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Updated: 12 अप्रिल, 2019 10:05 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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लोकसभा चुनाव 2019 की शुरुआत जिस तरह के विवादों से हुई है उससे लगता है जैसे 23 मई आते-आते फेक न्यूज और विवादित खबरों की बाढ़ सी आ सकती है. फरवरी में हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही सेना को लेकर बहुत सी बातें कही गईं. न सिर्फ राजनीतिक भाषणों में इसका जिक्र हो रहा है बल्कि सेना के जवानों की तस्वीरों से लेकर एयर स्ट्राइक तक सब कुछ ही राजनीति का मुद्दा बन गया. आखिरकार चुनाव आयोग को हत्क्षेप करना पड़ा कि सेना का गलत इस्तेमाल राजनीति के लिए नहीं किया जाएगा.

चुनाव आयोग की ये बात पार्टियों ने तो सुन ली, लेकिन शायद फेक न्यूज फैलाने वालों ने इसे नजरअंदाज कर दिया. 12 अप्रैल को ऐसी खबर आई कि सेना के आठ पूर्व सर्विस चीफ और 148 अन्य सैनिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ये कहते हुए पत्र लिखा है कि वो सेना का इस्तेमाल राजनीति में होने से आहत हैं. इसमें आर्मी चीफ (रिटायर्ड) जनरल एसएफ रोड्रिग्ज, जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी, जनरल (रिटायर्ड) दीपक कपूर और एयरफोर्स के एयर चीफ मार्शल (रिटायर्ड) एनसी सूरी के नाम दिए गए थे. इसके अलावा, तीन पूर्व नेवी चीफ एडमिरल (रिटायर्ड) एल रामदास, एडमिरल (रिटायर्ड) अरुण प्रकाश, एडमिरल (रिटायर्ड) मेहता और एडमिरल (रिटायर्ड) विष्णु भागवत के भी नाम थे.

पत्र के साथ-साथ नामों की एक लिस्ट भी थी जिसमें सभी सैनिकों का नाम दिया गया था.पत्र के साथ-साथ नामों की एक लिस्ट भी थी जिसमें सभी सैनिक अफसरों का नाम दिया गया था.

इस पत्र में कथित तौर पर सैनिकों ने ये कहा था कि वो सर्जिकल स्ट्राइक का क्रेडिट सरकार द्वारा लिए जाने से खासे परेशान हैं. साथ ही सेना को 'मोदीजी की सेना' बुलाने और पोस्टर में पाक का एफ-16 मार गिराने वाले पायलट अभिनंदन की तस्वीर के इस्तेमाल को भी वो गलत बता रहे थे. इसमें लिखा गया था कि राजनीति के लिए सेना का इस्तेमाल चिंताजनक है.

जैसे ही इस चिट्ठी की खबर फैली वैसे ही लोगों ने सोशल मीडिया पर इसके बारे में बातें लिखनी शुरू कर दीं और कई न्यूज वेबसाइट्स ने इस खबर को चलाया. पर कुछ ही देर में इसकी असलियत भी सामने आ गई.

1. राष्ट्रपति भवन से इस बात का खंडन आ चुका है कि उन्हें तो ऐसी कोई चिट्ठी मिली ही नहीं.

2. सेना के जिन अधिकारियों का नाम लिखा गया है उनमें से भी कुछ ने इस बात का खंडन किया है कि ऐसी कोई चिट्ठी उनके द्वारा साइन नहीं की गई है.

हां, सभी सैनिकों ने इसका खंडन नहीं किया. पर जिसका नाम सबसे पहले दिया गया था देखिए वो क्या कहते हैं इस बारे में-

जनरल एसएफ रोड्रिग्ज का कहना है कि, 'मैं नहीं जानता कि ये लेटर क्या है. मैं अपनी पूरी जिंदगी राजनीति से दूर रहा हूं. 42 साल अफसर रहने के बाद अब बदलना थोड़ा मुश्किल है. मैंने हमेशा भारत को पहले रखा है और मैं नहीं जानता कि कौन ये लोग हैं जो फेक न्यूज फैला रहे हैं.'

एयरफोर्स चीफ एनसी सूरी ने कहा, 'ये एडमिरल रामदास (जिनके हस्ताक्षर हैं.) का लेटर नहीं है, ये किसी मेजर चौधरी का काम है. उन्होंने इसे लिखा था और ये वॉट्सएप और ईमेल पर आ रहा है. मेरी सहमती इस लेटर के लिए नहीं ली गई. मैं लेटर से सहमत नहीं हूं.'

जिस चिट्ठी की बात हो रही है उसमें चिंता जाहिर की गई है कि जिस तरह का माहौल लोकसभा चुनाव 2019 के पहले बन रहा है उससे तो लगता है जैसे आगे चलकर और भी समस्या होगी. सेना को लेकर और भी बयान दिए जा सकते हैं. चिट्ठी में चुनाव आयोग का 'मोदी की सेना' बयान पर आपत्ती जताना भी अच्छा माना गया है. पर फिर भी सेना का क्रेडिट सरकार द्वारा लिए जाने को पूरी तरह से गलत कहा है.

जहां एक ओर इस तरह की बातें सुनकर सेना की तरफ से सफाई आई है वहीं ये बात भी चिंता का विषय बन गया है कि आखिर सेना का नाम लेकर इस तरह का काम कर कौन रहा है? लेटर में लिखा है कि सरकार द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक का क्रेडिट लेने से परेशान हैं. क्रेडिट तो मोदी जी ले रहे हैं. तो फिर क्या इसे मोदी के खिलाफ साजिश माना जाए?

अगर आगे चलकर सेना का कोई अधिकारी इस चिट्ठी की जिम्मेदारी ले लेता है तब तो एक बार को इसकी सत्यता मानी जा सकती है, लेकिन अगर नहीं तो फिर ये बेहद चिंताजनक बात हो जाती है कि सेना का नाम लेकर अब इतनी ओछी हरकत भी की जा रही है.

ये सही है कि राजनीति के लिए सेना का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और ऐसा करना बेहद गलत है, लेकिन फेक न्यूज के लिए या किसी तरह की गड़बड़ी के लिए भी सेना का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. सेना न ही राजनीतिक हो सकती है, न ही धार्मिक, सेना सामाजिक है और देश के लिए ही काम करती रहेगी.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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