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Updated: 03 दिसम्बर, 2017 05:52 PM
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एक विज्ञापन की लाइन है - 'पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें'. लगता है बीजेपी को ये स्लोगन कुछ ज्यादा ही भा गया है. 2014 के आम चुनाव में बीजेपी देश भर में गुजरात मॉडल और विकास को चुनावी मुद्दा बना कर वोट मांगती रही. यूपी निकाय चुनाव में जीत के बाद एक बार फिर बीजेपी अयोध्या लौटने को आतुर दिखती है. बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी ने बड़े भरोसे के साथ कहा है कि अगले साल दिवाली वो राम मंदिर में मनाएंगे.

चुनावी हिसाब से बीजेपी को मौका और माहौल दोनों ही माकूल नजर आ रहा होगा. 6 दिसंबर को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराये जाने के 25 साल पूरे हो रहे हैं और उससे एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस में आखिरी दौर की सुनवाई शुरू होने जा रही है. गुजरात में 9 दिसंबर को पहले चरण के वोट डाले जाएंगे और उससे एक दिन पहले एक फिल्म 'गेम ऑफ अयोध्या' रिलीज होनी है, जिसको लेकर पद्मावती की ही तरह बवाल शुरू होने लगा है.

अयोध्या की दिवाली

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस साल अयोध्या में नया एक्सपेरिमेंट किया. योगी का अयोध्या में दिवाली इवेंट सफल तो रहा ही, निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत में भी उसका बड़ा रोल रहा. योगी का ये प्रयोग एक तरीके से 2019 के लिए रिहर्सल जैसा रहा चुनावी जीत ने इस पर कामयाबी की मुहर भी लगा दी है.

जाहिर है बीजेपी अयोध्या के नाम पर अपने पक्ष में बने माहौल का फायदा गुजरात चुनाव में भी उठाना चाहेगी. बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी का तो कहना है कि साल भर के अंदर राम मंदिर बन कर तैयार हो सकता है क्योंकि सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.

subramanian swamyअगली बार मंदिर में दिवाली मनाना चाहती है बीजेपी...

स्वामी कहते हैं, 'ये संभव है कि अयोध्या में अगले साल अक्टूबर तक राम मंदिर लगभग बनकर तैयार हो जाए क्योंकि सब कुछ तैयार है और निर्माण कार्य के लिए सारा सामान पहले ही बना लिया गया है. सिर्फ आपस में स्वामी नारायण मंदिर की तरह इन्हें जोड़ने की जरूरत है.'

बीजेपी नेता का कहना है कि मंदिर निर्माण के लिए किसी नये कानून की भी जरूरत नहीं है, 'राम मंदिर के निर्माण के लिए नया कानून बनाने की जरूरत नहीं... हम कानून ला सकते हैं, लेकिन मैं सोचता हूं इसकी जरूरत नहीं... क्योंकि हम ये केस जीत रहे हैं... मुझे पूरा भरोसा है कि हम जीतेंगे.' भरोसे से भरपूर स्वामी का दावा है - 'हम आनेवाली दिवाली राम मंदिर में मनाएंगे.'

'गेम ऑफ अयोध्या'

गुजरात में पहले फेज के चुनाव से ठीक एक दिन पहले 8 दिसंबर को एक फिल्म रिलीज होने जा रही है जिसको लेकर विवाद शुरू हो गया है. फिल्म पद्मावती पर हुए हंगामे की ही तरह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक नेता ने घोषणा की है कि जो कोई भी फिल्म 'गेम ऑफ अयोध्या' के निर्माता का हाथ काटकर लाएगा उसे एक लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा. फिल्म के निर्माता सुनील सिंह राष्ट्रीय लोकदल के पूर्व विधान परिषद सदस्य हैं और अलीगढ़ में रहते हैं. ये फिल्म लिब्राहन कमीशन की रिपोर्ट पर आधारित बतायी जाती है.

एबीवीपी का आरोप है कि फिल्म में बाबरी ढांचा विध्वंस के इतिहास से छेड़छाड़ की गयी है जिससे हिन्दू समाज की भावनाओं को काफी ठेस पहुंची है. धमकी देने वाले नेता का कहना है कि अगर फिल्म रिलीज होती है तो जो लोग इसे देखने जाएंगे वो खुद जिम्मेदार होंगे और सिनेमा हाल के मालिक भी इस फिल्म को अपने खतरे पर दिखाएंगे.

बाबरी मस्जिद गिराये जाने के दस साल बाद 2002 में गोधरा कांड हुआ. तब ट्रेन में आग लगा दिये जाने से अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवकों की मौत हो गयी थी जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गये. इस घटना के बाद गुजरात में जो ध्रुवीकरण हुआ बीजेपी अब तक उसका फायदा उठाती आयी है, लेकिन इस बार जातिगत समीकरण बन जाने से बीजेपी को मुश्किल हो रही है. ऐसे में बीजेपी को फिर से अयोध्या के नाम पर ही फायदा नजर आ रहा है. इस बीच योगी सरकार ने अयोध्या को जनकपुर से भी जोड़ने की कोशिश की है. अयोध्या नगर निगम और नेपाल की जनकपुर नगर पालिका के बीच 25 नवंबर को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुआ है जिसके बाद दोनों मिल कर नयी योजनाओं पर काम करेंगे. योगी सरकार ने ही पहली बार अयोध्या को नगर निगम बनाया है और चुनाव में मेयर भी बीजेपी का ही जीता है.

yogi adityanathअयोध्या में दिवाली...

गुजरात में कांग्रेस का सोशल मीडिया कैंपेन 'विकास पागल हो गया है' काफी हिट रहा, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया गया. कांग्रेस का कहना था कि प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ख्याल रखते हुए कैंपेन वापस लिया गया. कांग्रेस ने अपना कैंपेन भले ही वापस ले लिया हो, लेकिन लगता है बीजेपी को भी विकास को लेकर कुछ वैसा ही अहसास होने लगा है तभी तो अयोध्या की ओर लौट रही है.

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