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Updated: 18 नवम्बर, 2021 05:34 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने यूपी में बीजेपी सरकार की वापसी के लिए खुद तो कमर कस ही रखी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी यूपी दौरों में तेजी आने लगी है - और ये सिलसिला चुनावों तक चलता ही रहेगा.

यूपी विधानसभा चुनाव के लिए मोदी-शाह ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पहले से ही प्रभारी बना कर योगी आदित्यनाथ की टेंशन कम करने की कोशिश तो पहले ही कर डाली थी. अब तो दोनों नेता जहां भी पहुंच रहे हैं लोगों को डबल इंजिन के फायदे समझाते हुए वोट मांग रहे हैं - और दावा कर रहे हैं कि योगी जैसी सरकार तो देश में कहीं है ही नहीं.

फिर भी कई मसले ऐसे हैं जो बीजेपी (BJP) के चुनावी रास्ते में मुश्किल बने हुए हैं और उनकी काट बीजेपी नेतृत्व को नहीं सूझ रही है. जैसे योगी आदित्यनाथ और नेतृत्व के बीच टकराव की चर्चाओं को खत्म करने के लिए बीजेपी की कार्यकारिणी में उनसे राजनीतिक प्रस्ताव पेश करा कर एक मैसेज देने की कोशिश की गयी, वैसे ही और भी उपाय आजमाये जा रहे हैं.

अमित शाह का लखनऊ पहुंच कर मोदी को 2024 में फिर से प्रधानमंत्री बनाने के नाम पर योगी आदित्यनाथ के लिए वोट मांगना तो कुछ हद तक समझ में आ भी रहा है, लेकिन यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने दलित वोट हासिल करने का जो जुगाड़ कार्यकर्ताओं को समझाया है वो तो बड़ा ही अजीब लगता है - सत्ता में वापसी के लिए ऐसी ही और भी कई तरकीबें अपनायी जा रही हैं.

1. 100 विधायकों के टिकट कट सकते हैं

अमित शाह के पूर्वांचल दौरे के बीच सपा-बसपा के 10 विधान परिषद सदस्यों के बीजेपी ज्वाइन करने की खबर आने लगी थी - और अब तो समाजवादी पार्टी के चार एमएलसी बीजेपी ज्वाइन भी कर चुके हैं. रविशंकर सिंह पप्पू उनमें एक चर्चित नाम है जो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पौत्र हैं.

चुनावों के वक्त ये सब लगा रहता है. अब तक अखिलेश यादव दूसरे दलों के नेताओं से मुलाकात के बाद ट्विटर पर तस्वीरें शेयर कर बताते रहे कि कैसे लोग समाजवादी पार्टी की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं, लेकिन एक ही झटके में उनकी पार्टी के चार एमएलसी का बीजेपी में चले जाना कार्यकर्ताओं के बीच गलत मैसेज भेज सकता है.

रविशंकर सिंह के अलावा अखिलेश यादव को छोड़ कर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आस्था जताने वाले बाकी नेता हैं - सीपी चंद, नरेंद्र भाटी और रमा निरंजन हैं. चर्चा है कि बीएसपी के भी कुछ एमएलसी बीजेपी ज्वाइन करने के लिए बातचीत कर रहे हैं.

yogi adityanath, amit shah, narendra modiजुगाड़ तो ज्यादातर काम पूरे कर ही देते हैं - बीजेपी को भी यूपी में चुनाव जिता देंगे क्या?

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर तो समाजवाद को तौबा कर पहले ही भगवा धारण कर लिया था. चंद्रशेखर की बलिया सीट से लोक सभा सांसद रहे नीरज शेखर फिलहाल बीजेपी के राज्य सभा सदस्य हैं - और अब बीजेपी में पहुंचे उनके भतीजे रविशंकर सिंह को भी 2022 में विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की संभावना जतायी जा रही है. बीजेपी ज्वाइन करने वाले सभी नेता स्थानीय निकायों के जरिये यूपी विधान परिषद पहुंचे थे और सभी का कार्यकाल अगले साल मार्च में खत्म हो रहा है जब विधानसभा के चुनाव आखिरी दौर में होंगे या खत्म हो चुके होंगे. जाहिर है बाकी लोग भी टिकट के लिए भी बीजेपी ज्वाइन किये हैं. पश्चिम बंगाल में ऐसे असफल प्रयोग के बावजूद बीजेपी यूपी में नये मेहमानों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी करने लगी है. अब बाहर से आये नेताओं को टिकट दिये जाने हैं, फिर तो अपनों के टिकट भी काटने ही पड़ेंगे.

मीडिया रिपोर्ट से मालूम होता है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी 100-150 नये चेहरे उतार सकती है. यानी तकरीबन आधे विधायकों को दोबारा टिकट न मिलने की आशंका है. मान कर चलना होगा जिनके टिकट कटेंगे वे या तो दूसरे दलों का रुख करेंगे या फिर कुछ ऐसे भी हो सकते हैं जो निर्दलीय मैदान में उतर कर किस्मत आजमा सकते हैं - हार जाने वालों से तो कोई खास दिक्कत नहीं क्योंकि उनका रोल ज्यादा से ज्यादा वोटकटवा वाला ही होगा, लेकिन जीतने वाले बीजेपी के लिए मुसीबत हो सकते हैं.

अब सवाल ये उठता है कि कैसे विधायकों के टिकट काटे जाने की तैयारी चल रही है?

1. जनता की नाराजगी भारी पड़ने वाली है: ऐसे विधायक जिनसे इलाके के लोग नाराज हैं. बीजेपी अपने अंदरूनी सर्वे और फीडबैक के जरिये इस बात का पता लगाएगी और उसी रिपोर्ट के आधार पर उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

2. बड़बोले विधायकों की छुट्टी होगी: बीजेपी ऐसे विधायकों की भी छुट्टी करने वाली है जो अपने बयानों के जरिये अक्सर ही पार्टी की फजीहत कराते रहते हैं. खुद प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से ऐसे नेताओं को कई बार सलाहियत भरे संदेश देने के प्रयास भी हुए हैं, लेकिन कई तो ऐसे देखे ही गये हैं जिन पर कोई फर्क नहीं पड़ा है.

3. वे भी जो 75 पार कर चुके हैं: बीजेपी इस बात से हमेशा इनकार करती रही है कि पार्टी में 75 साल जैसी रिटायरमेंट की कोई सीमा है. हालांकि, लंबे अरसे तक अपवाद बने रहे कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे बीएस येदियुरप्पा भी अब हटाये जा चुके हैं.

पहले 75 साल की उम्र सीमा की बात मोदी कैबिनेट को लेकर चली थी, लेकिन 2019 के आम चुनाव में भी कुछ नेताओं की जगह उनके बेटों को टिकट दिये गये थे. 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में तो सबसे ज्यादा चर्चित श्यामदेव रॉय चौधरी का मामला उछला था. सात बार विधायक रहे 75 साल के चौधरी का टिकट काट कर नीलकंठ तिवारी को दिया गया और फिलहाल वो योगी सरकार में मंत्री हैं.

2. जाति नहीं, राष्ट्रवाद के नाम पर वोट दो

यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने कार्यकर्ताओं को दलित वोटर से राष्ट्रवाद के नाम पर वोट मांगने की सलाह दी है. एक कार्यक्रम में स्वतंत्रदेव सिंह ने बताया कि बीजेपी कार्यकर्ताओं को ये टास्क दिया जा चुका है.

स्वतंत्रदेव सिंह के मुताबिक, बीजेपी कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि वे दलित लोगों को समझायें कि वे जाति, क्षेत्र या किसी और चीज की बजाये राष्ट्रवाद के नाम पर वोट दें.

ये तो सबको मालूम है कि दलित वोट हासिल करने में बीजेपी के सामने चैलेंज मायावती की बीएसपी से ही निबटना है. मायावती को काउंटर करने के मकसद से ही बेबी रानी मौर्या को उत्तराखंड के राजभवन से बुलाकर यूपी के चुनावी मैदान में उतार दिया गया है. खबर ये भी मिली थी कि वो दलित आबादी वाले इलाकों में बीजेपी के लिए रैलियां करने वाली हैं. असल में बेबी रानी मौर्य भी मायावती की ही जाटव समुदाय से आती हैं जो बीएसपी का मजबूत दलित वोट बैंक रहा है.

लेकिन वाराणसी में एक कार्यक्रम में बेबी रानी मौर्य को बड़ा ही अजीबोगरीब बयान देते देखा गया. वो महिलाओं को शाम 5 बजे के बाद किसी भी पुलिस स्टेशन में नहीं जाने की सलाह दे रही थीं. बेबी रानी मौर्य का ये बयान तो योगी सरकार में एनकाउंटर और हिरासत में होने वाली मौतों के लिए चर्चित रही यूपी पुलिस के कामकाज पर सबसे बड़ा सवालिया निशान था.

3. मोदी के नाम पर वोट मांग रहे

हाल ही में सीनियर बीजेपी नेता अमित शाह का भी एक बयान काफी हैरान करने वाला था. लखनऊ में चुनावी रैली करने पहुंचे अमित शाह बीजेपी की सत्ता में वापसी के लिए योगी आदित्यनाथ जैसे चेहरे के होते हुए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे थे.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने तरीके से खूब समझाया कि योगी आदित्यनाथ सरकार देश में सबसे अच्छा काम कर रही है, लेकिन फिर बोले, 'मोदी जी को यदि 2024 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाना है... तो 2022 में फिर एक बार योगी जी को मुख्यमंत्री बनाना पड़ेगा.'

बड़ा अजीब लगता है जो योगी आदित्यनाथ बीजेपी के लिए देश भर में स्टार प्रचारक बन कर वोट मांगते रहे हों, उनके ही चुनाव में उनके लिए प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर अमित शाह वोट मांग रहे हैं - आखिर डर किस बात का है?

4. योगी को भी चुनाव लड़ाने की चर्चा

रह रह कर एक चर्चा चल पड़ती है कि बीजेपी योगी आदित्यनाथ को भी चुनाव मैदान में उतार सकती है. ऐसा ही मिलता जुलता प्रयोग बीजेपी ने पश्चिम बंगाल चुनाव में भी किया था, जो असफल ही रहा.

योगी आदित्यनाथ फिलहाल विधान परिषद के सदस्य हैं और जब उनके अयोध्या से चुनाव लड़ने की चर्चा शुरू हुई तो वहां के विधायक सीट छोड़ने को तैयार हो गये. एक चर्चा योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर की किसी सीट से लड़ने को लेकर भी हो चुकी है.

योगी आदित्यनाथ के साथ साथ उनके दोनों डिप्टी सीएम को भी चुनावी मैदान में उतारने की चर्चा रही है - केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा. वे दोनों भी फिलहाल विधान परिषद सदस्य हैं. जब चर्चा चलती है तो उनकी सीटों को लेकर भी कयास लगाये जाने लगते हैं.

ये सवाल योगी आदित्यनाथ से भी पूछा जा चुका है. सवाल के जवाब में योगी आदित्यनाथ का कहना है कि पार्टी जहां से कहेगी वो चुनाव लड़ लेंगे. वैसे मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार गोरखपुर लोक सभा सीट का संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

5. योगी बार बार बेस्ट बताते चलो

कोरोना वायरस की पहली लहर में योगी आदित्यनाथ ने अपने कामकाज से जितनी तारीफें बटोरी थी, दूसरी लहर में सब गंवा दिया था. ये बात अलग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह जब भी यूपी दौरे पर होते हैं बताते नहीं थकते कि योगी आदित्यनाथ का काम शानदार रहा.

योगी आदित्यनाथ के कामकाज पर भरोसा दिलाने के लिए दोनों ही नेता पिछली सरकारों से अपने तरीके से तुलना करते हैं और फिर समझाते हैं जैसे पहले तो यूपी में रहने लायक ही नहीं था. अमित शाह भी यूपी की हालत को देख कर वैसे ही गुस्सा आने की बात कर चुके हैं जैसे कभी राहुल गांधी किया करते थे.

आजमगढ़ में अमित शाह ने बताया कि 2017 में बीजेपी ने यूपी में 10 यूनिवर्सिटी बनाने का वादा किया था और पूरा कर लिया. आजमगढ़ का नाम बदलने जाने की संभावना के बीच अमित शाह ने कहा कि जिस इलाके को युवाओं को दूसरी निगाहों से देखा जाता था अब शिक्षित के तौर पर जाना जाएगा.

वैसे एक आरटीआई रिपोर्ट से मालूम हुआ है कि बीजेपी सरकार ने यूपी में 27 मेडिकल कॉलेज बनवा दिये हैं, जबकि 20 का ही वादा किया था. बीजेपी का दावा है कि योगी सरकार ने चुनावी वादे के 90 फीसदी काम पूरे कर लिये हैं और आचार संहिता लागू होने से पहले बाकी बचे 10 फीसदी भी पूरे हो जाएंगे - यूपी के चुनावी वादों में ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को भी प्रचारित किया जाना है.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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