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Updated: 30 नवम्बर, 2018 09:18 PM
बालकृष्ण
बालकृष्ण
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ये शायद सुनने में थोड़ा अजीब लगे, मगर पांच राज्यों में होने वाले चुनाव के केंद्र स्थल में राहुल गांधी का गोत्र है जिसने एक नए पॉलिटिकल डिस्कोर्स को जन्म दे दिया है.राहुल गांधी का गोत्र क्यों  चर्चा में आया यदि इस बात को समझना है तो हमें उस पूजा को देखना होगा जिसमें पुष्कर के एक मंदिर में राजस्थान चुनाव से ठीक पहले पूजा अर्चना की और सुर्खियां बटोरीं. जिस पुजारी ने पूजा की उसके अनुसार, राहुल गांधी ने अपना गोत्र दत्तात्रेय बताया. दत्तात्रेय कौल होते हैं और कौल कश्मीरी ब्राह्मण हैं.

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राहुल गांधी के इस अहम खुलासे के बाद वही हुआ जिसकी उम्मीद की जा रही थी. गोत्र के विषय पर भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष को जम कर घेरा और उनके गोत्र पर सवालिया निशान लगाए.

गोत्र बताने के बाद राहुल गांधी की आलोचना किस हद तक हुई यदि इसका अवलोकन करना हो तो हमें केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का ट्वीट देख लेना चाहिए. गिरिराज सिंह ने गोत्र बताने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए बॉलीवुड फिल्म जॉली एलएलबी का एक सीन ट्वीट किया जिसमें एक मुस्लिम अपने को ब्राह्मण पुजारी बता रहा था और जब उससे उसका गोत्र पूछा गया तो उसका झूठ पकड़ा गया. बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना बेहद जरूरी है कि गिरिराज के इस ट्वीट को हजारों लोगों ने शेयर किया और साथ ही इसपर ढेरों प्रतिक्रिया भी आईं.

राहुल गांधी द्वारा अपना गोत्र बताने के बाद सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उनकी तीखी आलोचना की. गोत्र पर भाजपा समर्थकों का कहना था कि राहुल गांधी दत्तात्रेय गोत्र के कैसे हो सकते हैं जब उनके दादा स्वयं हिन्दू नहीं थे? ध्यान रहे कि 'हिंदू मान्यताओं में किसी भी पुत्र को गोत्र अपने पिता से मिलता है.'

अब चूंकि गोत्र के मुद्दे पर लगातार विवाद तेज होता जा रहा है तो हमारे लिए कुछ मुद्दों पर बात करना और उन्हें गहराई से जान लेना बहुत जरूरी हो जाता है.

क्या होता है गोत्र

सुप्रसिद्ध इतिहासकार आर्थर लेवेलिन बाशम के अनुसार, गोत्र शब्द की उत्पत्ति गौशाला से हुई है और इसका सबसे पहला रिफरेन्स अथर्व वेद में मिलता है. अपनी किताब ' 'The Wonder That Was India' में बाशम लिखते हैं कि सभी ब्राह्मण किसी न किसी ऋषि से जुड़े हैं और इसी के बाद उनका वर्गीकरण उनके गोत्र के आधार पर किया गया. बाशम के अनुसार, एक ही गोत्र में शादी करने को हिन्दू धर्म में सही नहीं माना गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि समान गोत्र के चलते सभी स्त्री पुरुष एक दूसरे के भाई बहन होते हैं और साथ ही उनके पूर्वज भी एक होते हैं.

तेजपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्री चंदन कुमार शर्मा के अनुसार, 'गोत्र प्रणाली परंपरागत रूप से ब्राह्मणिक होती हैं और पितृसत्तात्मक प्रणाली का पालन करती है.' यहां व्यक्ति को गोत्र अपनी माता से नहीं बल्कि अपने पिता से मिलता है.

नेहरू उपनाम कैसे मिला और उनका गोत्रा क्या है?

पंडित मोतीलाल नेहरू के पूर्वज कश्मीर के निवासी और कौल ब्राह्मण थे. कश्मीर में कौल ब्राह्मणों का गोत्र दत्तात्रेय होता है. 1716 में उनके पूर्वज पंडित राज कौल दिल्ली में आकर बसे और उन्होंने एक नहर के किनारे वास किया. चूंकि वो नहर के किनारे रह रहे थे इसलिए लोगों ने उन्हें नेहरू कहना शुरू कर दिया. बाद में उन्होंने अपने नाम से कौल हटा लिया और नेहरू नाम अपना लिया.

राहुल गांधी के दादा, फिरोज गांधी का धर्म क्या था ?

इंदिरा गांधी के पति और राहुल गांधी के दादा फिरोज जहांगीर गांधी का जन्म 12 सितम्बर 1912 को मुंबई के एक पारसी परिवार  में हुआ था. स्वीडिश पत्रकार, बर्ट फाल्क  द्वारा लिखी गई जीवनी के अनुसार. Feroze - The Forgotten Gandhi' के पिता जहांगीर फेरदून गांधी गुजरात के भरुच में मरीन इंजीनियर थे. वो पारसी समुदाय के एक धार्मिक व्यक्ति थे. फिरोज की मां रतिमाई कमिसारीट गुजरात के सूरत से थी. फिरोज उनके आखिरी और पांचवे बेटे थे. जब वो कुछ ही महीनों के हुए तो उन्हें उनकी मौसी शिरीन कमिसारीट ने गोद ले लिया था. शिरीन जो कि स्वयं डॉक्टर थी इलाहाबाद में रहती थीं. उन्होंने खुद शादी नहीं की और फिरोज को अपने बेटे की तरह पाला.

इतिहासकार रामचंद्र गुहा अपनी किताब 'India After Gandhi' में लिखते हैं कि फिरोज ने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के बाद,अपने उपनाम की स्पेलिंग बदली थी. ऐसा इसलिए क्योंकि वो महात्मा गांधी से बहुत ज्यादा प्रभावित थे. हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि वो किसी तरह महात्मा गांधी से जुड़े थे जो कि सही नहीं है.

क्या फिरोज गांधी ने हिन्दू धर्म अपनाया था?

इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है कि इंदिरा से शादी करने के चलते फिरोज गांधी ने अपना धर्म बदला था. ज्ञात हो कि नेहरू भी सिर्फ शादी के लिए धर्म बदलने के सख्त खिलाफ थे. हालांकि, एक इंटरफैथ विवाह होने के नाते, पूरा अनुष्ठान एक मुश्किल सवाल बन गया. इसके अलावा तब  इंटरफैथ विवाह की उस वक़्त भी कोई प्रमाणिकता नहीं थी अगर उन्हें हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार किया जाए. अदालत में सिविल विवाह आवश्यक था. अब इस बात में भी अलग-अलग मत हैं कि हिन्दू रीति रिवाज से शादी करने के बावजूद इंदिरा और फिरोज ने कोर्ट में सिविल विवाह किया था भी या नहीं.

विनोद मेहता की किताब 'The Sanjay Story' के अनुसार, फिरोज धर्मांतरित हुए थे. फिरोज जानते थे कि उनकी शादी में तमाम तरह की अड़चने आ सकती हैं और कश्मीर पर हनीमून पर जाने से पहले उन्होंने न सिर्फ अपना धर्म बदला बल्कि उन्होंने कोर्ट में जाकर सिविल विवाह भी किया.

अपनी किताब में मेहता ने आगे लिखा है कि, कई जीवनियों में पर्यवेक्षकों ने  इस बात की पुष्टि की है कि फिरोज ने न केवल अपना धर्म बदला बल्कि कोर्ट में भी उनका सिविल विवाह हुआ . हालांकि किताब में इस बात का साफ जिक्र है कि जब इंदिरा से फिरोज के धर्म बदलने पर सवाल किया गया तो उन्होंने इस बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया और माना कि शादी के लिए फिरोज ने अपना धर्म नहीं बदला है.

क्या राहुल गांधी दत्तत्रेय गोत्र के साथ कौल ब्राह्मण होने का दावा कर सकते हैं?

यह तो स्पष्ट है कि राहुल गांधी अपने पैतृक दादा जवाहरलाल नेहरू की वंशावली के आधार पर दत्तात्रेय गोत्रा से संबंधित होने का दावा कर रहे थे. ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, उसी पुष्कर मंदिर में इंदिरा गांधी ने भी कहा था कि उनका गोत्र उनके पिता के समान है.

हालांकि, समाजशास्त्रियों के अनुसार, हिंदू परंपराओं द्वारा इसकी अनुमति नहीं है. दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहासकार डॉक्टर प्रेम चौधरी ने कहा कि, 'यदि कोई व्यक्ति हिंदू धर्म में परिवर्तित हो जाता है, तो उसे कभी भी गोत्र नहीं मिलता. इसलिए, जब फिरोज गांधी ने हिन्दू धर्म अपनाया तब भी धर्म बदलने के बावजूद उन्हें गोत्र नहीं मिला.

फिरोज गांधी के धर्म पर चल रहा विवाद उनकी मौत के बाद भी शांत नहीं हुआ. उनकी अंतिम क्रिया हिन्दू और पारसी धर्म के अनुसार की गयी. फिरोज गांधी का पहले दिल्ली में अंतिम संस्कार किया गया फिर उनकी राख को इलाहाबाद के एक पारसी कब्रिस्तान में दफनाया गया.

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बालकृष्ण बालकृष्ण @bala200

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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