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Updated: 08 सितम्बर, 2022 01:43 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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उद्योगपति सायरस मिस्त्री की दुर्घटना में मौत की जांच हो रही है. जांच करने वाली सात सदस्यीय फोरेंसिक टीम ने जो निष्कर्ष निकाला है वो हैरान करके रख देने वाला है. फोरेंसिक टीम इस बात को लेकर एकमत है कि पुल के 'दोषपूर्ण डिजाइन' के कारण यह दुर्घटना हुई. हां, यदि पिछली सीट पर बैठे मिस्त्री ने मर्सिडीज-बेंज एसयूवी में सवार होते हुए सीट बेल्‍ट लगा ली होती, तो शायद उनकी जान बच जाती. 

लेकिन, इस दुर्घटना के बाद सारी चर्चा सीट बेल्‍ट पहनने और ना पहनने को लेकर हो रही है. ऐसा होना भी चाहिए. क्‍योंकि, सारा दारोमदार अब लोगों पर ही है कि वे अपनी जान बचाने का उपाय करें. क्‍योंकि, सरकार तो जानलेवा हाईवे और पुल बनाती रहेगी. सायरस मिस्त्री की मौत के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि वाहन में बैठे सभी यात्रियों के लिए सीटबेल्ट अनिवार्य होगी. मिस्त्री की मौत के बाद उनका वो ट्वीट जिसमें उन्होंने सीटबेल्ट को अनिवार्य करने और ऐसा न करने पर चालान की बात की थी, जमकर वायरल हो रहा है. गडकरी के ट्वीट पर भांति भांति की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और सायरस मिस्त्री की मौत पर लोगों के अपने तर्क हैं. 

मीडिया से मुखातिब हुए गडकरी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि "साइरस मिस्त्री के निधन के बाद आज सरकार ने पीछे की सीट पर बैठे यात्रियों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है. पीछे की सीट के लिए सीट बेल्ट जरूरी है. वहीं गडकरी ने ये भी कहा कि हमने निर्णय लिया है कि वाहनों में भी पीछे की सीटों के लिए सीटबेल्ट बीप सिस्टम होगा.'

Cyrus Mistry, Raod Accident, Death, Maharashtra, Safety, Nitin Gadkari, Seat Belt, Challan, BJPमिस्त्री की मौत के बाद क्या गडकरी दोषियों पर किसी तरह का कोई एक्शन लेंगे

टाटा ग्रुप के पूर्व चैयरमैन सायरस मिस्त्री की मौत के बाद सीटबेल्ट से लेकर सड़के और चालान तक तमाम चीजें चर्चा का विषय हैं. लोग जहां एक तरफ कार की खामियों की ओर इशारा कर रहे हैं तो वहीं ऐसे लोगों की भी संख्या खूब है जिन्होंने इस बात पर बल दिया है कि सीटबेल्ट धारण करना समस्या का समाधान नहीं है. लोग मान रहे हैं कि अगर मिस्त्री की मौत के बाद ये घोषणा हुई है तो इसका उद्देश्य बस इतना है कि सरकार चालान के नाम पर सिर्फ और सिर्फ ढेर सारा राजस्व जमा करना चाहती है. उसे आम लोगों और उनकी जिंदगी से कोई सरोकार नहीं है. 

मौत के बाद कहा ये भी जा रहा था कि गाड़ी के एयरबैग ने सही समय पर गाड़ी में बैठे लोगों का साथ नहीं दिया. इस पक्ष की जांच करते हुए टीम ने निष्कर्ष निकाला है कि दुर्घटना में शामिल वाहन पर तैनात सुरक्षा सुविधाओं ने अपना काम किया और गाड़ी के एयरबैग एक्सीडेंट के फ़ौरन बाद निकले. 

टीम, जिसे महाराष्ट्र पुलिस और राज्य परिवहन विभाग द्वारा कमीशन किया गया है, ने निष्कर्ष निकाला है कि कार ओवर स्पीडिंग कर रही थी. भले ही कार  की सटीक गति निर्धारित करने के लिए सॉफ्टवेयर सिमुलेशन और मॉडलिंगका इस्तेमाल किया जा रहा हो लेकिन घटना यदि हुई है तो इसका एकमात्र कारण ख़राब क्वालिटी का पुल है.

केंद्रीय मंत्री इस हादसे पर कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं. साथ ही वो सीटबेल्ट की महत्ता पर बल देते हुए 'भारी जुर्माने' की वकालत भी कर सकते हैं. चूंकि मौत की वजह ख़राब क्वालिटी का पुल है. ऐसे में सवाल ये है कि वो तमाम लोग जो इस पुल के निर्माण में शामिल थे क्या उनपर कोई सख्त एक्शन होगा? क्या वो भी 'भारी जुर्माना' देने में अपनी हिस्सेदारी देंगे? 

उपरोक्त सवालों के जवाब क्या हैं? उनपर  इसलिए भी चर्चा का बहुत ज्यादा स्कोप नहीं है क्योंकि हिंदुस्तान जैसे देश में ख़राब क्वालिटी के पुल या फिर गड्ढेदार सड़कें कोई नई बात नहीं हैं. रही बात हादसे की तो जिस देश में हर रोज 4 लाख से ऊपर सड़क दुर्घटनाएं हों और जिनमें लाखों लोग अपनी जान गंवा दें शायद ही किसी को कोई फर्क पड़ता. इस मामले में भी यदि कोई आपके हमारे जैसा मरता तो शायद ही मौत पर चर्चा होती. लेकिन चूंकि मौत किसी और की नहीं बल्कि सायरस मिस्त्री की थी इतना हो हल्ला मच गया. 

हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि इस मामले में भी मौत का कारण सीट बेल्ट या लापरवाही नहीं बल्कि ख़राब पुल है. लेकिन इसपर भविष्य में शायद ही कभी कोई बात हो. रही बात सीट बेल्ट न लगाने पर वसूले जाने वाले चालान की तो मिस्त्री की मौत तो गडकरी और उनके विभाग के लिए आपदा में अवसर थी. इस तरह के चालान की प्लानिंग अपना राजस्व भरने के लिए सरकार बहुत पहले ही कर चुकी थी. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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