New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 28 नवम्बर, 2018 01:51 PM
रमेश सर्राफ धमोरा
रमेश सर्राफ धमोरा
  @ramesh.sarraf.9
  • Total Shares

राजस्थान में आगामी सात दिसंबर को होने जा रहे 15वीं विधानसभा के चुनाव में भाजपा व कांग्रेस दोनों पार्टियों को ही अपने बागियों से नुकसान उठाना पड़ रहा है. कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को अपने बागियों से कम नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि भाजपा ने नाम वापसी के अंतिम समय तक कई प्रभावशाली बागियों को मना कर उनका नामांकन फार्म उठवाने में सफल रही, जबकि कांग्रेस में तालमेल की कमी के चलते ऐसा कर पाने में सफल नहीं हो पायी.

टिकिट न मिलने की वजह से भाजपा से जुड़े करीब 12 प्रतियाशी अब नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि कांग्रेस के 30 प्रत्याशी ऐसे हैं जो टिकिट कटने पर निर्दलीय या किसी और पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं.

भाजपा के ये 12 बागी कहीं खेल न बिगाड़ दें-

भाजपा के कई वर्तमान मंत्री व विधायकों ने अपनी टिकट कटने से नाराज होकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा रखा है. भाजपा सरकार में मौजूदा मंत्री सुरेन्द्र गोयल ने जैतारण से, हेमसिंह भडाना ने थानागाजी से, राज्यमंत्री राजकुमार रिणवा ने रतनगढ़ से, धनसिंह रावत ने बांसवाड़ा से अपनी टिकट कटने के बाद निर्दलीय ताल ठोक रखी है. पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर ने श्री गंगानगर से, विधायक मंगलाराम नाई श्रीडूंगरगढ़ से, लक्ष्मीनारायण दवे मारवाड़ जंक्शन से, रामेश्वर भाटी सुजानगढ़ से, अनिता कटारा सांगवाड़ा से, भाजपा महामंत्री कुलदीप धनखड़ विराटनगर से, जयपुर देहात भाजपा अध्यक्ष दीनदयाल कुमावत फुलेरा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

ghanshyam tiwariभाजपा के बागी विधायक घनश्याम तिवाड़ी अपनी अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रहे हैं

भाजपा ने अपने इन सभी 11 नेताओं को दलविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण पार्टी से निकाल दिया है. भाजपा के बागी विधायक घनश्याम तिवाड़ी पहले ही अपनी अलग पार्टी बना कर चुनाव लड़ रहे हैं. उनकी पार्टी के चिन्ह पर भाजपा में टिकट से वंचित रहे मंगलाराम नाई, अनिता कटारा चुनाव लड़ रही हैं.

भाजपा के मुकाबले कांग्रेस में बागियों की संख्या दुगुनी से भी ज्यादा है

कांग्रेस के पूर्व केन्द्रीय मंत्री व खण्डेला से कई बार विधायक रहे महादेवसिंह खण्डेला ने अपना टिकट कटने पर पार्टी से बगावत कर निर्दलीय ताल ठोक दी है. महादेव सिंह ने 1993 में भी पार्टी टिकट कटने पर निर्दलीय चुनाव लडकर जीत दर्ज की थी. महादेव सिंह की बगावत से भाजपा प्रत्याशी व लगातार दो बार चुनाव जीत चुके बंसीधर बाजिया को लाभ होता नजर आ रहा है.

राजस्थान की पूर्व उपमुख्यमंत्री व त्रिपुरा, गुजरात व मिजोरम की राज्यपाल रह चुकीं कमला के पुत्र आलोक का शाहपूरा से कांग्रेस टिकट काट दिया गया है. अब आलोक वहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं जिससे कांग्रेस प्रत्याशी मनीष यादव मुश्किल में घिरे हुये नजर आ रहे हैं. कमला के बेटे के निर्दलीय चुनाव लडऩे से भाजपा प्रत्याशी व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह आश्वस्त नजर आ रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जगन्नाथ पहाडिय़ा के पुत्र संजय पहाडिय़ा को टिकट नहीं दिया गया है. जबकि पहाडिय़ा राजस्थान के मुख्यमंत्री, 1957 से 1977 तक केन्द्र में मंत्री, बिहार व हरियाणा के राज्यपाल, कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री जैसे पदों पर रह चुके हैं.

harendra mirdhaहरेन्द्र मिर्धा का टिकिट काटना कांग्रेस को महंगा पड़ सकता है

कांग्रेस ने दूसरी बार राजस्थान में जाट राजनीति के पुरोधा रहे स्व. बलदेव राम मिर्धा के पोते व परसराम मदेरणा के दामाद हरेन्द्र मिर्धा का टिकट काटकर आ बैल मुझे मार वाली बात कर दी है. हरेन्द्र मिर्धा के पिता रामनिवास मिर्धा कभी नेहरू, गांधी परिवार के करीबी होते थे तथा 1952 की पहली विधानसभा का चुनाव जीतकर राजस्थान की पहली सरकार में मंत्री बने थे. वे दस वर्ष तक राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष रहे तथा एक विधायक की कमी से राजस्थान का जाट मुख्यमंत्री बनने से चूक गये थे. रामनिवास मिर्धा राज्यसभा के उपसभापति व केन्द्र सरकार में वर्षो मंत्री भी रहे थे. हरेन्द्र मिर्धा नागौर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक रहे हैं. उनके परिवार का मारवाड़ में खासा असर माना जाता है. हरेन्द्र की बगावत से कांग्रेस को नागौर जिले की कई सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है.

दूदू (सुरक्षित)सीट पर पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर का टिकट कटने से वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी रितेश बैरवा की राह में कांटे बिछा दिये हैं. अब दूदू सीट पर मुकाबला भाजपा के प्रेमचन्द बैरवा व निर्दलीय बाबूलाल नागर के बीच होना तय माना जा रहा है. कठूमर (सुरक्षित) सीट से पूर्व विधायक रमेश खींची कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं जिससे कांग्रेस प्रत्याशी बाबूलाल की जीत मुश्किल हो गयी है. रायसिंह नगर (सुरक्षित)सीट पर पूर्व विधायक सोहनलाल नायक को कांग्रेस टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय ताल ठोक कर कांग्रेस से बगावत कर कांग्रेस प्रत्याशी सोनादेवी बावरी को हरवा रहे हैं.

बामनवास से पूर्व विधायक नवलकिशोर मीणा कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़कर कांग्रेस की इन्द्रा को हरवाने का प्रयास कर रहे हैं. किशनगढ़ से पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया कांग्रेस से बगावत कर मैदान में उतर गये हैं. वहां से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे नन्दाराम की राह मुश्किल हो रही है. मारवाड़ जंक्शन से पूर्व विधायक खुशवीरसिंह जोजावर बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं. वहां कांग्रेस के जैसाराम राठौड़ को दिक्कत होगी. सिरोही से दो बार कांग्रेस के विधायक रहे संयम लोढ़ा कांग्रेस टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. यहां से कांग्रेस के जीवाराम आर्य व भाजपा के मंत्री ओटाराम देवासी के मध्य मुकाबला होगा.

सीकर जिले की नीमकाथाना सीट पर पूर्व विधायक मोहन मोदी के पुत्र सुरेश मोदी कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उनके सामने पूर्व में कांग्रेस से विधायक रहे रमेश खंडेलवाल हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से चुनाव मैदान में हैं. इससे कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश मोदी की स्थिति कमजोर हो रही है. तारानगर सीट पर पूर्व वित्त मंत्री चन्दनमल बैद के पुत्र व पूर्व विधायक डा. सी एस बैद निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं जिससे कांग्रेस प्रत्याशी नरेन्द्र बुडानिया के सामने संकट पैदा कर दिया है. फतेहपुर से निर्दलीय विधायक नन्दकिशोर महरिया कांग्रेस टिकट मांग रहे थे मगर कांग्रेस ने दिवंगत पूर्व विधायक भंवरू खान के भाई हाकम अली को प्रत्याशी बनाया है. नन्दकिशोर अब फिर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. जिससे हाकमअली का जीतना मुश्किल लग रहा है.

कांग्रेस के अन्य कई नेता पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं जिनमें पार्टी को नुकसान हो रहा है. जिनमें प्रमुख रूप से ओम विश्नोई, राजकुमार गौड़, पृथ्वीपाल सिंह संधू, पूसाराम गोदारा, सन्तोष मेघवाल, लक्ष्मण मीणा, दीपचन्द खैरिया, पूर्व जिला प्रमुख अजीत सिंह महुआ, जगन्नाथ बुरडक़, प्रदेश कांग्रेस के सचिव राजेश कुमावत, भीमराज भाटी, प्रदेश कांग्रेस महासचिव सुनीता भाटी, प्रदेश कांग्रेस सचिव जगदीश चौधरी, पंचायत समिति प्रधान रेशमा मीणा, राजस्थान घुमनतु अद्र्व घुमन्तु बोर्ड के अध्यक्ष रहे गोपाल केशावत, बूंदी जिला कांग्रेस के अध्यक्ष सी एल प्रमी ने पार्टी से बगावत कर चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. कांग्रेस व भाजपा को अपने ही वरिष्ठ नेताओं की बगावत का सामना करना पड़ रहा है. जिसका खामियाजा तो दोनों पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशियों को ही उठाना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें-

राजस्थान में राहुल का 'गोत्र दांव' !

जैसी घोर राजनीति टोंक सीट को लेकर हुई, उतनी कहीं और भी हुई क्या?

दिग्विजय की राह पर सीपी- क्या राहुल की सोहबत में खोट है

लेखक

रमेश सर्राफ धमोरा रमेश सर्राफ धमोरा @ramesh.sarraf.9

(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होतें रहतें हैं।)

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय