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Updated: 17 फरवरी, 2022 10:42 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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यूपी और बिहार के लोगों को 'भइये' कह कर पुकारने की रवायत महाराष्ट्र से होते हुए अब पंजाब तक आ चुकी है. पंजाब चुनाव 2022 (Punjab Election 2022) के लिए 20 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) का एक बयान सुर्खियों में छा गया है. जिसमें चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाबियों से यूपी और बिहार के लोगों को 'भइये' बताकर राज्य में न घुसने देने की अपील की थी. और, चन्नी की इस टिप्पणी करने के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इस पर हंसती और ताली बजाती नजर आ रही हैं.

दरअसल, एक रोड शो के दौरान चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि 'प्रियंका गांधी पंजाब की बहू हैं, वह पंजाबियों की बहू हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली के भैया यहां आकर राज नहीं कर सकते हैं. हम यूपी के भैयाओं को पंजाब में नहीं आने देंगे.' इस बात में कोई दो राय नहीं है कि चन्नी का ये बयान पंजाब चुनाव 2022 में आम आदमी पार्टी से मिल रही चुनौती को कमजोर करने के लिए दिया गया है. और, हो सकता है कि क्षेत्रवाद के इस दांव से कांग्रेस को पंजाब में फायदा भी मिल जाए. लेकिन, चरणजीत सिंह चन्नी के यूपी-बिहार के लोगों को 'भइये' कहने पर प्रियंका गांधी की हंसी का नुकसान दूसरे राज्यों में ज्यादा होगा.  

पंजाबी बनाम बाहरी की जंग में किसका फायदा?

पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) से पहले चरणजीत सिंह चन्नी के इस बयान ने पंजाबी बनाम 'बाहरी' की सियासी जंग छेड़ दी है. दरअसल, पंजाब में आम आदमी पार्टी ने अपने लोक-लुभावन चुनावी वादों के जरिये काफी हद तक कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती पेश की है. वैसे, पंजाब की राजनीति में हमेशा से हावी रहने वाले जट्ट सिखों को किनारे करते हुए पहली बार कांग्रेस आलाकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी को पहला दलित सीएम बनाने का मास्टरस्ट्रोक खेला था. लेकिन, इस फैसले की वजह से नवजोत सिंह सिद्धू से लेकर सुनील जाखड़ तक उखड़े हुए नजर आ रहे हैं. पंजाब की सियासत में अच्छी-खासी दखल रखने वाले इन नेताओं ने पंजाब चुनाव 2022 से पहले चुप्पी साधकर कांग्रेस की मुश्किलों में इजाफा भी कर दिया है. इसमें भी सुनील जाखड़ के सबसे ज्यादा समर्थन के बाद भी हिंदू सीएम न बनने देने को लेकर दिए गए बयान से पंजाब की हिंदू आबादी में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने के लिए काफी माना जा सकता है.

कांग्रेस ने चन्नी को सीएम बनाकर दलित मतदाताओं को साधने का दांव खेला था. लेकिन, इस दांव के बाद आए सुनील जाखड़ के बयान ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. वहीं, नवजोत सिंह सिद्धू भी प्रियंका गांधी के पंजाब दौरे पर खुद को अलग-थलग ही करते नजर आ चुके हैं. सिद्धू का ये व्यवहार जट्ट सिख समुदाय में गुस्से के तौर पर देखा जा सकता है. वैसे, इन सबके बीच नवजोत सिंह सिद्धू की अमृतसर ईस्ट सीट पर आम आदमी पार्टी और अकाली दल ने उनके करीबियों को तोड़ना शुरू कर दिया है. तो, फिलहाल नवजोत सिंह सिद्धू अपनी ही सीट बचाने की जुगत में लगे हुए हैं. लेकिन, सिद्धू ये कहना नहीं भूलते हैं कि 'दो-तीन सीएम निपटा चुका हूं. अगर ये भी ठीक नहीं चला, तो इसको भी भुगता दूंगा.' वैसे, जट्ट सिख, दलित, हिंदुओं की मिश्रित आबादी के बीच पंजाब की बहुकोणीय सियासी जंग में पंजाबी बनाम बाहरी का मुद्दा कांग्रेस के लिए एक बड़ी भूल साबित होता नजर आ रहा है.

Channi Priyanka Bhaiya Jiपंजाब की बहुकोणीय सियासी जंग में पंजाबी बनाम बाहरी का मुद्दा कांग्रेस के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है.

बंटवारे के आरोपों का जवाब देना कांग्रेस के लिए मुश्किल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब में अपनी आखिरी रैली में कांग्रेस पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म पटना में हुआ और आप कहते हैं बिहार के लोगों को घुसने नहीं देंगे. संत रविदास रविदास जी भी उत्तर प्रदेश में पैदा हुए थे, तो क्या उनके नाम को भी मिटा दोगे. आप कहते हो भइयों को घुसने नहीं देंगे. पंजाब में एक भी ऐसा गांव नहीं है, जहां यूपी-बिहार के लोग मेहनत नहीं करते हैं. कांग्रेस हमेशा से एक क्षेत्र के लोगों को दूसरे से लड़ाती आई है.' वैसे, क्षेत्रवाद कहने को तो एक बढ़िया राजनीतिक दांव हो सकता है. लेकिन, इसके साइड इफेक्ट भी होते हैं. और, पीएम मोदी ने उसी का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर सवाल खड़े कर दिए हैं. लोगों के बीच क्षेत्रीय आधार पर बंटवारा करने की राजनीति का जवाब देना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि, प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की कांग्रेस प्रभारी हैं. इसके बावजूद वह चरणजीत सिंह चन्नी के इस बयान पर मुस्कुराती हुई नजर आई हैं.

आसान शब्दों में कहा जाए, तो चन्नी के बयान का असर फिलहाल यूपी में चल रहे चुनाव पर भी देखने को मिल सकता है. इन सबसे इतर ऐसे बयान भविष्य में विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा सियासी हथियार बन सकते हैं. यूपी और बिहार के चुनावों के दौरान इस बयान का इस्तेमाल शायद ही करने से कोई सियासी दल चूकेगा. जिस तरह भाजपा की ओर से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के पुराने बयानों को हथियार बनाकर उन पर निशाना साधा जाता है. ठीक उसी तरह कांग्रेस संगठन में तेजी से उभर रहीं प्रियंका गांधी को लेकर भी भाजपा आक्रामक रुख अख्तियार कर सकती है. चन्नी के बयान पर मुस्कुराती और ताली बजाती प्रियंका गांधी के लिए भविष्य में अपनी साफ-सुथरी राजनीति करने वाली इमेज बचाना मुश्किल हो जाएगा. यूपी-बिहार-दिल्ली जैसे राज्यों में इससे कांग्रेस के वजूद पर ही संकट खड़ा हो जाएगा. क्योंकि, इन राज्यों में कांग्रेस पहले से ही कमजोर हो चुकी है. वहीं, अन्य राज्यों में डेंटेड इमेज के साथ नुकसान होना भी कोई बड़ी चीज नही है. क्योंकि, नेताओं पर लगे दाग इतनी आसानी से नहीं जाते हैं.

खैर, चन्नी का ये दांव कितना सफल होगा, इसके नतीजे 10 मार्च को आ जाएंगे. लेकिन, कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस पर लगने तमाम आरोपों में अब एक और आरोप का इजाफा हो चुका है. और, इस बार इसके दायरे में कांग्रेस संगठन में तेजी से उभर रही प्रियंका गांधी आ गई हैं.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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