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Updated: 31 अक्टूबर, 2018 10:45 PM
संतोष चौबे
संतोष चौबे
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यूएस प्रेजिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प के रिपब्लिक डे पर भारत ना आने का हम क्या मलतब निकाल सकते हैं?

भारत ने डोनाल्ड ट्रम्प को रिपब्लिक डे का चीफ गेस्ट बनने के लिए निमंत्रित किया था जिसपर अमेरिका ने कहा था के ट्रम्प भारत जाने के लिए उत्सुक हैं लेकिन डेट बाद में क्लियर होगी.

अक्टूबर में डोनाल्ड ट्रम्प से जब पूछा गया था कि भारत के रूस से एस-400 एयर डिफेन्स मिसाइल सिस्टम खरीदे जाने पर अमेरिका का क्या रिस्पांस है तो उन्होंने कहा था कि भारत को उनका रिस्पांस जल्द ही पता चलेगा. अमेरिका के Countering America's Adversaries Through Sanctions Act (CAATSA) के अनुसार उन देशों पर स्वतः ही सैंक्शंस लगेंगे जो अमेरिका विरोधी देशों से व्यापर करते हैं जैसे रूस से हथियारों की खरीदारी करते हैं और केवल यूएस प्रेजिडेंट ही इसमें वेवर दे सकते हैं.

donald trumpगणतंत्र दिवास पर भारत नहीं आ रहे हैं ट्रंप 

सो, हम ये कह सकते हैं कि रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदे जाने पर डोनाल्ड ट्रम्प की नाराजगी इस तरह से सामने आयी है कि मैं फिलहाल भारत नहीं जाऊंगा. उन्होंने भारत पर और कोई सैंक्शन नहीं लगाया है.

इसी से जुड़ा मुद्दा है ईरान से क्रूड आयल की खरीद का मुद्दा

अमेरिका ने ईरान से हुई नुक्लिअर डील को इस साल पहले ही खारिज कर दिया था और ईरान पर सैंक्शंस लगाए जाने की घोषणा की थी. कुछ सैंक्शंस अगस्त में लागू हो गए थे जबकि पूरे सैंक्शन 5 नवम्बर से लागू किये जाने हैं और अमेरिका ने भारत समेत सभी देशों से कहा है कि ईरान से क्रूड आयल का आयात बंद कर दे.

हालांकि भारत ने ईरान से क्रूड आयल का आयात कम कर दिया है और अमेरिका से बढ़ा दिया है लेकिन उसे जीरो करने की स्थिति में नहीं है. ईरान जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड आयल निर्यातक है भारत को 60 दिनों का क्रेडिट पीरियड देता है और रूपए में अपने निर्यात बिल को लेता है और अमेरिका इसको समझता है. इसिलए हम यहां भी उम्मीद कर सकते हैं कि कात्सा के सैंक्शंस इफ़ेक्ट में नहीं आएंगे सिवाय ट्रम्प की नाराज़गी से जो उनके भारत आने के प्लान्स को फिलहाल कैंसिल करती है.

इसके अलावा अमेरिका के पास चीन से निपटने की भी समस्या है

चीन और अमेरिका ट्रेड वॉर में लगे हुए हैं और भारत और इंडियन बाजार अमेरिका के लिए बहुत बड़ी उम्मीद हैं. भारत-प्रशांत क्षेत्र में उस केस में जब चीन अमेरिकन निर्यातों पर लेवी लगता है खासकर क्रूड आयल पर. हालांकि चीन ने अभी तक ऐसा नहीं किया है लेकिन अगस्त में उसने अमेरिका से कोई क्रूड आयल नहीं लिया. चीन, विश्व के दूसरे सबसे बड़े मार्केट, का हिस्सा अमेरिका के क्रूड आयल निर्यात में 23% था पिछले साल और इस साल अभी तक 22%.

डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन से होने वाले इम्पोर्ट पर 50 बिलियन डॉलर की लेवी की घोषणा जून में की थी जिसके जवाब में चीन ने कहा था के वो यूएस से क्रूड आयात पर 25% टैरिफ लगा सकता है. वास्तव में अगर हम देखें तो अमेरिका और चीन ने एक दूसरे पर लगातार इम्पोर्ट टैरिफ लगाए हैं इधर बीच और उनके बीच ये ट्रेड वॉर बढ़ता ही जा रहा है. अब जबकि चीन ने अमेरिका से क्रूड इम्पोर्ट बंद कर दिया है तो ईरान सैंक्शंस के बीच में भारत उसके लिए बड़ा बाजार साबित हो सकता है जैसा कि भारत का बढ़ता हुआ आयात शो भी कर रहा है.

इसलिए हम कह सकते हैं कि ट्रम्प ने भारत ना आने के लिए कहा है लेकिन जैसा कि वो करते हैं उन्होंने कोई ट्वीट नहीं किया है, जैसा कि वो अमूमन करते हैं. और वास्तव में हम देखें तो उनके लेटर ने खेद प्रकट किया है कि रिपब्लिक डे पर भारत का चीफ गेस्ट नहीं बन सकते हैं क्योंकि उनके पास डोमेस्टिक इवेंट्स जैसे कि स्टेट ऑफ़ थे यूनियन एड्रेस (एसओटीयू) हैं हालांकि 2015 में जब बराक ओबामा रिपब्लिक डे चीफ गेस्ट बन कर आये थे तो एसओटीयू का टाइम आगे बढ़ाया गया था. और हम ये जानते हैं कि जैसे रूस के साथ भारत का डिफेन्स रिश्ता है वैसा ही अमेरिका के साथ भी अब होता जा रहा है.

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लेखक

संतोष चौबे संतोष चौबे @santoshchaubeyy

लेखक इंडिया टुडे टीवी में पत्रकार हैं।

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