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Updated: 06 मार्च, 2019 09:19 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की. सेना ने दावा किया कि जैश-ए-मोहम्मद के कैंप पर वह जैसा निशाना लगाना चाहते थे, ठीक वैसा ही हुआ. लेकिन इसी बीच न्यूज एजेंसी रायटर्स ने कुछ सैटेलाइट तस्वीरों को दिखाते हुए ये कहा है कि जिन इमारतों पर बम गिराने का दावा भारतीय वायुसेना कर रही है, वह इमारतें आज भी खड़ी हैं. तो सवाल ये है कि आखिर बम गिरे कहां? अगर सही टारगेट पर गिरे तो नुकसान क्यों नहीं दिख रहा?

सबसे पहली बात तो ये कि जिन सैटेलाइट तस्वीरों को रायटर्स ने दिखाया है, वह सेना की नहीं, बल्कि सैन फैंसिस्को की एक निजी कमर्शियल कंपनी Planet Labs Inc द्वारा जारी की गई हैं. ऐसे में ये हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरें नहीं हैं, लेकिन भारतीय वायुसेना ने सरकार को 12 ऐसी सैटेलाइट तस्वीरें दी हैं जो सेना ने ली हैं और बालाकोट में हुई स्ट्राइक का पुख्ता सबूत हैं. प्लेनेट लैब्स की सैटेलाइट तस्वीरें देखने से तो ये साफ होता है कि इमारतें खड़ी हैं. इनका जवाब है वायुसेना द्वारा सरकार को दी गई तस्वीरों में, जिसे जल्द ही सरकार सार्वजनिक भी कर सकती है. लेकिन चलिए हम आपको बताते हैं कि 250-300 लोगों के मरने का आंकड़ा कहां से आया और हमला होने के बावजूद इमारतें खड़ी कैसे हैं.

पाकिस्तान, भारतीय वायुसेना, आतंकवादटारगेट पर इमारतें अभी भी खड़ी हैं, क्योंकि हमला स्पाइस 2000 गाइडेड बम से हुआ था.

स्पाइस 2000 गाइडेड बम का हुआ इस्तेमाल

कोई भी नुकसान ऊपरी तौर पर इसलिए नहीं दिख रहा है क्योंकि नुकसान अंदरूनी है. इंडिया टुडे के पत्रकार शिव अरूर को डिफेंस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने जिन बमों का इस्तेमाल किया वह स्पाइस 2000 गाइडेड बम थे. इनकी खासियत ही यही है कि ये बम ऊपरी नुकसान नहीं करते, बल्कि अंदर घुसकर फटते हैं. यानी घर की छत पर अंदर घुसने के लिए सिर्फ एक छेद नजर आएगा, लेकिन अंदर तबाही मच चुकी होगी. ये बम जमीन को ऊपर नहीं फटना, इसलिए कोई गड्ढा या तबाही ऊपर से नहीं दिखती है. ये टारगेट में जमीन के अंदर घुसता है और फिर फटता है. कुछ ऐसा ही स्पाइस 2000 बालाकोट में भी किया है. वहां इमारतें खड़ी हैं, लेकिन उन पर छोटे-छोटे छेद दिख रहे हैं. इन तस्वीरों से वायुसेना बेहद संतुष्ट है, क्योंकि उन्हें ये साफ दिख रहा है कि निशाना बिल्कुल सही जगह पर लगा है.

पाकिस्तान, भारतीय वायुसेना, आतंकवादतस्वीर में दिख रहे निशान वायुसेना को संतुष्ट करते हैं कि निशाना टारगेट पर ही लगा है.

कैसे काम करता है स्पाइस 2000?

स्पाइस 2000 को 26 फरवरी को पाकिस्तान में हुई एयर स्ट्राइक के दौरान मिराज 2000 से दागा गया था. इसकी स्टैंड ऑफ रेंज 60 किलोमीटर होती है यानी इसे टारगेट से 60 किलोमीटर दूर से ही निशाना लगाकर टारगेट पर छोड़ा जा सकता है. इसमें एक गाइडेंस किट होती है, जिसके दो हिस्से होते हैं. इसके अगले हिस्से में नोक पर एक कैमरा होता है और पिछले हिस्से में गाइडेंस चिप लगी होती है. इस चिप में टारगेट की तस्वीर, उसका लोकेशन और यहां तक की जीपीएस की जानकारी तक पहले से ही पड़ी होती है. इनकी मदद से स्पाइस 2000 एकदम सही टारगेट को हिट करता है और अंदर घुसकर फटता है. आपको बता दें कि इसे ऑपरेशन के दौरान कंप्यूटर से कंट्रोल भी किया जा सकता है. नीचे दिया वीडियो देखकर आपको अंदाजा लग जाएगा कि ये कैसे काम करता है.

पोखरन परीक्षण में दिखा था नमूना

राजस्थान के पोखरन में सितंबर 2016 में स्पाइस 2000 का परीक्षण किया गया था. नीचे दी गई तस्वीर में आप देख सकते हैं कि एक घर जैसी संरचना पर एक छोटा सा छेद दिख रहा है. भले ही ये घर पूरी तरह से तबाह नहीं हुआ, ना ही इसके आसपास कोई नुकसान हुआ और सिर्फ छत पर एक छेद भर हुआ है, लेकिन इसके अंदर जाकर बम ने सब कुछ तबाह कर दिया.

पाकिस्तान, भारतीय वायुसेना, आतंकवादपोखरन में स्पाइस 2000 का सफल परीक्षण किया जा चुका है.

तो 250 का आंकड़ा कहां से आया?

पाकिस्तान में हुई एयर स्ट्राइक के बाद वायुसेना की तरफ से साफ किया गया था कि हमला सही जगह पर हुआ और बहुत से आतंकी मारे गए, लेकिन उनकी संख्या अभी नहीं बताई जा सकती है. इसके कुछ ही दिनों बाद विपक्ष की ओर से संख्या को लेकर सवाल उठे और तभी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी एक बयान में कहा कि इस हमले में 250 से अधिक आतंकी मारे गए हैं. अब सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि 250-300 आतंकियों के मारे जाने का ये आंकड़ा आया कहां से?

ये आंकड़ा दरअसल एक अनुमान है. नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के सर्विलांस के अनुसार जब बालाकोट में एयर स्ट्राइक की गई, उस समय टारगेट पर 280 से अधिक मोबाइल फोन एक्टिव थे. इन्हीं के हिसाब से अंदाजा लगाया जा रहा है कि अगर हर किसी के पास मोबाइल हो या किसी के पास एक से अधिक मोबाइल हों और कुछ के पास नहीं भी हों तो ये आंकड़े 250-300 के बीच हो सकता है.

वायुसेना साफ कह चुकी है कि कम से 80 फीसदी वेपन ने टारगेट को हिट किया है और सैटेलाइट तस्वीरों से वायुसेना संतुष्ट भी है. इसके साथ ही वायुसेना ने सैटेलाइट की 12 हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरें भी सरकार को दी हैं. जैसे ही ये तस्वीरें मोदी सरकार सार्वजनिक करेगी, वैसे ही सबूत मांग रही विरोधी पार्टियों का मुंह बंद हो जाएगा. साथ ही, दुनिया भर की एजेंसियों को भी जवाब मिल जाएगा कि हमला होने के बावजूद बालाकोट में टारगेट नेस्तनाबूत क्यों नहीं हुआ. पाकिस्तान के दावों की पोल खोलने में भी ये 12 तस्वीरें बेहद अहम होंगी.

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