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Updated: 29 जून, 2020 08:57 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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योगगुरु और आर्युवेदाचार्य बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की शख्सियत में एक बड़ा राजनेता (Politician) झलकने लगा है. सियासत में शीर्ष स्थान पाने के लिए चर्चा, पर्चा और खर्चा जैसी जरुरतें पड़ती हैं. हमेशा चर्चा में रहे दौलतमंद बाबा रामदेव किसी भी चुनावी दावेदारी के लिए पर्चा भर दें तो उनकी जीत आसान होगी. कोरोना (Coronavirus) ठीक करने का दावा करने वाली रामदेव की दवा कोरोनिल (Coronil) की लॉंचिंग पर बवाल के बाद इन दिनों वो एक बार फिर चर्चा मे हैं. उनके खिलाफ जितना विरोध हो रहा है उससे ज्यादा उनके समर्थन में आवाजें उठ रही हैं. सियासत की लेबोरेटरी में पास होने के लिए जितनी जरुरत समर्थकों की होती है उतनी ही आवश्यकता विरोधियों की भी पड़ती है. समर्थन का आगे का कदम भक्ति होती है और भक्ति की अति अंधभक्ति.

Baba Ramdev, Coronil, Patanjali, Medicine, Modi Government बाबा रामदेव की कोरोना की दवा भले ही न आई हो मगर चर्चाओं का बी बाजार उन्होंने गर्म कर दिया है

 

बाबा रामदेव, भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार के घोर समर्थक हैं और बाबा के अधिकांश समर्थक भाजपा पर आस्था रखते हैं. किंतु जब पतंजलि की दवा कोरोनिल की लॉचिंग में इसे कोरोना की दवा का दावा किया गया, उसके कुछ देर मे ही मोदी सरकार के आयुष मंत्रालय ने इसके प्रचार पर रोक लगा दी. काबिलेतारीफ बात ये रही कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के शीर्ष पदों पर बैठे भाजपाइयों ने मित्र धर्म ना निभाकर राजधर्म निभाया.

देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को लेकर खिलवाड़ ना हो इसलिए सरकार ने नकेल कसते हुए पतंजलि की कोरोनिल दल की संपूर्ण टेस्टिंग और अनुमति को लेकर तमाम सवाल खड़े किये. इसके बाद आम जनमानस ने भी सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए रामदेव के विरोध का सिलसिला तेज़ किया. लेकिन रामदेव समर्थकों ने अंधभक्ति के प्रमाण देते हुए कोरोनिल पर आपत्ति लगाने वाली सरकार के फैसले को नजरअंदाज करते हुए उन लोगों पर सोशल मीडिया के जरिये हमला करना शुरू कर दिया जो इस दवा के दावों का विरोध कर रहे थे.

जबकि पहला विरोध मोदी सरकार के मंत्रालय ने किया था, इसके बाद सरकार के फैसले के सुर से सुर मिलाते हुए विरोधियों ने पतंजलि की गैर जिम्मेदाराना हरकत की निंदा की थी. बावजूद इसके रामदेव के समर्थकों ने सरकार के फैसले को अनदेखा कर सोशल मीडिया में ये विचार रखे कि पतंजलि भारतीय पद्धति को आगे बढ़ाने और कोरोना की दवा का अविष्कार कर दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रही है. इसलिए भारत, आर्युवेद, हिन्दुत्व, मोदी और भाजपा सरकार विरोधी इस उपलब्धि को दबाना चाहते हैं.

कांग्रेसी, जेहादी, शांतिदूत, टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग भारत की उपलब्धि से घबराकर छाती पीट रहे हैं. इस खेमीबंदी और वाद-विवाद में रामदेव और उनकी दवा के विरोधियों ने विरोध भी तेज कर दिया. कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में इस दवा पर पाबंदी लगी. देश में कई इलाकों में बाबा के खिलाफ संगीन आरोप लगा कर शिकायते दर्ज की हैं. जिसपर न्यायालय द्वारा फैसला सुनाया जायेगा.

इन तमाम विरोधों और समर्थनों से अलग तथ्यों और तर्कों के नजरिए से देखिये तो सरकार ने कोरोनिल के भ्रामक प्रचार पर रोक लगाने का सही फैसला किया. माना ये दवा कोरोना काल में कारगर होगी. आर्युवेदिक जड़ी-बूटियों से बनीं बाबा की गोलियां प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत करके कोरोना से रक्षा का कवच जैसी हो सकती है.

पर ये दावा करना कि ये दवा सौ फीसदी कोरोना ठीक कर सकती है, ऐसा दावा तो बड़ा अपराध जैसा है. कोविड से बचाव के लिए WHO, दुनिया की मेडिकल हिदायतें, देश के चिकित्सकों और विशेषज्ञों की सलाह-मशवरों को लेकर भारत सरकार ने एक गाइड लाइन बनायी है. जिसमें कोरोना संदिग्ध को जानकारी देकर टेस्ट कराने का प्रावधान है. जिससे सरकार सतर्कता के प्रबंध करे। आकड़ा जारी करे. उसी हिसाब से आक्सीजन, वैंटीलेटर जैसे संसाधनों की तैयारी हो.

हॉटस्पॉट और सोशल डिस्टेंसिंग के कड़े निर्देश किये जायें.  इसीलिए अरबों रुपये के सरकारी खर्च से प्रचार के जरिए जनता को इस बात की जाकरुकता फैलायी जा रही है कि पूरा भारत कोरोना को लेकर सरकारी गाइड लाइन का पालन करे. ऐसे में रामदेव यदि प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने वाली आर्युवेदिक गोलियों को कोरोना के सौ फीसद इलाज का दावा करें. इससे सौ फीसद कोरोना ठीक होने का दावा करें तो क्या ये दावा संज्ञेय अपराध जैसा नहीं है.

इन तमाम बातों को लेकर भारत के अलावा विदेशों में भी बाबा प्रकरण पर बहुत लोगों की नज़र है. हो भी क्यों ना, जब दुनिया इस महामारी को झेल रही है और इसकी वैक्सीन बनाने के लिए विश्व विज्ञान संघर्ष कर रहा है ऐसे में ऐसे दावे पर सबकी नजर होगी ही. भारत के मूल निवासी अरुण कुमार वर्मा हॉलैंड में रहते हैं. उन्होंने पतंजलि की दवा कोरोनिल को वहां के एक लैब में जांच के लिए भेजा है. रिपोर्ट आना बाकी है. उनको शक है कि इस आर्युवेदिक दवा में पैरासीटामोल का मिश्रण है.

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नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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