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Updated: 22 सितम्बर, 2019 03:06 PM
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महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी बहुत बड़ा अलर्ट है. MeToo मुहिम में सामने आये मामलों से भी ये मामला कहीं ज्यादा खतरनाक लगता है.

MeToo अपनेआप में बहुत असरदार अभियान रहा. देश में भी इस मुहिम से कई चेहरे आरोपों के आईने में देखने को मिले - लेकिन सबसे बड़ा मामला तत्कालीन केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर को इस्तीफा देना पड़ा. वो बदनामी भी बीजेपी के ही खाते में गयी है. उन्नाव रेप केस में बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर अभी जेल में ही हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि यौन शोषण के सारे मामले बीजेपी नेताओं के खिलाफ ही आ रहे हैं - तकरीबन हर पार्टी में सेंगर और चिन्मयानंद आपको मिल जाएंगे और ऐसे दर्जन भर से ज्यादा नेताओं के खिलाफ मामले चल रहे हैं.

चिन्मयानंद का इकबाल-ए-जुर्म

उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद से सरकारी तौर पर अगस्त का महीना बच्चों के लिए खतरनाक बताया जाता रहा है - लेकिन अब तो लगता है बड़े हो रहे बच्चों के लिए भी अगस्त में ही बुरी खबर आती है. राहत की बात ये है कि ये बुरी खबर इंसाफ के लिए और अपराधियों को सजा दिलाने का मकसद लिये हुए होती है.

अगस्त 2015 में एक छात्रा ही आसाराम की असलियत सामने लायी थी - और भगवान बनकर घूमता फिरता शख्स एक बार जेल गया तो फिर उसे आने का मौका ही नहीं मिला. सुनवाई खत्म होने के बाद सजा भी उसके जेल में रहते ही सुना दी गयी जिसे वो अभी भुगत रहा है.

क्या संयोग है कि अगस्त के महीने में इंसाफ के लिए आगे आकर आसाराम जैसे ताकतवर ढोंगी संत के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली वो छात्रा भी शाहजहांपुर की ही रही - और चार साल बाद चिन्मयानंद को जेल भिजवाने वाली कानून की छात्रा भी शाहजहांपुर की ही रहने वाली है. चिन्मयानंद की गिरफ्तारी के बाद आसाराम केस की पीड़ित के पिता की बात मीडिया के जरिये आयी है वो काफी महत्वपूर्ण है - 'बहुत खुशी हुई कि एक

और लड़की को सफलता मिली. देर आये, लेकिन दुरूस्त आये. चिन्मयानंद को पकड़ कर जेल भेज दिया गया. हम चाहते हैं कि बाकी जिन लड़कियों का उसने शोषण किया है, उनको भी न्याय मिले.'

rape accused and convictMeToo जैसी एक और मुहिम की जरूरत आ पड़ी है

जांच कर रही स्पेशल एसआईटी का दावा है कि चिन्मयानंद ने अपना अपराध कबूल कर लिया है और कहा है - 'मैं शर्मिंदा हूं.' SIT चीफ नवीन अरोड़ा ने बताया है कि चिन्मयानंद ने पीड़ित लड़की को मसाज के लिए बुलाने में अपनी गलती स्वीकार कर ली है. एसआईटी चीफ के मुताबिक पूछताछ में अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को लेकर चिन्मयानंद का कहना रहा - 'जब आपको सब मालूम हो ही गया है तो मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि मैं खुद शर्मिंदा हूं.'

फिर भी ये सब नाकाफी लगता है - क्योंकि पीड़ित कानून की छात्रा का सवाल है कि चिन्मयानंद के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा नहीं दर्ज किया है जिसे लेकर उसने जांच प्रक्रिया पर शक जताया है.

पीड़ित छात्रा के खिलाफ रंगदारी मांगने का केस

चिन्मयानंद की तरफ से रंगदारी मांगने की शिकायत भी पहले से ही दर्ज करायी गयी है - और एसआईटी ने इस सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार किये गये लोगों ने भी एसआईटी के अनुसार अपना अपराध स्वीकार कर लिया है. चूंकि ये शिकायत छात्रा के खिलाफ भी दर्ज है इसलिए उस पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.

एसआईटी की जांच रिपोर्ट से मालूम हुआ है कि आरोप लगाने वाली छात्रा और चिन्‍मयानंद के बीच जनवरी, 2019 से अगस्‍त, 2019 के बीच 200 बार फोन पर बातचीत हुई है - इसी दौरान छात्रा और रंगदारी के इल्जाम में गिरफ्तार किये गये लोगों के बीच 4200 से ज्‍यादा बार फोन पर बात हुई.

एसआईटी का कहना है छात्रा को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया गया है क्योंकि जांच पूरी नहीं हो पायी है. प्रेस कांफ्रेंस में एसआईटी चीफ नवीन अरोड़ा ने पूछे जाने पर कहा, 'हमने निर्णायक साक्ष्‍य होने की वजह से महिला का नाम इसमें शामिल किया है. अन्‍य आरोपियों के बयान भी यह दर्शाते हैं कि महिला इसमें शामिल थीं. हमारी जांच जारी है. हम इलाहाबाद हाई कोर्ट में 23 सितंबर को स्‍टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे और उसके बाद अदालत के निर्देशों का इंतजार करेंगे.'

पहले तो यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा था कि चिन्‍मयानंद को 'रेप के मामले' में गिरफ्तारी हुई है, लेकिन एसआईटी ने सबूतों और छात्रा के बयान के आधार पर चिन्मयानंद को IPC की धारा 376-C, 354-D, 342 और 506 के तहत गिरफ्तार किया है. साथ ही, चिन्मयानंद पर गलत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए IPC-342 और धमकाने को लेकर IPC-506 के तहत केस दर्ज किया गया है.

पीड़िता छात्रा ने एसआईटी की जांच पर सवाल उठाया है क्योंकि बलात्कार की धारा 376 सीधे सीधे नहीं लगायी गयी है. छात्रा का कहना है कि उसने एसआईटी को दर्ज बयान में रेप की बात कही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.

ये गिरफ्तारी नाकाफी लगती है. सिस्टम से लड़ान बहुत मुश्किल होता है. उन्नाव केस की पीड़ित के साथ जो भी प्रायोजित माना जा रहा हादसा हुआ है वो सबसे ताजा मिसाल है. देश में जेसिका लाल और नीतीश कटारा के मामलों में मुकदमे की पैरवी कितनी मुश्किल रही - हर छोटी बड़ी बात से लोग वाकिफ रहे हैं.

चिन्मयानंद को जेल भिजवाने वाली कानून की छात्रा के लिए भी लड़ाई आसान नहीं दिखती - लेकिन कुदरती इंसाफ का तो तरीका ही यही है कि बेगुनाह को सजा न मिले भले ही गुनहगार छूट जाये. किसी भी केस की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल नहीं उठाया जा सकता, बशर्ते तौर तरीका सही और जांच पूरी इमानदारी से हो.

राम रहीम और आसाराम के केस एक जैसे थे, कुलदीप सेंगर और चिन्मयानंद के मामलों को भी राजनीतिक नजरिये से देखें तो करीब करीब एक जैसे ही लगते हैं - लेकिन चिन्मयानंद का केस धर्म और प्रत्यक्ष राजनीति का डेडली कॉम्बो है जो बाकी मामलों से अलग लगता है.

राम रहीम इंसान के रूप में शैतान और आसाराम जैसे संत के रूप में न जाने कितने बलात्कारी अपनी पोजीशन का फायदा उठाते हुए कहीं न कहीं सक्रिय हैं - इनके नाम अलग अलग हो सकते हैं. इनके धार्मिक और राजनीतिक विचारधारा का दिखावा भी अलग अलग हो सकता है - लेकिन खाल सबकी एक ही जैसी है जिसमें वो अपना असली चेहरा छुपाये हुए हैं.

आसाराम और राम रहीम अपने अपराधों की सजा भुगत रहे हैं. कुलदीप सेंगर को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी से दिल्ली शिफ्ट कर दिया है. बाकी सारे तो खुद को आखिर तक बेकसूर और साजिश का शिकार बता रहे हैं - लेकिन चिन्मयानंद ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है.

ऐसे नाजुक हालात में जरूरी हो गया है कि कोई ऐसी मुहिम शुरू हो जिसमें MeToo जैसे पुराने पाप नहीं, बल्कि ताजातरीन जो कुछ भी परदे के पीछे हो रहा है - वो सामने आये. जरूरी नहीं कि ये मुहिम कोई निजी स्तर पर ही शुरू करे - सरकार या सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी ऐसी पहल हो सकती है जिसकी सख्त जरूरत है.

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