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Updated: 22 अप्रिल, 2021 04:03 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
  @anuj4media
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कोरोना महामारी की दूसरी लहर में देश के अलग-अलग हिस्सों से लगातार परेशान करने वाली खबरें आ रही हैं. परिजनों की जान बचाने की प्रक्रिया में ऑक्सीजन के लिए लोग शहरों में खाक छान रहे हैं. एम्बुलेंस की कमी है. सड़क पर ही लोग ऑक्सीजन लगाकर जाते दिख रहे हैं. संक्रमण और दुर्घटनाओं से हुई मौतें, अस्पताल से लगातार आ रही खौफनाक तस्वीरों ने विदेशी मीडिया का ध्यान खींचा है. भारत का हेल्थ सिस्टम और राजनीति उनके निशाने पर है. अस्पतालों में मरीजों को बेड की किल्लत, हिंदू तीर्थस्थलों में भीड़ और कोरोना से जंग के खिलाफ भारतीय नेताओं की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार के रवैये को भी दोहरा बताया गया है. पिछले तीन दिनों में भोपाल, नासिक और दूसरे कई शहरों में ऑक्सीजन से जुड़ी दुर्घटनाओं में दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है.

महाराष्ट्र के नासिक में ऑक्सीजन दुर्घटना में हुई मौतों को न्यूयॉर्क टाइम्स ने 'कोविड 19 अस्पताल' की "हत्या" करार दिया है. रिपोर्ट में लिखा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दबाव में भारत का हेल्थ सिस्टम पूरी तरह से फेल हो चुका है. संक्रमण के मामले रोजाना रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रहे हैं और दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर हिंदू त्योहारों को लगातार जारी रखने से सरकार (केंद्र) लोगों के निशाने पर है.

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न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा- अस्पताल में (नासिक के) ऑक्सीजन लीक के बाद सप्लाई में बाधा आई. गंभीर रूप से बीमार दर्जनों मरीज ऑक्सीजन नहीं ले पाए. मीडिया के जरिए आई तस्वीरों में दिखा कि मरीजों के तीमारदार वार्डों में घुस गए. बदहवास नर्सें मरीजों की छाती को दबा रही थीं. समूचे भारत में अस्पताल बहुत ज्यादा ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं. कई अस्पतालों ने आधिकारिक रूप से कह भी दिया है कि उनके पास कुछ ही घंटों का ऑक्सीजन बैकअप है.

प्रधानमंत्री मोदी का रवैया दोहरा

रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रवैये पर भी आलोचकों के हवाले से सवाल उठाते हुए लिखा कि कोरोना से जंग में मोदी के मिले-जुले संदेश भी खराब हालत की एक वजह गिनाया है. मंगलवार को मोदी ने ज्यादा सावधानी, सरकार के प्रयास और दूसरी हिदायतें दी लेकिन लॉकडाउन को अंतिम विकल्प बताया. जबकि खुद मोदी का राज्यों के विधानसभा चुनाव में रैलियां करना और सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर हिंदू त्योहारों खासकर हरिद्वार में कुम्भ मेले को जारी रखना संक्रमण फैलाव का बहुत बड़ा कारण है.

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मोदी की अपील (हरिद्वार कुंभ) के बावजूद बुधवार को हरिद्वार में 70 हजार श्रद्धालु गंगा में पवित्र डुबकी लगाने पहुंचे. अबतक एक करोड़ लोगों के वहां पहुंचने के बात सामने आई है. हालांकि प्रशासन ने तमाम प्रोटोकॉल फॉलो करने की बात कही लेकिन मेले से बिना मास्क और दूसरी गाइडलाइन टूटने की तस्वीरें भी सामने आई हैं.

द डान ने भी मोदी के मैनेजमेंट पर उठाए सवाल

पाकिस्तान के "द डान" ने भी महामारी की दूसरी लहर को लेकर मोदी के प्रबंधन पर सवाल उठाते हुए लिखा- एक तरफ बेतहाशा मामले बढ़ रहे हैं और भारत के राजनेता राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी-बड़ी रैलियां कर रहे हैं. अस्पताल में बिस्तरों की कमी, मेडिकल ऑक्सीजन सिलिंडर और दवाओं की कमी को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों के शिकायतों की भरमार है.

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लोगों का समूह हेल्पलाइन और दूसरे मददगार नंबरों को साझा कर रहा है. धार्मिक आयोजनों और चुनावी रैलियों में हजारों लोगों की मौजूदगी को लेकर आलोचनाएं बढ़ती जा रही हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी प्रशासन भारत में महामारी की दूसरी लहर से कैसे निपट रहा है? भारत के गृहमंत्री अमित शाह समेत तमाम नेता रोड शो और जनसभाएं करते देखे जा रहे हैं. द डान की ये रिपोर्ट दो दिन पहले पब्लिश हुई है. एक ताजा रिपोर्ट में श्मशान घाटों पर बड़े पैमाने पर हो रहे अंतिम संस्कार पर भी कहानी है.  

वाशिंगटन पोस्ट ने दिल्ली की हालत बताई 

भारतीय मीडिया के हवाले से छपी एक रिपोर्ट में वाशिंगटन पोस्ट ने भी ऑक्सीजन दुर्घटना से हुई मौतों को अस्पताल की हत्या करार दिया. लिखा- पश्चिम भारत में अस्पताल ने 22 कोरोना संक्रमित मरीजों की हत्या कर दी. वायरस की दूसरी लहर में भारत जूझ रहा है. रिपोर्ट में राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन किल्लत को पॉइंट आउट किया गया है. और हालत के पीछे लगभग उन्हीं चीजों को जिम्मेदार बताया जा रहा है जिसे दूसरे विदेशी मीडिया दोहरा रहे हैं.

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अल जजीरा ने दूसरी लहर को अमानवीय बताया

भारत में दूसरी लहर पर आधारित कई रिपोर्ट्स हैं. एक फोटो स्टोरी में अल जजीरा ने कहा कि भारत के आगे एक बड़ी लड़ाई है. मौजूदा हालात के मद्देनजर दिल्ली में नवंबर से जारी किसान आंदोलन और दूसरे धार्मिक-राजनीतिक आयोजनों में जुट रही बी हीड को फोकस किया है. अन्य विदेशी मीडिया हाउसेज की तरह खस्ता हेल्थ केयर सिस्टम और राजनीतिक अप्रोच पर भी सवाल खड़े किए. नासिक के अस्पताल में मौतों से जुड़ी एक दूसरी रिपोर्ट में अलजजीरा ने दूसरी महामारी की इस लहर को 'अमानवीय' बताया है.

श्मशान घाट में 14-14 घंटे की शिफ्ट में काम कर रहे कर्मचारी

जर्मनी की डायचे वेले ने भी महामारी की दूसरी लहर पर कई रिपोर्ट्स की हैं. इनमें अस्पतालों की लचर व्यवस्था को पॉइंट आउट किया गया है. भावुक तस्वीरों के साथ पब्लिश रिपोर्ट में कहा कि अस्पतालों में रिसोर्स की कमी से जरूरतमंदों को सही समय पर मेडिकल रेस्पोंस मिलने में बाधा आ रही है. मरीजों के रिश्तेदार दवाओं और ऑक्सीजन के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. मौतों के आंकड़े बढ़ने के बाद श्मशान घाटों में वर्कस को 14 घंटे से ज्यादा की शिफ्ट में काम करना पड़ रहा है.

बीबीसी, द गार्डियन, फॉक्स न्यूज, डेली मेल जैसे दूसरे तमाम विदेशी मीडिया प्लेटफॉर्म ने भी भारत में दूसरी लहर के बाद की लगभग इन्हीं पॉइंट्स को लेकर खबरें की हैं.

(सभी तस्वीरें इंडिया टुडे से)

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लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

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