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Updated: 31 मई, 2021 10:06 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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उत्तर प्रदेश में गंगा में या नदी किनारे शवों को दफनाये जाने की चर्चा राप्ती नदी की तरफ जा रही है - एक वायरल वीडियो चर्चा में है जिसमें पीपीई किट पहने कुछ लोग एक शव को नदी में बहाने के लिए पुल से फेंक रहे हैं - बाकी कोविड 19 के घटते मामलों को देखते हुए कोरोना कर्फ्यू में छूट दी जाने लगी है. फिर भी ऐसे 20 जिले हैं जहां कोरोना वायरस संक्रमण के ज्यादा मामले हैं - और वहां पाबंदियां अभी पहले की ही तरह कायम रहेंगी.

कोरोना पर काबू पाने के वाराणसी मॉडल को फिलहाल बीजेपी प्रमोट कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बीजेपी एमएलसी अरविंद शर्मा की देखरेख में इस पर काम शुरू हुआ था और अब इसे बेहद कारगर मॉडल माना जा रहा है.

अरविंद शर्मा (Arvind Sharma) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही बढ़ते कोरोना के मामलों को हैंडल करने के लिए वाराणसी भेजा था - और महीने भर में ही पूर्व नौकरशाह ने न सिर्फ कोरोना संकट की बदइंतजामियों पर काबू पा लिया, बल्कि सारे जरूरी इंतजाम भी पूरे कर लिये.

अब यूपी के कई जिलों में कोविड 19 कंट्रोल के वाराणसी मॉडल पर ही अमल करने पर जोर दिया जा रहा है. हाल में यूपी के कई जिलों का दौरा कर चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने जिलाधिकारियों को वाराणसी मॉडल पर ही काम करने का निर्देश दिया था - जिस पर काम चल रहा है.

लेकिन वाराणसी मॉडल के विस्तार और फोकस को ध्यान से देखें तो उसमें एक खास तरह की राजनीति भी समझ में आती है - अरविंद शर्मा अपने वाराणसी मॉडल के साथ उन्हीं इलाकों में सक्रिय नजर आते हैं जो बरसों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे ज्यादा प्रभाव क्षेत्र वाले माने जाते रहे हैं.

ये कौन सी आग है जिसका धुआं नजर आ रहा है

जब यूपी के कई शहरों में कोविड 19 के बढ़ते प्रकोप के बीच लोग ऑक्सीजन सिलिंडर, अस्पतालों में बेड और जरूरी दवाओं के लिए सड़क पर इधर उधर भागते फिर रहे थे, उसके बहुत बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी नेतृत्व को खासा चिंतित देखा गया. ये उसके भी बहुत बात की बात है जब यूपी में हुए पंचायत चुनावों के नतीजे आ चुके थे - और ये भी मालूम हो चुका था कि बाकी जगह कौन कहे बीजेपी को अयोध्या, मथुरा और काशी में ही सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. बीजेपी को ये नुकसान भी कांग्रेस या किसी और दल की वजह से नहीं बल्कि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने पहुंचाया था.

दिल्ली में संघ के सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने मीटिंग बुलाई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ साथ संगठन महासचिव सुनील बंसल ने भी हिस्सा लिया. मीटिंग के तत्काल बाद दत्तात्रेय होसबले लखनऊ जा धमके - चर्चाएं और तरह तरह की कानाफूसी के लिए तो इतना मसाला काफी ही था.

उसी के आस पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के कोरोना योद्धाओं से वर्चुअल संवाद किया और उनके कामकाज के साथ साथ वाराणसी मॉडल की भी तारीफ की - हालांकि, खबरों की सुर्खियां कोरोना वायरस के शिकार होकर जान गंवाने वालों को याद करते गला रूंध जाने को लेकर बनीं.

वाराणसी मॉडल का मतलब हुआ अरविंद शर्मा की तारीफ. मऊ के रहने वाले अरविंद शर्मा को जनवरी, 2021 में ही बीजेपी ने विधान परिषद भेजा है और माना जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको कुछ खास मकसद के साथ यूपी में महत्वपूर्ण टास्क सौंपा है. गुजरात काडर के आईएएस अफसर रहे अरविंद शर्मा लंबे समय से मोदी के साथ काम करते आ रहे हैं और उनके काफी भरोसेमंद अफसरों में से एक रहे हैं.

arvind sharma, yogi adityanathअरविंद शर्मा वाराणसी मॉडल को जिस तरह आगे बढ़ा रहे हैं, बीजेपी तो मजबूत हो रही है, लेकिन योगी आदित्यनाथ कमजोर हो रहे हैं

अरविंद शर्मा के तो लखनऊ पहुंचने के साथ ही, उनके महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिये जाने की चर्चा होने लगी थी. वो भी जिस तरह आनन फानन में नामांकन दाखिल करने से ऐन पहले उनका वीआरएस लेने में हर किसी की दिलचस्पी रही. हाल फिलहाल योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में फेरबदल की खबरों के बीच कई मीडिया रिपोर्ट में अरविंद शर्मा को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिये जाने की भी चर्चा रही है.

सूत्रों के हवाले से आयी खबरों में यहां तक कहा गया कि केशव मौर्या को फिर से प्रदेश बीजेपी की कमान दी जा सकती है और उनकी जगह अरविंद शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. फिलहाल यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह हैं.

हाल ही में प्रतापगढ़ में बीजेपी के एक पूर्व विधायक ने अपनी फेसबुक पोस्ट में अरविंद शर्मा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक अपील कर योगी आदित्यनाथ समर्थकों को सकते में डाल दिया है. पूर्व बीजेपी विधायक बृजेश मिश्र सौरभ की फेसबुक पोस्ट को लेकर उनका कार्रवाई की तलवार भी लटकती बतायी जा रही है.

बीजेपी नेता ने अपनी फेसबुक पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित करते हुए लिखा है, हम प्रदेशवासी अनुरोध करते हैं कि पूर्व आइएएस अधिकारी अरविंद शर्मा को प्रदेश की बागडोर सौंप कर प्रदेश के जनमानस का खोया हुआ भरोसा पुनः हासिल किया जा सकता है.'

जब दैनिक जागरण अखबार ने बृजेश मिश्र सौरभ से उनकी फेसबुक पोस्ट को लेकर पूछा तो बोले, 'प्रदेश के हालात को देखते हुए जनहित में फेसबुक पर ये पोस्ट किया है... मन की बात कहना कोई गुनाह नहीं है - अगर यह गुनाह है तो उन्हें स्वीकार्य है.'

पूर्वांचल पर शर्मा का इतना जोर क्यों है

अव्वल तो अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पश्चिम उत्तर प्रदेश में दिक्कत होने वाली लगती है - और उसकी वजह है छह महीने से जारी किसान आंदोलन, लेकिन कोविड 19 पर काबू पाने के लिए वाराणसी में बने कमांड सेंटर का दायर सिर्फ शहर या जिले तक सीमित न होकर पूरे पूर्वांचल में फैला नजर आ रहा है. वैसे तो योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उनका भी प्रभाव क्षेत्र पूर्वांचल ही है, न कि पश्चिमी यूपी.

पूर्वांचल में अरविंद शर्मा के बढ़ते दखल का आलम ये है कि आस पास के 17 जिलों में जिलाधिकारियों को वो कोविड कमांड सेंटर को लेकर निर्देश देते हैं. वाराणसी जैसा ही कोविड कमांड सेंटर उन जिलों में भी बनाये जा रहे हैं और कोविड कंट्रोल को लेकर रोजाना एक एक्शन प्लान तैयार होता है और शाम तक प्रोग्रेस रिपोर्ट भी भेजनी होती है. ये जरूर है कि अरविंद शर्मा के साथ साथ जिलाधिकारियों की तरफ से मुख्यमंत्री कार्यालय को भी प्रोग्रेस रिपोर्ट की कॉपी भेजी जाती है.

अलावा इन सबके अरविंद शर्मा जहां भी जैसी जरूरत होती है ऑक्सीजन सिलिंडर और कॉन्सेंट्रेर के भी इंतजाम करते हैं - और बीच बीच में दौरा भी करते रहते हैं.

देखा जाये तो योगी आदित्यनाथ का भी दबदबा उन्हीं इलाकों में ज्यादा माना जाता है जिन पर फिलहाल अरविंद शर्मा की नजर है. राजनीति को अलग रख कर देखें तो एक तरह से अरविंद शर्मा योगी आदित्यनाथ की मदद ही कर रहे हैं.

जिन बदइंतजामियों और कोरोना संकट में बेकाबू हो चले हालात को लेकर योगी आदित्यनाथ निशाने पर आ गये थे, अरविंद शर्मा उन इलाकों की गड़बड़ियों को ही दुरूस्त कर रहे हैं. ऐसा करने का फायदा तो योगी आदित्यनाथ को ही आने वाले चुनावों में मिलना चाहिये.

लेकिन राजनीति में जो ऊपरी तौर पर दिखता है, वैसा तो बिलकुल भी नहीं होता. अगर इसी मामले को राजनीतिक हिसाब से समझें तो अरविंद शर्मा उन चीजों को सुधार कर ट्रैक पर ला रहे हैं जहां योगी आदित्यनाथ फेल हो गये थे. मतलब ये कि अरविंद शर्मा प्रशासनिक मामलों में योगी आदित्यनाथ पर भारी पड़ रहे हैं. भले ही ऐसा अरविंद शर्मा के पुराने अनुभव के चलते हो रहा हो, लेकिन मैसेज तो यही जा रहा है कि अरविंद शर्मा का कामकाज योगी आदित्यनाथ से बेहतर है - और तभी प्रयागराज से एक बीजेपी नेता योगी आदित्यनाथ की जगह अरविंद शर्मा को कमान सौंपने की सलाह दे रहा है. बीजेपी ने जो सलाह दी है उसे वो अपने मन की बात बता रहा है, कहीं ऐसा तो नहीं कि वो अपने अलावा भी कुछ लोगों के मन की बात कर रहा हो.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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