New

होम -> सियासत

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 24 जनवरी, 2018 01:06 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
  @alok.ranjan.92754
  • Total Shares

शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में शिवसेना ने बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए से अलग होने का फैसला किया है. बैठक में निर्णय लिया गया कि शिवसेना 2019 लोकसभा और विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ेगी. लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि पार्टी केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से बाहर होगी या नहीं. इसके साथ ही आदित्य ठाकरे को पार्टी का नेता चुना गया जो पार्टी की नीतियां को निर्धारित करेंगे.

हर पार्टी में संगठनात्मक चुनाव कराया जाना जरुरी है. चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार ये अनिवार्य है. आज शिवसेना में यह चुनाव हो रहा है. इस चुनाव में एक बार फिर से उद्ध‌व ठाकरे का अध्यक्ष चुना जाना तय है. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ये बैठक शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के जन्म शताब्दी के अवसर पर हर साल 23 जनवरी को होता है.

shiv sena, BMC, udhaw thakreyआदित्य ठाकरे को उपाध्यक्ष बना दिया गया

उद्धव ठाकरे वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर से राजनीति के क्षेत्र में आये. उन्हें 2003 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. नवंबर 2012 में लम्बी बीमारी के बाद बाल ठाकरे के निधन के बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. उनके नेतृत्व में शिवसेना को 2014 लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सफलता मिलती है. 2017 मुंबई नगर निकाय चुनाव में भी शिवसेना ने जीत का स्वाद चखा. लेकिन उनके जीत को लेकर कई सवाल उठाये गए. कई समीक्षकों ने कहा कि उनकी जीत पूरी नहीं थी और सरकार में बने रहने के लिए उन्हें समझौता करना पड़ा.

अब सवाल ये उठ सकता है कि क्या बीजेपी और शिवसेना में गठबंधन टूटने के बाद वो अपने दम पर महाराष्ट्र और मुंबई में राज कर सकते हैं? 2014 विधानसभा चुनाव में दोनों चुनाव अलग अलग लड़े थे. शिवसेना को मात्र 63 सीट में ही सफलता मिली थी. इसे निराशाजनक प्रदर्शन कहा जा सकता है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी को मैजिकल फिगर 145 से सिर्फ 23 सीटें कम मिली थी. 2017 के बीएमसी चुनाव में भी शिवसेना को कुल 227 सीट में से मात्र 84 सीट ही मिली थी. दूसरी ओर बीजेपी को 82 सीटों पर सफलता मिली थी. बीएमसी में बीजेपी, शिवसेना को सपोर्ट कर रही है. अब यहां पर सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या भारत की सबसे धनी नगर निकाय से ये अपने को अलग करेगी?

उद्धव ठाकरे को ये क्रेडिट तो जरूर जाता है कि राज ठाकरे की करिश्माई छवि होने के बाद भी वे शांतिपूर्वक शिवसेना के कैडर को एकजुट रखने में सफल रहे और पार्टी की कमान बखूबी अपने हाथ में ले लिया. हाल के दिनों में शिवसेना ने ऐसा कोई मौका और ऐसा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा जिसमें उन्होंने बीजेपी की जमकर खिंचाई नहीं की हो. प्रधानमंत्री मोदी हों या फिर मुख्यमंत्री फड़णवीस, शिवसेना ने उनकी इज्जत पलीद कर दी.

shiv sena, BMC, udhaw thakreyशिवसेना की डगर कठिन है

अब कहां जाएगी शिवसेना?

बीजेपी से अलग होने के बाद शिवसेना का अगला स्टेप क्या होगा ये देखने वाली बात है. वो अपने दम पर 60-70 से अधिक विधानसभा सीट जीत सकती है या नहीं ये भी देखने वाली बात है. अगर उसे अकेले महाराष्ट्र में सरकार बनाना है तो 145 सीटें जीतनी ही होंगी. और आज की परिस्थिति में ये मुश्किल है.

दूसरे क्षेत्रीय पार्टियों जैसे बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी, तमिलनाडु में डीएमके और अन्नाद्रमुक, उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अपने बल पर सरकार बनाने में कामयाब रही है; लेकिन इनकी तरह शिवसेना को ऐसी सफलता कभी नहीं मिली है.

उद्धव ठाकरे के लिए आने वाला समय बहुत ही भारी है. शिवसेना आगे क्या रणनीति अपनाती है ये देखने वाली बात है.

ये भी पढ़ें-

अगर बीजेपी को ब्लैकमेल नहीं कर रहे तो आदित्य ठाकरे किस बूते उछल रहे हैं?

तो इसलिए अहम है "नवाजुद्दीन" का "ठाकरे" बन जाना..

ममता-उद्धव मुलाकात के बाद कोई पंचमेल की खिचड़ी पक रही है क्या?

लेखक

आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय