New

होम -> सियासत

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 29 नवम्बर, 2022 02:02 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
  • Total Shares

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा सियासी घमासान अपने चरम पर पहुंच चुका है. बीते दिनों सीएम अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को 'गद्दार' बताते हुए किसी भी हाल में मुख्यमंत्री न बनने देने की बात कही थी. जिसके जवाब में सचिन पायलट ने कहा था कि अनुभवी व्यक्ति को ऐसी भाषा शोभा नहीं देती है. आसान शब्दों में कहें, तो भले ही अशोक गहलोत अपनी भावनाओं पर काबू न रख सके हों. लेकिन, सचिन पायलट ने शांति बनाए रखी थी. जिसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने राजस्थान में 'कड़े फैसले' लेने से न हिचकने की बात कहकर साफ कर दिया है कि अशोक गहलोत अगर पार्टी लाइन से दाएं-बाएं होंगे. तो, उन पर कांग्रेस आलाकमान गाज गिराने में समय नहीं लगाएगा.

Congress gave straight warning to Rajasthan CM Ashok Gehlot after Bharat Jodo Yatra Sachin Pilot will be CMसीएम पद से अशोक गहलोत की छुट्टी तो पहले ही तय हो गई थी. बस फैसले के लिए सही समय का इंतजार किया जा रहा था.

इस बात में शायद ही कोई दो राय होगी कि अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर पार्टी आलाकमान यानी गांधी परिवार राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर सचिन पायलट को ही लाने की कोशिश कर रहा था. जिसमें गहलोत खेमे के विधायकों की बगावत ने अड़ंगा डाल दिया. लेकिन, ऐसा नहीं है कि बगावत की वजह से कांग्रेस आलाकमान ने अपना ये विचार पूरी तरह से त्याग दिया है. दरअसल, अशोक गहलोत को गुजरात में कांग्रेस प्रभारी बनाकर भेजा जाना कांग्रेस आलाकमान की रणनीति का ही हिस्सा है. दरअसल, गांधी परिवार चाहता है कि एक बार भारत जोड़ो यात्रा पूरी हो जाए. फिर वो अशोक गहलोत को लेकर निर्णय ले सकेगा. क्योंकि, राजस्थान में गहलोत खेमे के कई विधायक भी धीरे-धीरे कांग्रेस आलाकमान के फैसले को ही मानने की बातें करने लगे हैं.

आसान शब्दों में कहें, तो राजस्थान में सचिन पायलट के पक्ष में अंदरखाने ही विधायकों को जुटाने का काम चल रहा है. और, इसके लिए पायलट खेमे के पास भारत जोड़ो यात्रा के खत्म होने तक का समय है. वैसे, जिस तरह के सियासी हालात राजस्थान में बने हुए हैं. उसे देखकर कहना गलत नहीं होगा कि अशोक गहलोत को मिली 'कठोर' चेतावनी पर अमल भारत जोड़ो यात्रा तक ही टला है. और, संभव है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के कुछ दिनों के अंदर ही इस पर फैसला ले लिया जाए. क्योंकि, प्रभारी के तौर पर गुजरात की हार का भार अशोक गहलोत को ही उठाना पड़ेगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय