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Updated: 29 अगस्त, 2020 04:27 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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2017 में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भाजपा (BJP) की सरकार आना और गोरखपुर से तात्कालीन सांसद, योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का मुख्यमंत्री (Chief Minister) बनना भर था पिछली सरकारों और उन सरकारों में शीर्ष पदों पर रह चुके लोगों के अच्छे दिन लद गए. प्रायः कोई न कोई मौका रोजाना ही आता है, जब विपक्ष इस बात को लेकर छाती पीटता है कि योगी आदित्यनाथ नियम कानूनों और नैतिकता को दर किनार करते हुए, कुछ लोगों को टार्गेट कर बदले की राजनीति कर रहे हैं. अब इन बातों में कितनी हकीकत है और कितना फ़साना ? इस पर बात करना अभी जल्दबाजी है. मगर जब हम मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और आज़म खान जैसे लोगों को देखते हैं और फिर ये देखते हैं कि कैसे उत्तर प्रदेश की सरकार गिन गिन के इनका हिसाब कर रही है. तो इस बात की पुष्टि हो जाती है कि किसी जमाने में उत्तर प्रदेश में बाहुबली का स्टेटस रख चुके इन कद्दावर लोगों को सीधे रास्ते पर लाते हुए योगी आदित्यनाथ ने 22 के विधानसभा चुनावों ( UP Assembly Elections 2022) के लिए कुछ सीटें तो पक्की कर ही ली हैं. यानी 22 में जो बड़ा मैच 'यूपी विधानसभा चुनावों'के रूप में उत्तर प्रदेश में होना है, ये एक्शन, उस मैच के पहले की नेट प्रैक्टिस हैं. बता दें कि उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के अवैध निर्माणों पर शिकंजा कसने के बाद अब योगी आदित्यनाथ की हिट लिस्ट में आजम खान (Azam Khan) दोबारा आ गए हैं. आज़म खान के हमसफ़र रिसोर्ट (Azam Khan Humsafar Resort) को तोड़ने के लिए नोटिस इश्यू किया गया है. यदि ये रिसोर्ट टूटता है तो इसका बड़ा खामियाजा आजम और उनके परिवार को भुगतना होगा.

Azam Khan, Humsafar, Construction, Mukhtar Ansari, Atiq Ahmed, UP Electionsहमसफ़र पर वार करके योगी आदित्यनाथ ने आजम खां को बड़ा नुकसान पहुंचा दिया है

ध्यान रहे कि आज़म खान का हमसफर रिसोर्ट ग्रीन बेल्ट के अंतर्गत आता है जिसे सड़क की जमीन पर कब्जा करके बनाया गया था. माना जा रहा है कि इस निर्माण का एक बहुत बड़ा हिस्सा अवैध है और उसी की कीमत आज़म खान को अब चुकानी होगी. मामले में आज़म के ख़िलाफ़ रामपुर विकास प्राधिकरण आया है. जिसने जिला पंचायत द्वारा जारी किए गए रिसोर्ट के नक्शे को अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर स्वीकृत करने और स्वीकृत नक्शे में दिए गए नियमों की अनदेखी करने पर नक्शे को निरस्त कर दिया है. और साथ ही ध्वस्तीकरण के आदेश भी पारित किए गए हैं.

आरडीए ने इस संबंध में वर्तमान में सीतापुर जेल में बंद अब्दुल्लाह आजम और उनकी पत्नी तजीन फातिमा को नोटिस जारी करते हुए 15 दिन के भीतर कब्जा हटाने के निर्देश दिए थे. साथ ही आरडीए ने ये भी कहा था कि यदि कब्जा नहीं हटाया गया तो आरडीए खुद इसे धवस्त कर देगा. साथ ही इसका खर्चा भी आज़म परिवार को उठाना पड़ेगा.

ये कोई पहली बार नहीं है जब आज़म ख़ान का ये रिसोर्ट सत्ता और प्रशासन की नजरों की किरकिरी बना हो. अभी कुछ दिन पूर्व ही रिसोर्ट 'हमसफर' उस वक़्त चर्चा में आया था जब रामपुर विकास प्राधिकरण ने नक्शे का हवाला देकर नोटिस जारी था. तब ये नोटिस आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला आज़म के नाम आया था. तब प्राधिकरण को ये जानकारी हुई कि रिसोर्ट अब्दुल्ला के नाम पर नहीं बल्कि आज़म ख़ान की पत्नी तजीन फातिमा के नाम है. तब रामपुर विकास प्राधिकरण ने संशोधित नोटिस जारी किया था.

चूंकि रामपुर विकास प्राधिकरण ने ख़ान परिवार पर गंभीर आरोप लगाए थे इसलिए तजीन फातिमा भी खुलकर सामने आई हैं. विधायक तजीन फातिमा ने जिला पंचायत द्वारा साल 2014 में जारी किया गया नक्शा आरडीए में पेश किया है लेकिन आरडीए ने इस मानचित्र को यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि जिला पंचायत को उनके अधिकार क्षेत्र में मानचित्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. आरडीए का ये भी कहना है किजिन शर्तों पर जिला पंचायत ने मानचित्र जारी किया खान परिवार ने उन शर्तों का भी उल्लंघन किया है. आरडीए ने अब इस मामले में जिला पंचायत द्वारा जारी नक्शे को निरस्त करते हुए उसे शून्य घोषित कर दिया है.

हमसफर पर बुलडोजर चलता है या नहीं इसका फैसला जल्द हो जाएगा मग़र जिस लिहाज से एक के बाद एक नए मामलों में आज़म खान फंस रहे हैं साफ होजाता है योगी आदित्यनाथ ने आज़म ख़ान का सारा वर्चस्व मिट्टी में मिला दिया है. बाक़ी लंबे समय से राजनीति में रहने के कारण इस बात को जानते तो आज़म भी हैं कि सत्ता का नियम यही कहता है कि जिसकी लाठी है भैंस उसी की है और फिलहाल लाठी उत्तर प्रदेश की कमान संभाल रहे सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के पास है. चूंकि शासन रूपी लाठी योगी आदित्यनाथ के हाथ में है इसलिए एक एक कर वो अपने सभी विरोधियों को उससे हांक रहे हैं.

बीते दिनों जिस तरह राजधानी लखनऊ के डालीबाग में यूपी सरकार ने मुख्तार अंसारी के निर्माण को कुचला और उनके दोनों बेटे पर मुकदमा किया. साथ ही जैसे बीते दो दिनों में प्रयागराज के बाहुबली अतीक अहमद की करीब 60 करोड़ की 7 संपत्तियों को यूपी सरकार ने सीज किया इस बात की पुष्टि हो जाती है कि इससे वो वोटर भाजपा के पाले में आएंगे जो मुख्तार, अतीक और आज़म खान जैसे लोगों के जुल्म ओ सितम से त्रस्त थे.

अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि योगी आदित्यनाथ भी इस बात से वाकिफ हैं कि एक ऐसे वक़्त में जब हिंदू मुस्लिम की राजनीति अब तक के सबसे निर्णायक मोड़ पर हो उत्तर प्रदेश के इन बाहुबलियों पर लिया गया ये एक्शन व्यर्थ नहीं जाएगा. इन सबकी चीजों का फायदा योगी आदित्यनाथ को 2022 के विधानसभा चुनावों में मिलेगा.

योगी तो जानते हैं लेकिन मुख्तार, अतीक या आज़म जैसे लोग जो अभी भी मुगालते में हैं उन्हें समझ लेना चाहिए कि 22 में धुआंधार पारी खेल सकें इसलिए योगी आदित्यनाथ ने नेट प्रैक्टिस अभी से शुरू कर दी है और ये एक्शन, ये नोटिस, ये ध्वस्तीकरण उसी नेट प्रैक्टिस का एक जरूरी हिस्सा है.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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