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Updated: 01 दिसम्बर, 2019 09:22 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Election) के बाद सरकार (Maharashtra Government) बनाने के लिए राज्य में जो कुछ हुआ, ऐसे वाकये इतिहास में बहुत कम ही देखने को मिलेंगे. पहले दो पार्टियों ने गठबंधन में चुनाव जीता, लेकिन मुख्यमंत्री पद (Maharashtra CM) पर बात नहीं बनी तो दोनों अलग हो गईं. जिस गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला था, वह दो हिस्सों में बंट गया और त्रिशंकु विधानसभा की नौबत आ गई. असली खेल यहां से शुरू होता है, जो महाराष्ट्र (Maharashtra) को कर्नाटक (Karnataka) चुनाव जैसा बना रहा है. पहले भाजपा (BJP) ने शपथ ली, फिर इस्तीफा दिया, विरोधी पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई. ये सब महाराष्ट्र में भी हुआ और कर्नाटक में भी. बस फर्क इतना है कि कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस (Congress-JDS) की सरकार करीब 14 महीने बाद गिर गई और भाजपा सत्ता पर काबिज हो गई. खैर, अभी तो महाराष्ट्र में सरकार बनी है, आने वाले वक्त में वह गिरती है या बचती है, ये देखना दिलचस्प रहेगा. हां, देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने एक इशारा जरूर कर दिया है कि वह लौटकर आएंगे.

Devendra Fadnavisदेवेंद्र फडणवीस ने जाते-जाते वो इशारा कर दिया है जो शिवसेना को टेंशन में डाल सकता है.

क्या कहा है फडणवीस ने?

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कब वापस आऊंगा ये नहीं पता, लेकिन लौटकर जरूर आऊंगा. मेरा पानी उतरा देखकर मेरे किनारे घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं लौटकर वापस जरूर आऊंगा. ये फडणवीस की उद्धव सरकार को सीधी चेतावनी है.

इशारे के बाद लगने लगे कयास

अब उनकी इस बात से तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं. सबसे पहला इशारा तो उनकी इस बात से यही मिल रहा है कि महाराष्ट्र में भी कर्नाटक जैसे हालात बन सकते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि तीन पार्टियों के गठबंधन की सरकार है, उसमें भी कांग्रेस-एनसीपी तो ठीक हैं, लेकिन शिवसेना विरोधी विचारधारा की है. कांग्रेस-एनसीपी सेकुलर पार्टियां हैं, जबकि शिवसेना कट्टर हिंदूवादी. ऐसे पार्टियों की सरकार पूरे 5 साल चलने की उम्मीदें कम ही हैं.

कर्नाटक की तरह हो सकता है उलटफेर

महाराष्ट्र में भी कर्नाटक की तरह उलटफेर हो सकता है. वैसे भी, पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति ने जो गुल खिलाए हैं वो देखकर अब कुछ भी नामुमकिन नहीं लगता. भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और अगर बाकी पार्टियों के विधायक टूट कर भाजपा से मिल गए तो सरकार अल्पमत में आ सकती है, जैसा कर्नाटक में हुआ था. हां ये अलग बात है कि महाराष्ट्र में विधायकों को तोड़ना कर्नाटक जितना आसान नहीं होगा, लेकिन जितना नाटक महाराष्ट्र में पिछले दिनों में चला है, उसे देखने के बाद इस बात की आशंकाओं से मुंह भी फेरा नहीं जा सकता है.

महाराष्ट्र का नाटक भी जान लीजिए

- भाजपा-शिवसेना ने गठबंधन में कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ा और बहुमत से जीत गई.

- मुख्यमंत्री पद पर सहमति नहीं बनी तो शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़ दिया. शिवसेना चाहती थी कि दोनों पार्टियों की ओर से ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री हों, लेकिन भाजपा ने मुख्यमंत्री पद से कोई समझौता नहीं किया.

- शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से बात की, लेकिन उनकी बात का कोई नतीजा नहीं निकला और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया.

- 23 नवंबर की सुबह अचानक राष्ट्रपति शासन हटाया गया और भाजपा ने एनसीपी के अजित पवार के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बना ली. देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने और अजित पवार डिप्टी सीएम.

- एनसीपी ने अजित पवार को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया और कह दिया कि भाजपा का समर्थन करने का फैसला उनका निजी है. इसी के साथ एनसीपी ने अजित पवार को वापस पार्टी में लाने की कोशिशें शुरू कर दीं.

- मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, फ्लोर टेस्ट की नौबत आ गई, अजित पवार ने ये सब देखते हुए इस्तीफा दे दिया और वापस एनसीपी में जा मिले. इधर भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई और देवेंद्र फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा और सरकार गिर गई.

- अब महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और शिवसेना की सरकार है, जिसमें अजित पवार डिप्टी सीएम हैं और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री.

ऐसा ही हुआ था कर्नाटक में

कर्नाटक में भी कुछ ऐसा ही नाटक चला था. भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत नहीं था. त्रिशंकु विधानसभा बनी. इसी बाच कर्नाटक में येदियुरप्पा ने भाजपा की सरकार बनाते हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली, लेकिन बहुमत परीक्षण से पहले ही इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद जेडीएस और कांग्रेस ने सरकार बनाई, जिसमें कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने. कांग्रेस ने दरअसल वहां ये कदम सिर्फ भाजपा को हराने के लिए उठाया था, तभी तो बेहद कम सीटें होने के बावजूद जेडीएस को मुख्यमंत्री का पद तक दे दिया. विचारधारा मेल नहीं खा पाई, इसलिए आए दिन कांग्रेस और जेडीएस में टकराव की स्थिति बनती रही. आखिरकार 14 महीने बाद 14 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद जेडीएस-कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई और सरकार गिर गई. इसके बाद भाजपा अविश्वास प्रस्ताव ले आई और जेडीएस-कांग्रेस की सरकार को बहुमत परीक्षण से गुजरना पड़ा, जिसमें वह हार गई. अब कर्नाटक में भाजपा की सरकार है.

महाराष्ट्र में सरकार तो बन गई है, लेकिन ये सरकार तीन पहियों की है, जो अलग-अलग दिशा में चलेंगे या एक साथ चलेंगे, ये आने वाला वक्त बताएगा. जब तक ये साथ चले, तब तक तो ठीक है, लेकिन जिस दिन इनके रास्ते बदले, उसी दिन भाजपा के लिए जश्न का दिन होगा. फडणवीस ने वापस आने का जो इशारा किया है, वह उसी दिन पूरा होता दिखेगा. कर्नाटक में तो साल भर से भी अधिक तक सरकार चली थी, लेकिन पूरे टाइम कांग्रेस और जेडीएस में अनबन होती रही. देखना दिलचस्प रहेगा कि महाराष्ट्र में सरकार कब तक चलती है और किस दिन गिरती है और किस दिन फडणवीस लौटकर आते हैं.

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