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Updated: 18 नवम्बर, 2017 06:17 PM
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चुनाव गुजरात में हो रहे हैं लेकिन माहौल ज्यादा रोमांचक बिहार में दिखाई दे रहा है. नीतीश कुमार की मौजूदा सरकार के दो साल हो चुके हैं लेकिन अब भी वहां वैसी बातें हो रही हैं जो बिहार चुनाव के वक्त हुआ करती थीं.

गुजरात में चुनाव प्रचार चरम पर होने के बावजूद वहां मर्यादा की बात और उस पर अमल हो रहा है, लेकिन बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के आपसी इल्जामात घिनौना शक्ल अख्तियार करने लगा है. बिहार चुनाव के वक्त गुजरात मॉडल की बड़ी चर्चा रही, अब एक अलग प्रसंग में बिहार मॉडल उसे कड़ी टक्कर दे रहा है.

डीएनए विमर्श रिटर्न्स

सेक्स सीडी आने पर पहले उसे सीधे सीधे फर्जी बता देने का ट्रेंड रहा. हार्दिक पटेल ने नया तरीका अपनाया. पहले सवाल किया कि क्या 23 साल के किसीनौजवान की कोई गर्लफ्रेंड नहीं हो सकती? फिर हार्दिक ने सीडी के जरिये कठघरे में खड़ा करने की विरोधियों की कोशिश को ही खारिज कर दिया.

इसी बीच, गुजरात कांग्रेस के नेता शक्तिसिंह गोहिल का एक बयान आया जिसमें उन्होंने कहा था कि पाटीदार समुदाय के युवा नेता हार्दिक पटेल में सरदार पटेल का डीएनए है. गोहिल को काउंटर करने के लिए बीजेपी की ओर से एक ट्वीट में कहा गया कि हार्दिक पटेल में नेहरू का डीएनए है. बीजेपी आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने इस ट्वीट के साथ पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कुछ फोटो भी शेयर किये हैं जिस पर विवाद मच गया है. इन फोटो में से दो में नेहरू अपनी बहन विजयलक्ष्मी पंडित के साथ दिखाई दे रहे हैं.

हार्दिक के संगठन पाटीदार अनामत आंदोलन समिति ने अपने नेता को यौन उत्पीड़न के किसी फर्जी मामले में फंसाये जाने की आशंका जतायी है. हालांकि, कांग्रेस अब पूरी तरह हार्दिक के बचाव में खड़ी हो गयी है. कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि किसी की निजी जिंदगी में दखल देना ठीक नहीं है. दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने भी निजता का मसला उठाकर हार्दिक का बचाव किया था.

बिहार चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान के बाद डीएनए विवाद शुरू हुआ था. गुजरात में भी उसका असर नये रेफरेंस में दिखने लगा है, चरित्रहनन के मामले में बिहार की मौजूदा राजनीति गुजरात को पीछे छोड़ती नजर आ रही है.

तेजस्वी बनाम नीतीश

इसी साल फरवरी की बात है. बिहार विधानसभा के स्थापना और विधानमंडल के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम में तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को अपना 'राजनीतिक गुरु' बताया था. तब तेजस्वी, नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम थे, लेकिन अब वो बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं.

tejashwi yadavनीतीश पर हमलावर तेजस्वी

तेजस्वी के जिस ट्वीट पर बिहार में राजनीतिक घमासान मचा है उस विवाद के नींव की पहली ईंट किसने रखी ये कहना तो मुश्किल है, लेकिन हवा खुद लालू प्रसाद ने दी ये जरूर कहा जा सकता है. लालू प्रसाद ने जब शराब के होम डिलीवरी और जेडीयू प्रवक्ता के घर शराब की महफिल जमने का आरोप लगाया तो बात ब्लड सैंपल तक पहुंच गयी. जेडीयू नेता आरसीपी सिंह ने कहा कि वो चाय भी नहीं पीते, लेकिन नीरज कुमार ने कह बैठे कि वो खून का नमूना देने को तैयार हैं, बशर्ते लालू भी दें. फिर संजय सिंह ने तेजस्वी के खून के नमूने की भी मांग कर डाली.

बात आगे बढ़ी और जेडीयू नेताओं ने एक लड़की के साथ तेजस्वी को घेरने की कोशिश की. सवाल किया कि वो बताएं कि इस महिला से क्या संबंध है?

तेजस्वी ने महिला को महज एक क्रिकेट फैन बताया और कहा कि वो तस्वीर तब की है जब वो आईपीएल में क्रिकेट खेला करते थे. अपने प्रेस कांफ्रेंस में तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर निजी हमले भी किये. तेजस्वी ने पूछा कि उन्होंने ट्रेनों के नाम - अर्चना एक्सप्रेस और उपासना एक्सप्रेस क्यों रखा बतायें.

nitish kumarनीतीश पर निजी हमले

लोक संवाद कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में नीतीश कुमार ने कहा कि वो लालू प्रसाद के सवालों का जवाब नहीं देते क्योंकि वो मीडिया के लिए बयानबाजी करते हैं. तेजस्वी को उन्होंने बच्चा बताया और कहा कि उनके अंदर पिता का स्वभाव है. फिर लालू का कहना था कि तेजस्वी बच्चा नहीं नीतीश का चाचा है.

अब तेजस्वी ने एक ट्वीट कर कहा है कि उन्हें गर्व है कि उनमें पिता का स्वभाव है. इसी में तेजस्वी ने नीतीश से पूछा है कि वो दिल पर हाथ रख कर बतायें कि क्या उनके बेटे में उनका स्वभाव है.

बिहार चुनाव के वक्त तो हालत ये रही कि अमित शाह ने लालू प्रसाद को चारा चोर कह दिया तो राबड़ी देवी ने उन्हें जल्लाद और नरभक्षी तक कह डाला. लालू की बेटी ने तो प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहा था कि बोलता है तो लगता है जैसे गली का गुंडा बोल रहा है.

गुजरात कांग्रेस का 'विकास पागल हो गया है' कैंपेन वापस लेने के पीछे राहुल गांधी वजह बतायी थी - प्रधानमंत्री पद का सम्मान. चुनाव आयोग ने भी बीजेपी के चुनाव प्रचार में 'पप्पू' शब्द के इस्तेमाल को व्यक्ति विशेष के लिए अपमानजनक माना और ऐतराज जताया. बाद में बीजेपी को इसे बदल कर 'युवराज' करना पड़ा. मामला दिलचस्प इसलिए हो गया क्योंकि चुनावी घमासान के बीच गुजरात में मर्यादा पर गौर किया जा रहा है - और उस पर अमल भी. दूसरी तरफ, बिहार में जेडीयू नेताओं और तेजस्वी के बीच घटिया बयानबाजी चल रही है.

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