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Updated: 28 मार्च, 2019 10:14 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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लोकसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पीएम मोदी एक हर्बल फॉर्मूला लेकर आए हैं. हर्बल इसलिए, क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. मोदी अपने भाषणों में तमाम बातें कह रहे हैं, विपक्ष को भी घेर रहे हैं, लेकिन कोई वादा नहीं कर रहे हैं. अगर कोई वादा करते हैं तो कल को वो पूरा ना होने पर उस पर सवाल उठ सकता है. लेकिन वादा नहीं करने की सूरत में ऐसी स्थिति कभी आएगी ही नहीं, यानी जिस फॉर्मूले से पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव जीतने की तैयारी की है, उसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा.

यूं तो अक्सर ये देखने को मिलता है कि विपक्ष की ओर से सरकार पर आरोप लगाए जाते हैं और सरकार सफाई देती है या आलोचना करती है. लेकिन पीएम मोदी ने तो गेम ही पलट दिया है. खुद पीएम मोदी की ओर से विपक्ष के खिलाफ एक के बाद एक कई आरोप लगाए जा रहे हैं और विपक्ष है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस कर-कर के सफाई दे रहा है और आलोचना कर रहा है. तो चलिए अब जानते हैं पीएम मोदी के इस हर्बल फॉर्मूले के बारे में, जो कई चीजों से मिलकर बना है. ये सब मिलकर पीएम मोदी के लिए 2019 के चुनाव में जीत का ताज तैयार करने में मदद करेंगे.

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सेना और शहीदों का अपमान

पीएम मोदी के भाषणों में सबसे ज्यादा जोर सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा पर होता है. वह हर मौके पर ये बताना नहीं भूलते कि कांग्रेस और अन्य विरोधी पार्टियों ने सेना और शहीदों का अपमान किया है. कांग्रेस ने इतने सालों तक देश पर राज किया, लेकिन सैनिकों को बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं मुहैया कराई. सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के दौरान कांग्रेस ने सबूत मांगे थे, जिसे पीएम मोदी ने सीधे-सीधे सेना का अपमान कहा और इसे वह अपनी हर रैली में भुना भी रहे हैं. सबूत मांगने की वजह से पाकिस्तान में भी मोदी सरकार को झूठा कहा गया, जिसके चलते भाजपा की ओर से कांग्रेस को पाकिस्तान प्रेमी कहा जा रहा है. कांग्रेस के कार्यकाल में पाकिस्तान की ओर से सीजफायर उल्लंघन होते रहे, सेना के जवानों का खूब बहता रहा, लेकिन यूपीए सरकार ने सेना को जवाब देने की इजाजत नहीं दी. वहीं जब पीएम मोदी की सरकार बनी तो सेना को खुली छूट दे दी गई. इन सभी को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी अपने भाषणों में सेना और शहीदों की खूब बात करते हैं, क्योंकि इससे लोगों की भावनाएं, लोगों की देशभक्ति जुड़ी है.

महामिलावट

पीएम मोदी हर मौके पर महामिलावट का जिक्र करते हैं. महामिलावट यानी गठबंधन. ऐसी पार्टियों का गठबंधन जो कभी एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे, लेकिन भाजपा को हराने के लिए साथ आ गए हैं. इनमें से ही एक है सपा-बसपा का गठबंधन. अभी यूपी में भाजपा को हराने के लिए सपा और बसपा ने हाथ मिला लिया है, लेकिन 1995 का गेस्ट हाउस कांड याद करें तो यही दोनों पार्टियां एक दूसरे के खून की प्यासी हो गई थीं. सपा के नेताओं में गेस्ट हाउस में बसपा के नेताओं को मार-मार कर लहू-लुहान कर दिया था, क्योंकि वह भाजपा से गठबंधन करने की सोच रहे थे. वहीं दूसरी ओर बसपा नेता मायावती, जिन्होंने सत्ता में आते ही सबसे पहले सपा नेताओं को जेल में भरना शुरू कर दिया था. अब दोनों साथ मिल गए हैं. पीएम मोदी महामिलावट की बात कर-कर के लोगों को ये बताना चाहते हैं कि इस तरह के गठबंधन सिर्फ अपने फायदे के लिए किए जाते हैं, ना कि जनता के फायदे के लिए.

पुरानी सरकारों का भ्रष्‍टाचार

पीएम मोदी समेत भाजपा का हर नेता ये कहने से नहीं चूकता कि पुरानी सरकारों ने सिर्फ भ्रष्टाचार किया है और जनता को लूटा है. अक्सर सुनने को मिल जाता है कि 70 साल तक कांग्रेस ने इस देश को लूटा है. वहीं दूसरी ओर, पीएम मोदी भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए उठाए गए कदमों की लिस्ट बताने से भी नहीं चूकते हैं. कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक के लिए नोटबंदी और जीएसटी जैसे सख्त कदम उठाए, जो करने की हिम्मत कांग्रेस में नहीं थी.

जो किया, मैंने किया

हर रैली और हर कार्यक्रम में पीएम मोदी सिर्फ पिछले 5 सालों की बात करते हैं. पिछले 70 सालों में देश में कोई विकास नहीं हुआ, सिर्फ पिछले 5 सालों में विकास हुआ. पिछले 5 सालों में पीएम मोदी ने जो-जो किया है वह सारे काम अपनी रैलियों में गिनाते हैं. भले ही बात जनधन खातों की हो या फिर जीएसटी-नोटबंदी की या फिर दुश्मन मुल्क पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करने की. सड़क से लेकर बिजली तक और सेना के लिए अहम कदम उठाने की सारी बातें पीएम मोदी जरूर बताते हैं. और जरूरी भी है, क्योंकि अगर लोगों को बार-बार ना बताया जाए तो लोग भूल जाते हैं. और अगर लोग भूल गए तो 2019 लोकसभा चुनाव में पुरानी उपलब्धियों को लोग नजरअंदाज कर देंगे.

इसलिए हर वोट मोदी को

पिछले लोकसभा चुनावों में मोदी का मुखौटा खूब दिखाई देता था. इस बार खुद पीएम मोदी ने अपने आप को सबके बीचरख दिया है. मोदी ये बात अच्छे से समझते हैं कि हर कोई उनसे खुश नहीं है. या यूं कहें कि भाजपा के कई नेताओं से वहां की जनता खुश नहीं है, जिन्हें इस बार भी लोकसभा चुनाव लड़ने का टिकट मिल गया है. इन नेताओं में कुछ से लोग खुश नहीं है, तो कुछ अधिक लोकप्रिय नहीं है, लेकिन पीएम मोदी अपनी रैलियों में लोगों से सीधे ये कहते दिख रहे हैं कि इस चुनाव में लोग मोदी के नाम पर वोट दें. यानी वो ये साफ कर रहे हैं कि उनके प्रतिनिधि के तौर पर सांसद के चुनाव में खड़े स्थानीय नेता कैसे भी हों, लेकिन उन्हीं के जीतने पर पीएम मोदी सत्ता में आएंगे. ऐसे में लोगों से वह अपने चेहरे पर वोट डालने को कह रहे हैं. वैसे भी, ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपने स्थानीय नेता से नाराज दिखते हैं, लेकिन पीएम मोदी से खुश हैं.

इतना ही नहीं, राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है' वाले नारे के खिलाफ चलाए अभियान को पीएम मोदी अपनी हर रैली में भुनाते दिख रहे हैं. सोशल मीडिया पर तो 'मैं भी चौकीदार' खूब चला, ट्विटर पर लोगों ने अपने नाम के आगे 'चौकीदार' लगा लिया. अब वह अपनी रैलियों में भी इस कैंपेन को आगे बढ़ा रहे हैं. हाल ही में मेरठ में हुई रैली में उन्होंने लोगों से नारे लगवाए. पीएम मोदी बोले 'मैं भी...' और जनता ने कहा 'चौकीदार हूं...'. इस तरह पीएम मोदी हर जगह जाकर वहां 'मैं भी चौकीदार' के नारे लगवाना चाहते हैं, ताकि कहीं पर भी अब राहुल गांधी 'चौकीदार चोर है' के नारे न लगवा सकें.

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