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Updated: 24 दिसम्बर, 2019 10:03 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध (Protest Against CAA) पर मचे बवाल और हिंसा के बाद, अब उन कारणों का खुलासा होने लग गया है. खासतौर पर मेंगलुरु से पहले खबर आई कि वहां प्रदर्शन कर रहे दो युवकों को पुलिस ने गोली मार दी है. अब जबकि मेंगलुरु से CCTV video footage आए हैं, तो उन्‍होंने बता दिया कि CAA protest के नाम पर जो भी गतिविधियां थीं. वो उस बड़ी साजिश का हिस्सा थीं जिनका उद्देश्य शांति और कानून व्यवस्था को प्रभावित करना था. CAA के विरोध में कर्नाटक का मंगलौर (Mangaluru violence) जल रहा था. कानून के विरोध में अराजक तत्वों ने जगह जगह पथराव और आगजनी को अंजाम दिया. बेकाबू हालात को काबू करने के लिए कर्नाटक पुलिस (Karnataka Police Mangaluru CAA Protest) को भी कड़ी मशक्कतों का सामना करना पड़ा. शांति बनाने के लिए पुलिस को बल का प्रयोग करते हुए लाठी चार्ज करना पड़ा साथ ही पुलिस की तरफ से फायरिंग और आंसू गैस के गोले भी दागे गए. CAA विरोध में मंगलौर में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है (Two Death In Mangaluru Violence). घटना के बाद अब जो वीडियो सामने आ रहे हैं अगर उनपर गौर किया गए तो मिलता है कि कर्नाटक के मंगलौर में जो हुआ वो प्रोटेस्ट तो कहीं से भी नहीं था बल्कि वहां उद्देश्य दंगा (Mangaluru Violence Was A Conspiracy) फैलाना था.

मंगलौर हिंसा, नागरिकता संशोधन कानून, हिंसा, विरोध, Mangaluru Violenceमंगलौर में CAA के विरोध में सड़कों पर आए लोगों की CCTV फुटेज ने बता दिया है कि उनके विरोध का एकमात्र उद्देश्य दंगा फैलाना था

ध्यान रहे कि 19 दिसंबर 2019 को मंगलौर में CAA के विरोध में प्रदर्शन हुआ जिसने उग्र रूप लिया और पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत हुई. गोली क्यों चली? इस पर पुलिस का तर्क था कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की घेराबंदी कर उनपर हमला किया जिसके जवाब में पुलिस को बंदूक का सहारा लेना पड़ा. वहीं विपक्ष ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कार्रवाई को 'पूर्ण विफलता' कहा है.

मंगलौर हिंसा के मद्देनजर जो भी आरोप प्रत्यारोप लग रहे हों. जितनी भी बातें हो रही हों लेकिन जो CCTV फुटेज मंगलौर के अलघ अलग हिस्सों से आए हैं वो चौंकाने वाले हैं. इन फुटेज को देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि पुलिस, भीड़ के निशाने पर थी. एक पूरी घोजना के साथ भीड़ ने पुलिस और पुलिस स्टेशनों पर हमला किया था और उसका उद्देश्य पुलिस को काबू में रखकर दंगा फैलाना था.

पत्थरबाज प्रदर्शनकारियों ने जब CCTV कैमरा घुमाया.

कोई कितने भी तर्क क्यों न दे दे मगर इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता कि ये दंगा पूर्व नियोजित था. इसे कितने योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था इसका अंदाजा उन वीडियो फुटेज को देखकर लगाया जा सकता है जिनमें कहीं भी इलाके की शांति व्यवस्था को प्रभावित करने के लिए अराजक तत्व या ये कहें कि दंगाई CCTV को नुकसान पहुंचा रहे हैं. दंगाई नहीं चाहते थे कि उनके द्वारा अंजाम दी गई कोई भी गतिविधि रिकॉर्ड हो जिस्न्की बदौलत उन्हें गिरफ्तार किया जाए.

मामले के तमाम वीडियो ट्विटर पर वायरल हो रहे हैं जिनमें साफ़ दिख रहा है कि उपद्रव करने से पहले दंगाई उन स्पॉट्स की निशानदेही कर रहे हैं जहां cctv कैमरा लगे हुए हैं. ये लोग आ रहे हैं फिर अपनी वारदात को अंजाम दे रहे हैं. मंगलौर मामले में जितने भी विडियो सामने आए हैं उनके अवलोकन पर ये बात स्पष्ट हो जाती है कि यहां अराजकता फैलाने वाले लोग नौसिखिये नहीं थे. उन्हें उन तमाम चीजों का पता था जो उन्हें मुसीबत में डाल सकती थीं.

मंगलौर में पूरी प्लानिंग से किया गया दंगा

CAA  विरोध के नाम पर मंगलौर में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई है. जाहिर सी बात है जब परिस्थितियां ऐसी हों तो वो केवल परिवार ही है जो सबसे ज्यादा झेलता है. लेकिन परिवार पर क्या बीतेगी इससे दंगाइयों को कोई मतलब नहीं है. उनका एजेंडा सीधा है. वो माहौल बिगाड़ना चाहते हैं. वो पुलिस को निशाना बनाना चाहते हैं. मंगलौर मामले में प्लानिंग कितनी जबरदस्त थी ये हमें उन तस्वीरों से भी समझ आ जाता है जिसमें दंगाइयों ने मंगलौर का महाल बिगाड़ने के लिए एक माजर को चुना और वहां से पुलिस पर पथराव किया.

बता दें कि मंगलौर का महाल बिगाड़ने के लिए वैन और ऑटो रिक्शा में भर भरकर पत्थर लाए गए थे. जहां पहले उन्होंने इलाके के सारे CCTV तोड़े या ये कहें कि उन्हें नुकसान पहुंचाया. उसके बाद भीड़ ने अपनी साजिश को अंजाम दिया. मामले में ऐसे भी तमाम  वीडियो हमारे सामने आए हैं जिनमें साफ़ दिख रहा है कि पुलिस, प्रदर्शनकारियों से शांति की अपील कर रही है. मगर उलटे प्रदर्शनकारियों ने ही पुलिस को ही निशाने पर ले लिया.

पूरे इंतजाम के साथ आए थे प्रदर्शनकारी

बात CAA विरोध की कल रही है. कहा जा रहा है कि प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाह रहे थे. तो बता दें कि जब बात ऐसे प्रदर्शन की होती है तो प्रायः प्रदर्शनकारी भी हाथों में पोस्टर, बैनर, लीफलेट, कटआउट लेकर निकलते हैं. अब बात करते हैं मंगलौर में हुई हिंसा पर. मंगलौर प्रदर्शन के फुटेज या उस प्रदर्शन से जुडी तस्वीरों पर नजर डाली जाए तो कुछ और ही हमें नजर आ रहा है.

मंगलौर में प्रदर्शनकारियों के पास लाठी, डंडे, बंदूकें, रॉड, हॉकी स्टिक, बेसबॉल बैट जैसी वो तमाम चीजें थीं जो खुद ब खुद इस बात का एहसास करा रही थीं कि, प्रदर्शन के नाम पर मंगलौर में दंगे की साजिश पूर्व नियोजित थी.  हमें इस बात को समझना होगा कि जब भी कहीं शांतिपूर्ण प्रदर्शन की बात होती है तो कोई भी व्यक्ति ऐसी चीजें लेकर मौका ए वारदात पर नहीं जाता.

घटना के बाद अब क्या कह रही है पुलिस

मामले से जुड़ी तस्वीरें हमारे सामने हैं. भले ही एक बड़े वर्ग द्वारा पुलिस की कार्यप्रणाली पर उंगुली उठाते हुए ये कहा जा रहा हो कि पुलिस ने निर्दोषों को निशाना बनाया है .मगर जब ठन्डे दिमाग से इस पूरी घटना पर गौर किया जाए तो खुद ही ये बात स्पष्ट हो जाती है मंगलौर में पुलिस ने जो किया उसका उद्देश्य जहां अपना और सरकारी संपत्ति का बचाव करना था तो वहीं दूसरी तरफ पुलिस शांति को बरक़रार रखना चाहती थी.

मंगलौर में जो भी पुलिसिया कार्रवाई हुई उसपर पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए साफ़ किया है कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को वापस जाने का पूरा मौका दिया था. जब वो नहीं माने तब ही पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर कड़ा रुख लिया और दोषियों पर कार्रवाई की.

बहरहाल बात मंगलौर में हुई हिंसा से जुड़ी है तो बता दें कि CAA का विरोध तो बहाना था यहां प्रदर्शन में आए हुए लोगों का मोटिव आतंक और उपद्रव फैलाना और देश की अखंडता और एकता को प्रभावित करना था. पुलिस मंगलौर हिंसा और इस हिंसा में दो लोगों की मौत की जांच में जुट गई है. जांच में क्या परिणाम निकलता है इसका फैसला वक़्त करेगा लेकिन जो वर्तमान है उसने साफ़ कर दिया है मंगलौर में बड़ी साजिश हुई है जिसका पता लगाने की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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