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Updated: 16 नवम्बर, 2017 01:34 PM
अमित अरोड़ा
अमित अरोड़ा
  @amit.arora.986
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गुजरात विधान सभा चुनावों में कांग्रेस एक नई रणनीति से उतरी है. न कोई कांग्रेसी नेता 2002 के गुजरात दंगों की बात करता है और न कोई केंद्र सरकार पर असहिष्णु होने का आरोप लगता है. वह कांग्रेस जो मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए जानी जाती थी वह बहुसंख्यक हिंदू समाज को प्रसन्न करने में लगी हुई है. अपने गुजरात चुनाव प्रचार में कांग्रेस उपधायक्ष राहुल गांधी अनगिनत मंदिरों के दर्शन कर चुके हैं. दूसरी ओर भाजपा है जिसकी उन्नति ही अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन से हुई है. भाजपा अपने आपको एक राष्ट्रवादी राजनीतिक दल कहती है तथा इसके नेता बड़े गर्व से हिंदुत्व को अपना मूल मंत्र मानते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश-विदेश के मंदिरों में जाना तो सब को पता ही है.

गुजरात चुनाव में इस मंदिर यात्रा का परिणाम क्या होगा, गुजराती इसे किस प्रकार ग्रहण करते है, इसका उत्तर तो राज्य चुनाव का परिणाम ही बताएगा. यह बात तो तय है कि यदि कांग्रेस अगले वर्ष के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोक सभा चुनाव में भी नर्म हिंदुत्व की नीति प्रयोग करेगी तो भाजपा के लिए बहुत बड़ी समस्या पैदा होने वाली है. भाजपा अपने आपको एक हिंदूवादी दल के रूप में प्रस्तुत करती आई है, ऐसा राजनीतिक दल जो हिंदू समाज के अधिकारो के लिए सजग हो और समाज के हित में हो.

राममंदिर, भाजपा, कांग्रेस, चुनाव    कह सकते हैं कि आज के समय में राम मंदिर भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए बेहद खास है

भारत में ऐसे कई विषय है जिनको लेकर हिंदू समाज सुधार अथवा बदलाव चाहता है, परंतु तथाकथित हिंदू समर्थक भाजपा ने उन मुद्दो पर आजतक कोई ठोस काम नहीं किया. क्या है वह मुद्दे जिनमे हिंदू समाज सुधार या परिवर्तन चाहता है :

• अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण - भाजपा ने बातें तो बहुत की परंतु देश और प्रदेश दोनो में उनकी सरकार होने के बावज़ूद मंदिर का मामला लटका हुआ है.

• समान नागरिक संहिता - दशकों से यह विषय सिर्फ़ बहस का मुद्दा ही बन पाता है.

• विस्थापित कश्मीरी पंडितों का कश्मीर में पुनर्वास - इस विषय पर भी बहुत चर्चा हुई, बैठकें हुईं लेकिन परिणाम शून्य है.

• शिक्षा के अधिकार क़ानून में सुधार - यह क़ानून अल्पसंख्यक समाज की शिक्षक संस्थानों पर लागू नहीं होता, जबकि बहुसंख्यक समाज के शिक्षक संस्थान इसके अधीन है. इस क़ानून में अनेक गलतियां हैं जिसके परिणाम स्वरूप बहुसंख्यक समाज़ के शिक्षक संस्थानों का काम करना अव्यवहारिक होता जा रहा है और वह लगातार बंद हो रहे है.

• 8 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग - भारत के आठ राज्य - लक्षद्वीप, जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और पंजाब में हिंदू समाज अल्पसंख्यक हैं. हिंदुओं की मांग है कि इन राज्यों में उन्हे अल्पसंख्यकों वाले अधिकार मिलने चाहिए.

• मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण का अंत.

आने वाले समय में यदि कांग्रेस नर्म हिंदुत्व की नीति पर कायम रहती है तो धर्म के विषय में कांग्रेस और भाजपा में कोई अंतर नहीं होगा. उस स्थिति में भाजपा सिर्फ़ ज़ुबानी वादे और बातों से अपना उल्लू सीधा नहीं कर पाएगी. दोनो राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में से जो दल, इन विषयों में ज़मीनी काम या प्रयास करेगा वह 2019 लोक सभा चुनावों की दौड़ में लाभदायक स्थिति में रहेगा.

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अमित अरोड़ा अमित अरोड़ा @amit.arora.986

लेखक पत्रकार हैं और राजनीति की खबरों पर पैनी नजर रखते हैं.

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