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Updated: 19 अक्टूबर, 2016 02:47 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
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अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी ने भारतीय हिंदू समुदाय के बीच एक चुनावी सभा का आयोजन किया. पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को शामिल होना था और वे वहां भारतीय मूल के हिंदू अमेरिकी का वोट मांगने पहुंचे थे. मोदी, हिंदू और इंडिया जैसे कीवर्ड ट्रंप के भाषण में शामिल थे. लेकिन सभा में वह बोलें, इससे पहले जरूरी था कि इन शब्दों के लिए माहौल तैयार किया जाए. लिहाजा, इन जरूरी कीवर्ड को पहले स्टेज पर लाने का प्लॉट तैयार किया गया. इससे पहले ट्रंप अपनी स्पीच पढ़ते, स्टेज पर ‘जेहादी’ आ गए.

‘जेहादी’ से आप ठीक समझे. वही आईएस (इस्लामिक स्टेट) मार्का. काले कपड़ों में लिपटा, हाथ में एके-47 राइफल और कुछ अजीब सी कलाकृति छपे काले ध्वज. मंच पर जेहादी आ पहुंचे हैं? क्यों, इनका यहां भला क्या काम? ये जेहादी तो उन सब को मौत के घाट उतार देते हैं जिसे ये अपने जैसा नहीं समझते. डोनाल्ड ट्रंप की सभा में ऐसे एक जिहादी ने स्टेज पर हिंदू अमेरिकी वोटरों के रंगारंग कार्यक्रम के बीच एंट्री मार दी. डर से हिंदू कलाकारों की रूह कांप उठती है. जिंदगी और मौत के बीच का फासला खत्म दिखाई देता है. शायद वक्त ‘राम-राम’ कहने का आ गया था.

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लेकिन तभी उस काले नकाबपोश जेहादी के पीछे से अमेरिका की एलीट कॉम्बैट फोर्स नेवी सील की एंट्री होती है. वही नेवी सील जिसकी हालिया ख्याति पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मार गिराने की है. हिंदू कलाकारों को बचाने के लिए नेवी सील की ये एंट्री, जेहादी मार गिराया गया और हिंदू कलाकार अपनी जान बचाकर वोट न्यौछावर करने के लिए तैयार हैं.

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 डोनाल्ड ट्रंप को जिताने की ये कैसी सनक

डोनाल्ड ट्रंप ने सुरक्षित हो चुके मंच को संभाला. और मौत के मुंह से बाल-बाल बचे हिंदू कलाकारों को अपना मसीहा दिखाई देने लगा. माइक पकड़ने के साथ ही ट्रंप ने दावा कर दिया कि वह मोदी से बेहद प्रभावित हैं. इससे पहले मार्टिन लूथर किंग ने महात्मा गांधी के प्रभाव की बात कुबूल की थी. साथ ही ट्रंप ने अपने भाषण में मौजूद मोदी, हिंदू और इंडिया के सभी कीवर्ड को लांच कर दिया.

जाहिर है रैली से निकलते वक्त कुछ हिंदू अमेरिकी वोटरों को जरूर महसूस हो रहा होगा कि जेहादी आतंक से अमेरिका उनकी मदद करेगा. अमेरिका के किसी कोने में जब किसी हिंदू के सामने कोई जेहादी खड़ा होगा तो उसे इंतजार सिर्फ नेवी सील का करना होगा.

अब सवाल यह है कि क्या इस्लामिक आतंकवाद से हमारी रक्षा करने के लिए नेवी सील सबसे बेहतर विकल्प है? कहीं यह किसी इसाई देश का हिंदू अल्पसंख्यकों को साथ लेने की कवायद तो नहीं? जिससे वह इस्लाम को एक-दूसरे के लिए साझा दुश्मन दिखा सके. कहीं ऐसा तो नहीं कि यह किसी हिंदू संगठन की नीति का नतीजा है? क्योंकि भारत में इस्लाम और इस्लामिक आतंकवाद का प्रभाव एक अर्से से देखा जा रहा है और हिंदू संगठन इस खतरे की ओर अर्से से आवाज उठा रहे हैं.

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यहां, यह जानना बेहद जरूरी है कि डोनाल्ड ट्रंप के कार्यक्रम में ऐसे रंगारंग कार्यक्रम की योजना किसने बनाई? क्या योजना बनाने वालों को यह इल्म था कि मोदी, हिंदू और इंडिया ट्रंप की स्पीच के कीवर्ड हैं? या फिर रिपब्लिकन पार्टी के कार्यकर्ताओं के सिर पर अभीतक मैडिसन स्क्वायर पर आयोजित मोदी मोमेंट का ही भूत सवार है?

वैसे, कहनेवाले तो यह भी कह रहे हैं कि पहली बार अमेरिकी चुनाव इतना नाटकीय और असल मुद्दों से रहित हो रहा है. वहीं, 'भक्त' इससे खुश हैं कि पहली बार अमेरिकी चुनाव में भारतीय प्रधानमंत्री का भी नाम लिया जा रहा है. आलोचकों का कहना है कि ट्रंप और हिलेरी की मुठभेड़ में जीते कोई भी, हार तो ‘दि ग्रेट अमेरिकन ड्रीम’ की पहले ही चुकी  है.

इस तरह की अति-नाटकीयता ट्रंप के लिए न तो पहली है, न ही आखिरी होगी. हमें यह भी जान लेना चाहिए कि जो अमेरिकी चुनाव पूरे एक साल तक चलनेवाली प्रक्रिया है और जिसमें करोड़ों डॉलर दांव पर लगा दिए जाते हैं, उसमें चुनावी दिन नज़दीक आने के साथ-साथ तपिश और भी बढ़ती जाएगी...

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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