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Updated: 12 जनवरी, 2019 12:04 PM
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बीजेपी आम चुनाव युद्ध की तरह लड़ने जा रही है. ये संकेत तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू और उनकी ताबड़तोड़ रैलियों से तो मिल ही रहे थे, दिल्ली में हो रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अमित शाह ने पार्टी का पूरा एजेंडा भी साफ कर दिया. अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को अभी से वोटों की गिनती तक जी जान से जुटे रहने को कहा - और साथ में हिदायत भी कि जोश के साथ होश का भी ख्याल रखना जरूरी है. बीजेपी कार्यकर्ताओं के इसी होश को बनाये रखने लिए गाइडलाइन भी तैयार की गयी है.

अमित शाह के भाषण में बीजेपी के चुनाव प्रचार की रूपरेखा तो दिखी ही, समझ में ये भी आया कि देश में संभावित गठबंधन से ज्यादा उसे यूपी के गठबंधन की फिक्र है - और यूपी की लोक सभा सीटें बीजेपी के लिए बहुत मायने रखती हैं.

गठबंधन और यूपी पर खास नजर रहेगी

यूपी में मायावती और अखिलेश यादव के बीच गठबंधन की औपचारिक घोषणा होने वाली है, लेकिन 6 सीटों की मांग को लेकर अजीत सिंह की पार्टी आएलडी अड़ गयी है. कैराना की जीत के साथ ही अजीत सिंह अब ऐसे मोड़ पर पहुंच चुके हैं कि कांग्रेस नेतृत्व भी उनमें दिलचस्पी दिखाने लगा है. मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि फिलहाल अजीत सिंह दोनों हाथों में लड्डू होने जैसा महसूस कर रहे हैं. कांग्रेस और आरएलडी के बीच पहले भी गठबंधन हो चुका है.

उत्तर प्रदेश की इस उठापटक पर बीजेपी पूरी नजर लगाये हुए है. अमित शाह ऐसे गठबंधन को ढकोसला बता रहे हैं. कहते हैं, 'कभी एक दूसरे का मुंह न देखने वाले आज हाथ मिलाकर टहल रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि मोदी जी को हराना मुश्किल है'.

गठबंधन को अपने तरीके से आसानी से समझाने की कोशिश में अमित शाह कहते हैं, 'राजनीति फीजिक्स नहीं, केमिस्ट्री होती है - दो पदार्थ मिल कर तीसरा पदार्थ भी बना देते हैं. ये मिसाल 2017 में यूपी में हुए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के संदर्भ में होता है.

अमित शाह के भाषण से ऐसा लगता है कि देश के बाकी हिस्सों में बीजेपी का जैसा भी प्रदर्शन रहे, यूपी को लेकर पार्टी पूरी तरह सतर्क है - और सीटों की संख्या बरकरार रखने के लिए बीजेपी कोई कसर बाकी नहीं रखने वाली है. अमित शाह देश में दोबारा मोदी की सरकार का यकीन तो दिलाते हैं सीटों की संख्या पर खास जोर सिर्फ यूपी पर ही लगता है.

bjp national executiveगठबंधन पर है बीजेपी की नजर, यूपी पर खास जोर

बड़े यकीन के साथ अमित शाह कहते भी हैं, 'यूपी में 73 से 74 होगी, लेकिन 72 नहीं होने वाली है.'

2019 का बीजेपी का एजेंडा

बीजेपी कार्यकारिणी में अमित शाह के भाषण से पार्टी का चुनावी एजेंडा काफी हद तक साफ हो जाता है. राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ, बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर माहौल बनाये रखने वाली है - और पूरा जोर 'ब्रांड मोदी' पर रहेगा.

1. वैचारिक युद्ध : कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी बीजेपी के खिलाफ विचारधारा की ही लड़ाई बताते हैं - और नफरत के बदले प्यार बांटते दिखने के लिए मोदी से गले मिलते हैं. अमित शाह विचारधारा की इसी लड़ाई को युद्ध की संज्ञा दे रहे हैं, '2019 का चुनाव वैचारिक युद्ध का चुनाव है, दो विचारधाराएं आमने सामने खड़ी है, 2019 का युद्ध सदियों तक असर छोड़ने वाला है और इसीलिए मैं मानता हूं कि इसे जीतना बहुत महत्वपूर्ण है.' जोर चुनाव जीतने पर है - और यही बात गौर करने वाली है. येन, केन प्रकारेण - राफेल की काट में मिशेल जैसा प्रधानमंत्री मोदी खुद बताते हैं और यूपी गठबंधन बनते दिखने की सूरत में सीबीआई के छापे, जैसा अखिलेश यादव और मायावती का इल्जाम है.

2. ब्रांड मोदी : बीजेपी चुनाव में ब्रांड मोदी को बड़ी मजबूती से पेश करने वाली है. अमित शाह से ही सुनिये, 'आज भाजपा का नेतृत्व दुनिया में सबसे अच्छा है, जो हमें आने वाले चुनावों में जीत दिलाएगा. ये नेतृत्व ही दुनिया में भारत को गौरव के साथ खड़ा करने का काम करेगा. नये भारत की कल्पना केवल प्रधानमंत्री मोदी की नहीं है, यह देश के लाखों युवाओं की है. मोदी जी के अलावा भारत में और कोई मजबूत सरकार नहीं दे सकता.'

3. मंदिर निर्माण : चुनाव से पहले मंदिर निर्माण की चाहे जैसी भी तस्वीर नजर आ रही हो, बीजेपी पूरे चुनाव प्रचार में बताएगी कि वो क्या चाहती है - 'भव्य राम मंदिर का निर्माण हो.'

कार्यकारिणी में जब अमित शाह मंदिर निर्माण का जिक्र करते हैं तभी कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए शोर मचाते. फिर क्या अमित शाह भी शुरू हो जाते हैं और तीन बार नारा लगाते हैं - 'भारत माता की जय.'

फिर कांग्रेस को कोसना शुरू करते हैं, 'हम प्रयास कर रहे हैं कि जल्द से जल्द केस का निपटारा हो. संवैधानिक रूप से मंदिर निर्माण का काम होगा, लेकिन कांग्रेस पार्टी रोड़े अटका रही है... हम कार्यकर्ताओं के जरिये बताना चाहते हैं कि हम कटिबद्ध थे, हैं - और रहेंगे भी.'

4. राफेल डील : राफेल डील का मुद्दा कांग्रेस छोड़ने वाली नहीं है, बीजेपी भी ये जानती है इसलिए पूरी तैयारी है. अमित शाह कहते हैं, 'मां-बेटा दोनों बेल पर हैं. हेरल्ड हाउस खाली करने का आदेश हो चुका है. ऐसे राहुल गांधी मोदी सरकार पर प्रहार कर रहे हैं.'

बीजेपी राफेल सौदे में कोई गड़बड़ी नहीं है ये समझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया करेगी. साथ ही राहुल गांधी पर अमित शाह तंज कसते हैं, 'चौबे जी छब्बे बनने निकले थे और दुबे बनकर निकले.'

5. भगोड़े पकड़े जाएंगे : नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या का नाम लेते हुए अमित शाह कांग्रेस पर एक और हमला बोलते हैं. 'आप पूछते हो क्यों भाग गये... चौकीदार सत्ता में आया... डर पैदा हुआ और वे भाग खड़े हुए.'

'चौकीदार चोर है' की काट भी बीजेपी के पास है, अमित शाह वादा करते हैं, 'चौकीदार सब चोरों को पकड़ कर लाएगा.'

6. सर्जिकल स्ट्राइक : संयोग से कार्यकारिणी के पहले दिन ही फिल्म 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' हुई रहती है. सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा के साथ ही अमित शाह भरोसा दिलाते हैं कि देश मजबूत नेतृत्व के हाथों में सुरक्षित है. बताते हैं पूरी दुनिया में दो ही देश थे - अमेरिका और इजरायल जो दुश्मनों को कहीं भी छोड़ते नहीं थे. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत भी अब उस सूची में शामिल हो गया है.

7. NRC : एनआरसी के नाम पर बीजेपी विपक्ष खासकर राहुल गांधी और ममता बनर्जी को कठघरे में खड़ा किये रहेगी. अमित शाह 'राहुल बाबा एंड कंपनी' से जवाब मांगते हैं और कहते हैं ये सब उनके लिए वोट बैंक होगा, बीजेपी को देश की चिंता है.

8. सवर्ण आरक्षण: बताने के जरूरत नहीं सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का मुद्दा तो पूरे चुनाव में छाया ही रहने वाला है. अमित शाह इस मामले में भी कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हैं, 'कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम जनता को मूर्ख बना रहे हैं. मैं कहता हूं कि जरा अपना घोषणापत्र उठाकर देख लीजिये... आपने भी ये वादा किया था.'

9. पांच साल, 50 फैसले: बीजेपी मोदी सरकार की उपलब्धियों की लंबी फेसरिस्त के साथ चुनाव प्रचार में उतरने वाली है. अमित शाह गर्व से बताते हैं कि मोदी सरकार ने पिछले 5 साल में 50 से ज्यादा ऐतिहासिक फैसले लिये हैं. ऐसे फैसलों में '9 करोड़ शौचालय, गरीबों को बैंक अकाउंट, उज्ज्वला योजना' शामिल हैं.

10. नोटबंदी : यूपी चुनाव के बाद बीजेपी नेताओं के मुंह से नोटबंदी का जिक्र शायद ही कहीं सुनने को मिलता रहा. बड़े दिनों बाद प्रधानमंत्री मोदी के इंटरव्यू में इस पर सफाई सुनने को मिली और अब अमित शाह ने भी इसकी चर्चा की है. ऐसा लगता है चुनाव प्रचार में बीजेपी नोटबंदी का जिक्र करेगी. हो सकता है बीजेपी को लग रहा हो कि लगातार इग्नोर करने से नोटबंदी को लेकर लोगों के मन में गलत धारणा बैठ सकती है.

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