New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 01 मई, 2021 11:49 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
  @anuj4media
  • Total Shares

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प मुकाबला पश्चिम बंगाल में हैं. हो भी क्यों ना. नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में महज सात सालों में भाजपा वाम पार्टियों और कांग्रेस को पछाड़ते हुए राज्य के सत्ता की रेस में आ चुकी है. पश्चिम बंगाल में भी नंदीग्राम वो सीट है जहां के नतीजों पर इस वक्त पर समूचे देश की निगाहें हैं. यहां से टीएमसी चीफ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं. उनका मुकाबला किसी और से नहीं कभी बेहद भरोसेमंद रहे पूर्व साथी और ताकतवर विधायक शुभेंदु अधिकारी से है.

दो मई को मतगणना है. मतगणना से पहले सभी एग्जिट पोल्स आ चुके हैं. पोल्स में टीएमसी और भाजपा के बीच जबरदस्त लड़ाई दिख रही है. कुछ में तो ममता, बंगाल की सत्ता गंवाती नजर आ रही हैं. नंदीग्राम विधानसभा के एक एग्जिट पोल (इंडिया टीवी) में मुख्यमंत्री खुद पूर्व राइटहैंड से हारती दिख रही हैं. अगर ऐसा हुआ तो भवानीपुर विधानसभा की सीट छोड़ना ममता के जीवन की सबसे बड़ी राजनीतिक भूलों में गिनी जाएगी. एक दशक पहले सिंगूर, लालगढ़ और नंदीग्राम से ही वाम सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर टीएमसी चीफ ने कई दशक बंगाल पर एकछत्र वाम शासन का बेहद बुरा अंत किया था. बंगाल का इतिहास एक बार फिर घूमकर फिर उसी नंदीग्राम के मुहाने पर खड़ा है. ममता राजनीति की अपनी सर्वोच्च जगह से नीचे गोता लगाते नजर आ सकती हैं.

वैसे कई और सर्वे आए हैं जिनमें ममता बनर्जी की जीत के अनुमान लगाए गए हैं. नतीजों से ठीक पहले तक भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि ममता चुनाव हारने जा रही हैं. खुद शुभेंदु अधिकारी ने भी दावा किया था कि वो 50 हजार वोट से नंदीग्राम जीत जाएंगे. आखिर नंदीग्राम के संग्राम में ऐसा क्या रहा जो ममता के सामने हार का संकट खड़ा नजर आने लगा है. शुभेंदु अधिकारी का चुनाव प्रबंधन संभालने वाले भाजयुमो के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोरंजन मिश्रा ने "आइचौक" से हार के दावे को दोहराते हुए नंदीग्राम में भाजपा की कैम्पेन रणनीतियों पर बात की.

untitled-2-650_050121110540.jpg

शुभेंदु अधिकारी चुनाव से कुछ महीने पहले (दिसंबर 2020 में) भाजपा में शामिल हुए थे. मनोरंजन ने बताया- "मैं कुछ साथियों के साथ मार्च की शुरुआत में नंदीग्राम पहुंच गया था. पार्टी ने पहले ही बंगाल की सभी विधानसभा सीटों को अलग-अलग जोन में बांट दिया था जिनका नेतृत्व केंद्रीय स्तर के नेता कर रहे थे. नंदीग्राम विधानसभा, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अधीन थी. पहले से ही यहां पार्टी का मजबूत संगठनिक ढांचा था. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती थी पुराने कार्यकर्ताओं के साथ टीएमसी से बड़े पैमाने पर आए कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बिठाना."

नदीग्राम में कांग्रेस-लेफ्ट के कार्यकर्ता भी भाजपा साथ आए

"शुभेंदु पहले भाजपा के विरोध में थे. पार्टी के कार्यकर्ताओं में मन में भी कुछ ना कुछ चल रहा था. इसलिए दोनों कार्यकर्ताओं (पुराने और नए)) की सूची लेकर साथ बैठके हुईं. शंका का समाधान किया गया और बेहतर तालमेल के लिए उन्हें मिलीजुली टीमों में जिम्मेदारी देकर बांट दिया गया. लेफ्ट के उन कार्यकर्ताओं का भी साथ मिला जिनका मानना था कि ममता का हारना जरूरी है."

"ममता के शासन में पिछले 10 के दौरान लेफ्ट और तमाम विपक्षी कार्यकर्ताओं का अलोकतांत्रिक तरीके से राजनीतिक-व्यावसायिक आधार पर दमन किया गया. कांग्रेस और लेफ्ट के लोगों को पता था कि वो नंदीग्राम नहीं जीत सकते. शुभेंदु का स्वाभाविक संपर्क कांग्रेस और लेफ्ट के कार्यकताओं से था. ममता को रोकने के लिए कई लोग शुभेंदु के साथ आए."

नंदीग्राम में सुबह सात बजे से देर रात तक बैठकों-कैम्पेन का दौर

मनोरंजन ने बताया- "भाजपा का कैम्पेन सुबह सात बजे शुरू हो जाता था जो देर रात तक चलता था. इस दौरान कई बैठकें होती थीं और उनका स्तर, स्थान अलग-अलग होता था. बैठकों में रोज की जरूरत और चुनौतियों पर चर्चा होती और रोजाना नई-नई रणनीतियां बनातीं. वैसे हर रोज का शेड्यूल पहले से ही तय किया जाता था. पार्टी की स्थानीय ईकाई और कार्यकर्ता इसे बनाते थे और बैठकों में साझा करते थे- किस दिन नंदीग्राम के किस गांव और जगह जाना है. किससे मुलाक़ात करनी है."

नंदीग्राम में एक दिन में 25 ग्रामीण बैठके, हर टास्क की समीक्षा

"बेहतर तालमेल के लिए हर बूथ के साथ एक सूत्र का जुड़ाव था. पार्टी कार्यकर्ताओं ने नंदीग्राम के 200 गांवों में एक मजबूत नेटवर्क बना लिया था. गांवों की हर बैठक में कम से कम 100 से 200 महिलाएं शामिल होती थीं. बड़े पैमाने पर नौजवान भी शामिल होते थे. हमारी कोशिश इसी बात पर ज्यादा थी कि पोलिंग के दिन कैसे बूथ तक इन्हीं महिलाओं और नौजवानों को पहुंचाना है. एक दिन में हम लोग कम से कम गांवों में ऐसी 25 बैठकें किया करते थे. बैठकों के साथ दिए गए टास्क की नियमित समीक्षा भी होती थी. जरूरत पड़ने पर सुझाव दिए जाते थे."

untitled-1_050121110712.jpgशुभेंदु के साथ मनोरंजन मिश्रा. फोटो-फेसबुक से साभार.

नंदीग्राम में सरकारी उत्पीडन के शिकार लोगों को किया फोकस

भाजयुमो के पूर्व उपाध्यक्ष ने बताया- "गांवों में पार्टी ममता शासन में सरकारी व्यवस्था से पीड़ित परिवारों तक पहुँचती थी और यह तय होता था कि टीएमसी शासन के खात्मे और ममता की बंगाल से विदाई ही समयाओं का हल है. हर बूथ पर हमने महिलाओं को चिन्हित किया. कई दर्जन पदयात्राओं में महिलाएं शामिल हुईं. किसी गांव में पहुंचने पर बड़े पैमाने पर पार्टी कलर में ड्रेसअप महिलाएं शामिल होतीं और जनसंपर्क, बातचीत बैठकों के साथ कारवां आगे बढ़ता जाता."

नंदीग्राम के इनपुट के बाद कैम्पेन में महिलाओं को कर दिया आगे

मनोरंजन ने बताया- "पार्टी के पास ये इनपुट था कि महिला होने की वजह से ममता को सहानुभूति मिल सकती है और महिलाएं उनके साथ जा सकती हैं. जब ममता नदीग्राम आईं पार्टी ने उसकी काट के लिए बूथ स्तर की महिलाओं को कैम्पेन में प्रमुखता दे दी. ये रणनीति कारगर रही और महिलाओं के आने के साथ ही पार्टी को आभास होने लगा कि हम नंदीग्राम जीत सकते हैं. हमने हर गांव और मतदाता तक पहुंचने की रणनीति बनाई थी. लगभग वैसा ही हुआ. हालांकि इस दौरान टीएमसी की ओर से मारपीट भी की गई और हमें रोका गया, बावजूद हम हर जगह पहुंचते ही गए. इससे डरे लोग भी हमारे साथ जुड़ते चले गए."

नंदीग्राम में वोटिंग के दिन के लिए भाजपा ने बनाई थी ये रणनीति

उन्होंने बताया- "चुनाव के दिन भी पार्टी ने रणनीति बनाई थी. नंदीग्राम में ऐसे बूथों की लिस्ट पहले से ही तैयार की गई जहां टीएमसी के दबाव में लोगों को वोट देने से रोके जाने, डराने-धमकाने की आशंका थी. पार्टी ने सुरक्षा एजेंसियों और चुनाव आयोग से इस बारे में बार-बार निवेदन किया कि यहां ऐसी व्यवस्था हो जिसमें लोग बिना डरे वोट देने के लिए निकालें. नंदीग्राम के वोटिंग प्रतिशत से ये समझ में आया कि मतदाताओं ने बिना डरे घरों से बाहर आकर मतदान किया."

#नंदीग्राम, #ममता बनर्जी, #शुभेंदु अधिकारी, BJP Govts In Bengal, West Bengal Assembly Election, West Bengal Assembly Election Results

लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय