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Updated: 25 दिसम्बर, 2019 10:11 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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नागरिकता संशोधन कानून का सीधा असर छात्रों (Students Protesting Against CAA)पर दिख रहा है. जामिया मिलिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, नदवा, जाधवपुर यूनिवर्सिटी, बीएचयू ये इन जगहों के छात्र ही है जो इस कानून के खिलाफ सबसे ज्यादा सड़कों पर आ रहे हैं और अपने तरीके से सरकार और उसकी नीतियों का विरोध कर रहे हैं. विरोध की आग आईआईटी मद्रास (CAA Protest In IIT Madras) पहुंच गई है जहां तमाम छात्रों के साथ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत भारत पहुंचे जर्मन स्टूडेंट ने न सिर्फ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लिया (German Student Protesting Against CAA In IIT Madras). बल्कि नए कानून के विरोध में नारे भी लगाए. जर्मन छात्र को ये सब करना महंगा पड़ गया है. CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे आईआईटी मद्रास में फिजिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे जैकब लिंडेंथल को वापस एम्सटर्डम भेज दिया गया है. अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की मानें तो छात्र को चेन्नई में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय की ओर से मौखिक तौर पर भारत छोड़ने के निर्देश मिले थे. ध्यान रहे कि आईआईटी मद्रास में CAA के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में 24 साल के जैकब लिंडेंथल ने सक्रिय भूमिका निभाई थी. प्रदर्शन (Protest Against CAA) के दौरान उसने तमाम पोस्टर पकड़े और मामले को लेकर अपना विरोध दर्ज किया.

जर्मन छात्र, नागरिकता संशोधन कानून, विरोध प्रदर्शन, German Studentनागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन करता एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत आईआईटी मद्रास आया जर्मन छात्र

विरोध का समर्थन कर रहे तमाम लोग जर्मन छात्र जैकब लिंडेंथल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. वायरल हुई एक तस्वीर में उसने अपने हाथों में एक पोस्टर ले रखा है जिसमें पुलिस और उसकी कार्यप्रणाली की निंदा की गई है. पोस्टर में लिखा था कि 'Uniformed Criminals = Criminals. वहीं छात्र की एक तस्वीर वो भी वायरल हुई है जिसमें उसके पोस्टर में 1933-1945 We have been there'. दर्ज है.

बात विदेशी छात्र को रवाना करने की हुई है तो बता दें कि इसपर अधिकारियों का तर्क है कि पढ़ाई के सिलसिले में भारत आए छात्र ने वीजा नियमों का उल्लंघन किया है जिसके लिए उसे भारत छोड़ देना चाहिए. हालांकि अभी तक या साफ़ नहीं हो पाया है कि छात्र को वापस भेजने का फैसला आईआईटी मद्रास का था. या फिर ये फैसला केंद्र सरकार ने लिया था.

मामला विदेशी छात्र के सरकार विरोधी आंदोलन से जुड़ा होने का है तो इसपर राजनीति होनी स्वाभाविक थी. जर्मन छात्र को वापस भेजे जाने को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं जैसे पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम और शशि थरूर ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्विटर पर लिखा है कि जर्मन हमें दुनिया के इतिहास में एक काले अध्याय की याद दिला रहे हैं ताकि हम भारत में ऐसा न दोहराएं. छात्र हमारी कृतज्ञता का हकदार है. साथ ही चिदंबरम ने आईआईटी के अधिकारियों को भी सवालों के घेरे में लिया है और पूछा है कि आईआईटी के निदेशक कहां हैं? चेयरमैन कहां है? आइए हम दोनों की बातें सुनें.

चिदंबरम का ये पूछना भर था प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है. तमाम ट्विटर यूजर हैं जिन्होंने चिदंबरम को याद दिखाया है कि ऐसा तब भी हो चुका है जब देश की कमान कांग्रेस के हाथ में थी. @lakshyamtweets नाम के यूजर ने हिंदुस्तान टाइम्स का एक आर्टिकल ट्वीट करते हुए चिदंबरम को याद दिलाया है कि कुडनकुलम न्‍यूक्लियर प्‍लांट का विरोध कर रहे एक जर्मन नागरिक को 2012 में यूपीए सरकार ने वापस अपने देश भेज दिया था.

ट्विटर पर तमाम यूजर्स हैं जो चिदंबरम को 2012 में घटी उस घटना की याद दिला रहे हैं.

वहीं @rangakidambee नाम के यूजर ने उन्होंने बताया है कि उनके द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए मामले को मुद्दा बनाकर देश की जनता को गुमराह किया जा रहा है. ट्विटर यूजर ने उन्हें बताया है कि बाहर से भारत  आकर पढ़ाई करने वाले किसी भी स्टूडेंट को सरकार विरोधी किसी भी गतिविधि में शामिल होने की इजाजत नहीं है.

गौरतलब है कि भारत में रहकर पढ़ाई कर रहे किसी भी छात्र को ये इजाजत नहीं है कि वो किसी भी तरह के साकार विरोधी प्रदर्शन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराए.

इन तमाम बातों के बाद अब बात करते हैं कांग्रेस नेता शशि थरूर की. शशि थरूर ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल को टैग करते हुए ट्वीट किया कि यह निराशानजक है. हमारा एक ऐसा लोकतंत्र है, जो कि दुनिया के लिए एक उदाहरण है. लोकतंत्र में कभी भी अभिव्यक्ति की आजादी नहीं छीनी जाती. मैं आपसे गुहार करता हूं कि आप आईआईटी मद्रास को निर्देश दें, कि उस छात्र को वापस भेजने का फैसला वापस लिया जाए.

इस ट्वीट के बाद थरूर को भी लोगों से खूब ज्ञान मिला है जिसमें उन्होंने बताया गया है कि छात्र ने गलती की है और उसे इसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए.

पूरा मामला देखकर इतना तो साफ़ हो गया है कि चाहे नागरिकता संशोधन कानून या उससे जुड़े प्रदर्शन कांग्रेस खूब जमकर उसे भुना रही है और उसपर जबरदस्त राजनीति कर रही है. कांग्रेस को वो दौर भी याद रखना चाहिए जब खुद उसने तमाम प्रदर्शकारियों का गला घोंटा है और उनकी आवाजों को बंद करने का प्रयास किया है. आज कांग्रेस नैतिकता की बातें इसलिए कर रही है क्योंकि वो सत्ता में नहीं है. यदि कल वो सत्ता में आएगी तो 'इतना तो तय है कि नैतिकता' भूलकर वो भाजपा से कहीं ज्यादा बदतर बन जाएगी.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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