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Updated: 18 मई, 2018 09:24 PM
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येदियुरप्पा को लेकर कांग्रेस पर जवाबी हमले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था - 'ये मोदी है... लेने के देने पड़ जाएंगे.' एक रैली में मोदी के इस भाषण को 'धमकाने वाली भाषा' बताते हुए कांग्रेस ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास औपचारिक शिकायत दर्ज करायी है.

येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही, अब बीजेपी को ही 'लेने के देने' पड़ रहे हैं. शपथग्रहण के खिलाफ कांग्रेस और जेडीएस सुप्रीम कोर्ट तो पहुंच ही चुके हैं, अब पूरे देश में कर्नाटक मॉडल लागू करने की मांग शुरू हो गयी है.

गोवा से उठी चिंगारी

चुनाव नतीजों के बाद से खामोशी अख्तियार किये हुए राहुल गांधी ने छत्तीगढ़ पहुंच कर कर्नाटक पर बयान दिया - और बीजेपी पर देश में पाकिस्तान जैसे हालात पैदा कर देने का संजीदा इल्जाम लगाया.

bs yddyurappaये तो बीजेपी को ही 'लेने के देने' पड़ने लगे!

बेंगलुरू में कांग्रेस विधायकों ने विधान सौध पर प्रदर्शन किया और फिर उन्हें किसी भी तरह के भटकाव से बचाने के लिए सुरक्षित रिजॉर्ट पहुंचा दिया गया. कांग्रेस के बाकी वरिष्ठ नेता आगे की रणनीति तैयार करने में जुटे रहे.

येदियुरप्पा और उनकी टीम अभी सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के चलते उपजे संकट से मुकाबले की तैयारी कर रहे थे कि गोवा कांग्रेस ने सियासी रॉकेट छोड़ दिया. बीजेपी का क्राइसिस मैनेटमेंट ग्रुप जो बहुमत की आवश्यक आवश्यकताएं पूरी करने की जुगत में जुटा हुआ था, टीवी पर आ रही खबर देखने में मशगूल हो गया.

बीजेपी के खिलाफ ये चिंगारी गोवा से उठी थी. मनोहर पर्रिकर के बीमार होने के कारण बीजेपी गोवा में वैसे ही मुश्किल में थी और उनके जल्द लौटने के संदेश से थोड़ी राहत महसूस कर रही थी कि नया बवाल शुरू हो गया.

गोवा कांग्रेस के अध्यक्ष गिरीश चोडणकर ने बीजेपी को कर्नाटक फॉर्मूले पर अमल करते हुए भूल सुधार की मांग की. कांग्रेस नेता की दलील रही कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते गोवा में कांग्रेस को भी सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिये. लगे हाथ, पीसीसी अध्यक्ष ने राज्यपाल मृदुला सिन्हा से मुलाकात का वक्त भी मांग लिया. अब वो गोवा में सरकार बनाने का दावा पेश करना चाहते हैं. दलील में दम भी है - देर हुई तो क्या हुआ भूल सुधार तो कभी भी हो सकता है.

पांच विधानसभाओं के लिए हुए चुनाव में गोवा भी एक रहा. नतीजे आये तो 40 विधानसभा सीटों वाले गोवा में कांग्रेस के 16 उम्मीदवार जीते थे. कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद 14 विधायकों वाली बीजेपी ने जोड़-तोड़ करके सरकार बना ली - और कांग्रेस प्रभारी दिग्विजय सिंह को नर्मदा परिक्रमा पर निकलना पड़ा.

कर्नाटक आड़ में देखते ही देखते विपक्षी दल बीजेपी को घेरने में जुट गये. गोवा के बाद बिहार और फिर उसी तर्ज पर मणिपुर और मेघालय में भी बीजेपी के खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी. बीजेपी को उसी के दाव से चित्त करने की तैयारी शुरू हो गयी.

बीजेपी पर विपक्ष का सामूहिक हमला

बगावत की जो आवाज गोवा में उठी उसे बिहार पहुंचते देर न लगी. एक तरफ तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर बिहार में आरजेडी के सबसे बड़ी पार्टी होने के नाता दावा ठोक दिया, तो मणिपुर में पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और मेघालय में मुकुल संगमा ने दावेदारी जता दी. दोनों ही नेताओं ने अपने अपने राज्यों के गवर्नर से मुलाकात का वक्त भी मांग लिया.

जैसे ही गोवा कांग्रेस के अध्यक्ष का बयान आया, तपाक से तेजस्वी ने भी एक धांसू ट्वीट जड़ दी. साथ ही, मौका देख कर विपक्षी दलों से बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी कर दी.

लालू को मिली परोल के साथ शर्त ये भी रही कि वो मीडिया से बात नहीं करेंगे. जाहिर है जमानत में भी इस बात की इजाजत तो नहीं ही होगी. वैसे भी लालू को मेडिकल ग्राउंड पर इलाज के लिए जमानत मिली हुई है. पहले तो हालत ये रही कि तेजस्वी यादव या दूसरे आरजेडी नेताओं को सलाह के लिए जेल में मुलाकात के वक्त का इंतजार करना पड़ता होगा. अभी वो 24 घंटे पटना में उपलब्ध हैं. निश्चित रूप से बीजेपी के खिलाफ इस एक्शन में तेजस्वी को लालू के करीब होने का फायदा मिला होगा. अब सलाह देने पर तो कोई रोक होगी नहीं. लालू भी इस मौके का भरपूर फायदा उठाना चाहेंगे.

विपक्ष को बड़ा सपोर्ट हाल ही बीजेपी छोडने वाले यशवंत सिन्हा से भी मिला है. आम आदमी पार्टी, आरजेडी, समाजवादी पार्टी के समर्थन से खड़े राष्ट्र मंच के बैनर तले यशवंत सिन्हा दिल्ली में धरने पर बैठ गये हैं. सिन्हा का कहना है कर्नाटक में इंसाफ होने पर ही वो धरना खत्म करेंगे.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सूरजेवाला ने येदियुरप्पा को एक दिन का मुख्यमंत्री करार दिया है. वैसे भी येदियुरप्पा अभी तक एक भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये हैं. आगे क्या होने वाला है किसे पता?

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