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Updated: 02 मई, 2020 08:04 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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एक-एक करके हर वर्ग के कोरोना फाइटर्स (Corona fighters) खतरे में घिरते नजर आ रहे हैं. लड़ाई लड़ने वाले ही खतरें में पड़ते दिखेंगे तो आम जनता कैसे महफूज होगी? इस मुसीबत में गरीबों की मदद के लिए सरकार ने आर्थिक पैकेज की सराहनीय पहल की, किंतु जंग-ए-कोरोना (War Against Corona) के जांबाज सैनिकों के लिए कोई विशेष गंभीर क़दम नहीं दिखाई पड़ रहे हैं. जिसके गंभीर नतीजे दिख रहे हैं, इलाज करने वाले ही बीमार होने लगे. लॉकडाउन (Lockdown) को अंजाम देने वाले पुलिसकर्मी वायरस से खुद असुरक्षित होते जा रहे हैं. संक्रमित डिलेवरी मैंन की फूड डिलेवरी मौत परोस रही है. खतरों के बियाबान में निकल कर कोरोना से लड़ने के हथियारों (एहतियातों)के प्रति जनता को जागरुक करने, सूचनाएं पंहुचाने और ख़बर देने वाले पत्रकार अब खुद खबर बनते जा रहे हैं. कोरोना की खबरें देने वाले कई फील्ड रिपोर्ट्स कोरोना पॉजटिव पाये जा रहे हैं.

Coronavirus, Lockdown,Corona Warriors, Doctors   इस मुश्किल वक़्त में हमें उन कोरोना फाइटर्स को नहीं भूलना चाहिए जो हमारे लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं

महीना भर से अधिक समय से नब्बे प्रतिशत जनता तो लॉकडाउन के सुरक्षा कवच में है. लेकिन भारतीय समाज की करीब दस फीसदी जनता जो कोरोना सेनानी है ये सब मौत के मुंह में रहकर देश की जनता को मौत के मुंह से निकालने का प्रयत्न कब तक करती रहेगी? डाक्टर, पुलिस, पत्रकार और आवश्यक सामग्री पंहुचाने वाले तेजी से संक्रमित हो रहे हैं. सफाई कर्मियों के बारे में कोई बुरी खबर नहीं आयी है.

शायद वजह ये हो कि इनकी जांच की किसी ने जरुरत महसूस नहीं की है. जबकि गली-मोहल्लों में जाकर सफाई जैसी अत्यंत महत्वपूर्ण सेवाएं देने वाले सफाईकर्मियों का कोरोना टेस्ट होना बेहद जरुरी है. अपनी जान की बाजी लगाकर कोरोना से जंग लड़ रहे सभी कोरोना सेनानी लॉकडाउन के सुरक्षा घेरे से बाहर राष्ट्रसेवा और जनसेवा का निर्वाहन कर रहे हैं. खतरों से भरे मैदाने जंग में डाक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ अस्पतालों में वायरस पीड़ितों या संदिग्धों से सीधे रूबरू होकर इनका इलाज कर रहे हैं.

इस दौरान देश के तमाम राज्यों से खबरें आ रही हैं कि इलाज करने वाले कई डॉक्टर खुद बीमार हो गये. पैरा मेडिकल स्टॉफ और चिकित्सकों के कोरोना संक्रमित होने की खबरों के बाद अब इनकी शहादत की भी खबरें दिल दहलाने लगी हैं. इसी तरह कोविड 19 के खिलाफ लड़ाई में लॉकडाउन की सख्त जिम्मेदारी निभाने वाले देश के लाखों पुलिसकर्मियों का योगदान भी कुछ कम नहीं है. लॉकडाउन के जरिये वायरस की कड़ियों को तोड़ने और इसे तेजी से नहीं फैलने देने की कोशिशें किसी हद तक सफल भी रहीं.

इस आंशिक सफलता के पीछे देश के सुरक्षाकर्मियों की कड़ी मेहनत, संघर्ष, त्याग-समर्पण और निष्ठा नज़र आ रही है. पुलिसकर्मी राष्ट्रहित, समाजहित और अपने प्रोफेशन के प्रति वफादारी निभा रहे हैं. देश के तमाम नासमझ लोगों और सख्त मौसम को किस तरह झेलकर ये जांबाज़ लॉकडाउन को सफल बना रहे हैं. इसी तरह इस कोरोना काल में अपना कर्तव्य निर्वाहन कर रहे देश के हजारों पत्रकार भी जान पर खेल कर रिपोर्टिंग कर रहे हैं. जिस दौरान मुंबई में रिपोर्टिंग कर रहे फिट एंड फाइन पत्रकारों ने जब अपनी कोरोना जांच करायी तो दर्जनों पत्रकार संक्रमित पाये गये.

चिंताजनक बात ये है कि ये पत्रकार पूरी तरह से हष्टपुष्ट लग रहे थे और इनमें कोई भी लक्षण नहीं था. इसी तरह अब यूपी और अन्य प्रदेशों के कोरोना फाइटर पत्रकार निगेटिव पाये जा रहे हैं. ये अच्छी बात है कि इस बात को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार गंभीर हो गई और सैकड़ों फील्ड रिपोर्टर्स के टेस्ट का सिलसिला शुरु किया.

गौरतलब है कि कोरोना महामारी की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों के टेस्ट और बीमा की मांग उ.प्र. राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति और आईएफडब्ल्यूजेयू ने की थी. इसी तरह डाक्टर और पैरामेडिकल स्टॉप लगातार सरकारों से अपनी सुरक्षा की मांग कर रहा है.

इलाज करने के दौरान चिकित्सा कर्मचारियों और डाक्टरों के पास पीपीई किट जैसे पर्याप्त संसाधन सरकारें अभी पर्याप्त मात्रा में मोहय्या नहीं कर सकी हैं. जिसके कारण कई अस्पतालों में मेडिकल स्टॉफ को पीपीई किट के स्थान पर बरसाती का उपयोग करते देखा गया. इसी तरह पुलिसकर्मियों को भी सख्त ड्यूटी के दौरान कई जगह उनकी प्राथमिक जरुरतों का भी इंतजाम नहीं हो पा रहा है.

कोरोना वायरस का एक खतरनाक रूप ये भी सामने आ चुका है कि कई लोग बिना लक्षण के भी संक्रमित पाये गये हैं इसलिए हर कोरोना सेनानी का टेस्ट होना बेहद जरूरी है, लेकिन ड्यूटी पर तैनात हर पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मीं, मेडिकल स्टाफ, आवश्यक सामग्री पंहुचाने वालों और सफाईकर्मियों का कोरोना टेस्ट, जरुरी संसाधन और इंशोरेंस का इंतज़ाम बेहद ज़रूरी है. कोरोना सेनानियों के लिए ये सब सुरक्षा के संसाधन ताली और थाली जैसे पब्लिक के प्रोत्साहन से ज्यादा अहम हैं.

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नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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