड़ा गया था) को तबाह कर दिया. इसके साथ ही भारत ऐसी ताकत वाला चौथा देश बन गया. अभी पूरा देश उसी कामयाबी का जश्न मना रहा था कि 1 अप्रैल को भारत ने एक और सैटेलाइट लॉन्च कर दिया है, जिसकी खूबियां उसे बेहद खास बनाती हैं. खासकर पाकिस्तान के संदर्भ में.

भारत के इस खास सैटेलाइट को एमिसैट (Amisat) नाम दिया गया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये दुश्मनों की निगरानी का काम करेगा. अगर ये कहें कि अब दुश्मनों पर नजर रखने के लिए भारत ने अंतरिक्ष में इलेक्ट्रॉनिक आंखें लगा दी हैं, तो गलत नहीं होगा. ये आंखें ही हैं, जो दिन ही नहीं, बल्कि रात में भी हर चीज की निगरानी करेंगी. यानी ये सैटेलाइट एक तरह से जासूसी सैटेलाइट है. लेकिन ये कैसा जासूस है, जिसके बारे में हर छोटी-बड़ी जानकारी चारों तरफ फैली हुई है. उससे भी बड़ी बात कि इस जासूस की लॉन्चिंग चुपके से नहीं, बल्कि ढोल-नगाड़े बजाकर की गई है.

एमिसैट, जासूस, सैटेलाइट, अंतरिक्षएमिसैट सैटेलाइट की लॉन्चिंग चुपके से नहीं, बल्कि 1000 लोगों को दिखाते हुए की गई.

वो खासियतें, जो एमिसैट को जासूस बनाती हैं

एमिसैट को इसरो और डीआरडीओ ने एक साथ मिलकर बनाया है. इसका मुख्य मकसद दुश्मनों पर निगाह रखना है. आइए जानते हैं ये क्या-क्या कर सकता है-

- बताया जा रहा है कि ये सैटेलाइट सीमाओं पर तैनात दुश्मन के राडार और सेंसर्स पर निगरानी रखेगा.

- इसके जरिए दुश्मन के इलाकों का सही इलेक्ट्रॉनिक नक्शा बनाने में आसानी होगी. यानी अगर फिर कभी पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक करने की नौबत आती है तो ये सैटेलाइट मदद करेगा.

- यह सैटेलाइट सीमा पर मौजूद मोबाइल और अन्य संचार उपकरणों की भी जानकारी देगा. यानी इससे ये भी पता चलेगा कि आतंकी अड्डों पर कितने मोबाइल या अन्य उपकरण एक्टिव हैं, जिनकी निगरानी में भारत को आसानी हो जाएगी.

- इस सैटेलाइट की एक अन्य खासियत ये है कि ये मोबाइल या फिर अन्य किसी संचार उपकरण के जरिए होने वाली बातचीत को डीकोड कर सकता है.

जासूस की पहचान जगजाहिर क्यों कर दी?

जब कभी जासूस की बात होती है तो पहली बात जो दिमाग में आती है कि उसके बारे में कोई जानता नहीं होगा, वो भेष बदल कर रह रहा होगा और चुपके-चुपके जानकारियां जमा कर रहा होगा. लेकिन एमिसैट सैटेलाइट ऐसा जासूस है, जिसकी पहचान जगजाहिर है. वो क्या-क्या करेगा ये भी ढोल नगाड़े बजाकर सबको बताया जा चुका है. और तो और, पहली बार 1000 लोगों ने किसी सैटेलाइट की लॉन्चिंग को लाइव देखा है, जो जासूसी सैटेलाइट है. आखिर एक जासूस की लॉन्चिंग ऐसे कौन करता है? या अंदर की बात कुछ और है?

उम्‍मीद करिए कि ये जानकारी दुश्‍मनों को अप्रैल फूल ही बनाए!

यूं लग रहा है जैसे भारत ने इस जासूसी सैटेलाइट को 1 अप्रैल के मौके पर अप्रैल फूल बनाकर लॉन्च कर दिया है. इसकी उन खासियतों को जगजाहिर कर दिया है, जिनसे दुनिया को कोई खास फर्क ना पड़े, लेकिन एक असल जासूस की खासियतों को राज ही रखा गया है. ऐसा इसलिए लग रहा है क्योंकि जिन खासियतों की चर्चा जगह-जगह चल रही है, उन खासियतों के साथ पहले ही हमारे सैटेलाइट अंतरिक्ष में मौजूद हैं. सैटेलाइट से पाकिस्तान की तस्वीरें लेकर ही भारत ने 29 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक की थी.

इतना ही नहीं, एमिसैट की जिन खासियतों को जगजाहिर किया गया है वैसी खासियतों वाले सैटेलाइट तो पाकिस्तान के पास भी हैं. साल भर पहले ही चीन ने पाकिस्तान के दो सैटेलाइट लॉन्च किए थे, जिनमें से एक में दिन-रात और बादलों के बीच भी मॉनिटरिंग करने की क्षमता थी. उस समय पाकिस्तान ने ये कहते हुए सैटेलाइट लॉन्च किए थे कि भारत पर निगाह रखने के लिए सैटेलाइट लॉन्च किया जा रहा है, वहीं इस बार भारत ने ये कहते हुए लॉन्चिंग की है कि पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ठिकानों पर इस सैटेलाइट से नजर रखी जाएगी. इन सबके बीच एक बात तो तय है कि जितना बताया गया है, ये सैटेलाइट उससे कहीं अधिक काबिल हैं. कोई भी देश अपने जासूस की असली पहचान जगजाहिर नहीं करेगा. वो कहते हैं ना- हाथी के दांत दिखाने के और... खाने के और...!

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