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Updated: 13 अप्रिल, 2021 04:56 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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असम विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली है. एआईयूडीएफ के बदरुद्दीन अजमल ने इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाया है. बावजूद इसके भाजपा के ऑपरेशन लोटस का डर विपक्षी पार्टियों में इस कदर घर कर चुका है कि असम में कांग्रेस गठबंधन के विधायक प्रत्याशियों को राजस्थान के होटल फेयरमॉन्ट पहुंचा दिया गया है. चुनाव परिणाम आने से पहले विधायक प्रत्याशियों को इस तरह रिसॉर्ट भेजने का यह पहला मामला कहा जा सकता है. राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार है और कांग्रेस को भरोसा है कि ऑपरेशन लोटस यहां सफल नहीं हो पाएगा. कांग्रेस और एआईयूडीएफ में ऑपरेशन लोटस की संभावना के डर का अंदाजा कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के बयान से लगाया जा सकता है. सुरजेवाला ने विधायक उम्मीदवारों को राजस्थान शिफ्ट करने के सवाल पर कहा कि इसका जवाब हेमंत बिस्व सरमा और सर्बानंद सोनोवाल दे सकते हैं. इस बयान से साफ है कि ऑपरेशन लोटस का डर कांग्रेस गठबंधन में चुनाव परिणाम से पहले ही घर कर चुका है.

ऑपरेशन लोटस का डर कांग्रेस गठबंधन में चुनाव परिणाम से पहले ही घर कर चुका है.ऑपरेशन लोटस का डर कांग्रेस गठबंधन में चुनाव परिणाम से पहले ही घर कर चुका है.

ऑपरेशन लोटस के बाद से देश में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स काफी बढ़ गई है. कर्नाटक, गोवा, पुदुचेरी में ऑपरेशन लोटस कामयाब रहा है. मध्य प्रदेश में तो ऑपरेशन लोटस की वजह से कमलनाथ सरकार मुंह के बल गिर पड़ी थी. राजस्थान में भी कुछ ऐसे ही प्रयास किए गए थे, लेकिन भला हो कांग्रेस नेतृत्व का जो वक्त रहते संभल गए और गहलोत सरकार बच गई. राजस्थान में हुई बगावत के समय भी विधायकों को होटल फेयरमॉन्ट में रखा गया था और गहलोत सरकार गिरने से बच गई थी. इस स्थिति में कहा जा सकता है कि होटल फेयरमॉन्ट भाजपा के ऑपरेशन लोटस से बचने के लिए एक सबसे सुरक्षित जगह है.

विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के कुछ दिनों बाद ही असम में भाजपा की सहयोगी पार्टी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने एनडीए से अलग होकर कांग्रेस गठबंधन को मजबूत करने का फैसला लिया था. इस स्थिति में ये कहा जा सकता है कि भाजपा के लिए इस बार सत्ता की कुर्सी में काफी रोड़े आ सकते हैं. असम में एनआरसी समेत कई मुद्दों पर चुनाव लड़ा जा रहा है. लेकिन, इन सभी मुद्दों को पछाड़ने में पुराने कांग्रेसी रहे और वर्तमान में सोनोवाल सरकार के मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा को अच्छी तरह से आता है. कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने के बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने ही भाजपा को सत्ता के रास्ते पर आगे बढ़ाया था. असम की सत्ता में भाजपा को लाने का श्रेय हिमंत बिस्व सरमा को ही जाता है. असम में भाजपा के चुनावी रणनीतिकार के तौर पर हिमंत का कद लगातार बढ़ा है. इस वजह से कांग्रेस गठबंधन में डर है कि ऑपरेशन लोटस में हिमंत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. जिसे देखते हुए कांग्रेस गठबंधन ने पहले ही अपने विधायक प्रत्याशियों को राजस्थान के होटल फेयरमॉन्ट भेज दिया है.

कांग्रेस गठबंधन में डर है कि ऑपरेशन लोटस में हेमंत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.कांग्रेस गठबंधन में डर है कि ऑपरेशन लोटस में हेमंत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

वैसे, भाजपा की ओर से अब तक जितनी बार भी ऑपरेशन लोटस चलाया गया है, उसका सक्सेस रेट काफी ज्यादा है. राजस्थान की गहलोत सरकार और महाराष्ट्र को छोड़ दिया जाए, तो ऑपरेशन लोटस के फेल होने के मौके कम ही रहे हैं. कांग्रेस गठबंधन ने भले अभी से ही विधायक प्रत्याशियों को राजस्थान शिफ्ट कर दिया हो, लेकिन 2 मई को नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा कि भाजपा को ऑपरेशन लोटस चलाने की जरूरत पड़ेगी या नहीं. चुनावी नतीजों के बाद ऑपरेशन लोटस चलाने में भाजपा का कोई सानी नही है. ऑपरेशन लोटस में कोई न कोई तिकड़म भिड़ाकर भाजपा सरकार में आ ही जाती है. कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है. कुमारस्वामी सरकार 14 महीनों बाद गिरी थी और भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने कमान संभाली थी. ऑपरेशन लोटस को 2004 में पहली बार कर्नाटक में चलाया गया था. ऑपरेशन लोटस में कुछ विधायकों को इस्तीफा देना होता है और वो उपचुनाव में फिर से निर्वाचित होकर सरकार बनाने वाले दल का साथ दे देते हैं.

देश का सबसे पुराना राजनीतिक दल सरकार बनाने के मामले में केवल 5 राज्यों में सिमट चुका है. तीन राज्यों राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. वहीं, झारखंड और महाराष्ट्र में वह साझा सरकार का हिस्सा है. इस स्थिति में असम को लेकर वह कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं. पुदुचेरी में जो हुआ, उसके बाद कांग्रेस नेतृत्व कहीं से भी कमजोर नहीं पड़ना चाहता है. हालांकि, ऑपरेशन लोटस कांग्रेस की सरकार बनने के कुछ महानों बाद भी चल सकता है. फिलहाल कांग्रेस ने अपने अभेद्य किले होटल फेयरमॉन्ट में विधायक प्रत्याशियों को शिफ्ट कर दिया है और यह काफी हद तक ऑपरेशन लोटस से बचने का कारगर उपाय लग भी रहा है. पूरी स्थिति 2 मई को चुनावी नतीजे आने के बाद ही साफ हो पाएगी कि असम में ऑपरेशन लोटस चलता है या फेल होता है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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