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Updated: 22 जनवरी, 2017 02:57 PM
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आजमाया हुआ नुस्खा नाकाम नहीं होता और सटीक वार कभी बेकार नहीं जाता. अखिलेश यादव का चुनावी मैनिफेस्टो कुछ ऐसा ही इशारा कर रहा है. समाजवादी पार्टी के मैनिफेस्टो में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और ममता बनर्जी के जीत के फॉर्मूले की छाप दिखती है. अखिलेश के वादे भी काफी हद तक वैसे ही हैं जिनके बूते जया और ममता ने अपने अपने राज्यों में सत्ता पर फिर से कब्जा जमाया.

रणनीतिक तौर पर अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उज्ज्वला योजना पर प्रेशर कुकर चढ़ा दिया तो मायावती की 'पत्थर वाली सरकार' से किसी तरह की उम्मीद न पालने की सलाह दी है.

लोक लुभावन घोषणा पत्र

बीजेपी के अपेक्षित लोक लुभावन बजट से पहले और मायावती के खास पेटेंट 'कानून व्यवस्था' के दावे के दरम्यान अखिलेश यादव ने वादों की ऐसी बौछार की है जिसमें लोग हर मर्ज की दवा और हर दर्द का मरहम ढूंढ लें. समाजवादी पार्टी के इस मैनिफेस्टो में बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं के वेलफेयर के साथ साथ जानवरों तक के लिए एंबुलेंस के वादे किये गये हैं.

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अम्मा कैंटीन की तर्ज पर अखिलेश ने मजदूरों को रियायती दाम पर मिड डे मील, मुफ्त में गेहूं-चावल और मुफ्त इलाज मुहैया कराने का वादा किया है. कुपोषण के शिकार गरीब बच्चों के लिए हर महीने एक किलोग्राम की और मिल्क पाउडर की घोषणा की है. अखिलेश ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार की तरह मोहल्ला क्लिनिक की भी बात कही है. बूढ़ों के लिए ओल्ड एज होम भी बनाए जाएंगे अगर अखिलेश सत्ता में लौटे.

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मोदी सरकार के बजट से पहले अखिलेश यादव का लोक लुभावन मैनिफेस्टो

नीतीश कुमार की तरह महिला वोट बैंक पर भी अखिलेश ने ध्यान दिया है. प्रेशर कुकर तो सिर्फ गरीब महिलाओं को मिलेंगे लेकिन रोडवेज की बसों में सभी महिलाओं को आधा किराया ही देना होगा.

टारगेट मोदी

अखिलेश ने लोगों को समझाने की कोशिश की है कि बीजेपी के विकास का एजेंडा महज एक सपना है तो उनका वाला हकीकत. बतौर सबूत वो एक्सप्रेस वे और मेट्रो को पेश करते हैं तो अगली बार सरकार बनने पर हर जिला मुख्यालय को फोर-लेन सड़क से जोड़ने का वादा भी. आगे जोड़ते हैं - सरकार बनी तो मेट्रो से ही अगला बजट पेश करने जाएंगे - और बनारस के लोग भी मेट्रो की सवारी कर सकेंगे.

अखिलेश की राय मानें तो समाजवादी पार्टी का लैपटॉप हकीकत बन चुका है और स्मार्टफोन बनने वाला है. बड़े गर्व से बताते भी हैं - बटन दबाने पर सबसे पहले लैपटॉप में नेताजी और उनकी तस्वीर उभरती है.

सवाल भी उठाते हैं - क्या लैपटॉप से कैशलेस और डिजिटल इंडिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता?

फिर बीजेपी के विकास के एजेंडे को खुले तौर पर टारगेट करते हैं - विकास के नाम पर कभी झाडू थमा दिया गया तो कभी योगा कराया गया. पूछते हैं क्या यही विकास है?

रही सही कसर पूरी कर देते हैं प्रधानमंत्री की उज्ज्वला योजना पर प्रेशर कुकर चढ़ा कर. सत्ता में लौटने पर अखिलेश यादव ने गरीब महिलाओं को प्रेशर कुकर देने का वादा किया है. उज्ज्वला योजना में गरीब महिलाओं को धुएं से निजात दिलाकर उन्हें गैस पर खाना बनाने का मौका मुहैया कराया जाता है.

टारगेट माया

समाजवादी पार्टी का चुनाव मैनिफेस्टो जारी करते वक्त अखिलेश ने मायावती का खूब मजाक उड़ाया - और उनके शासन को पत्थर वाली सरकार बताया.

24 घंटे पहले मायावती ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश यादव को कई बार दागी बताया था. हालांकि, ये दाग किसी भ्रष्टाचार का नहीं बल्कि कानून व्यवस्था ठीक नहीं रखने को लेकर था.

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अखिलेश ने जवाब में 100 नंबर की सेवाओं का जिक्र किया. पूछा कि कहां इतनी जल्दी पुलिस पहुंचती है? सरकार बनी तो पुलिस और तेजी से मौके पर पहुंचेगी. अब लोग अपने अपने हिसाब से इस बारे में अंदाजा लगा सकते हैं.

अखिलेश भी उन्हीं लोगों से अपनी बात कहना चाहते होंगे जिनसे मायावती कहती रही हैं कि वे समाजवादी पार्टी को वोट देकर उसे बर्बाद न करें. अखिलेश ने कहा कि अगर लोगों ने मायावती की सरकार बनवाई तो उनका जोर सिर्फ इस बात पर होगा कि के जनेश्वर मिश्रा की मूर्ति से बड़ी हाथी जरूर बनवा दें.

प्रधानमंत्री मोदी और मायावती पर तो अखिलेश यादव खूब बरसे लेकिन प्राइमरी स्कूल वाला किस्सा सुना कर कांग्रेस के प्रति संजीदगी जाहिर की. पहले भी कई मौकों पर वो किस्सा सुना चुके अखिलेश ने बताया कि किस तरह एक प्राइमरी स्कूल में जब बच्चे उनके किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे थे तो उन्होंने पूछा - मुझे पहचानते हो? बच्चे ने झट से हां कहा. जब अखिलेश ने कहा बताओ, तो बोला - राहुल गांधी!

जब खाली कुर्सी और नेताजी के आशीर्वाद के सहारे अखिलेश ने पत्नी डिंपल के साथ घोषणा पत्र जारी किया तो माहौल बिलकुल फिल्म सूर्यवंशम जैसा लगने लगा. क्या पता नेताजी ने भी गुमनाम होकर भीड़ में बैठ कर भाषण सुना हो और चुपके से चलते बनें हों!

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