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Updated: 22 सितम्बर, 2022 02:07 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 36 का आंकड़ा है. ममता बनर्जी के पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिए गए अब तक के बयानों का ट्रैक रिकॉर्ड देखें. तो, इस बात पर विश्वास करना नामुमकिन होगा कि ममता बनर्जी कभी पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर इतनी नरम हो सकती हैं. लेकिन, ये मिथक टूट गया है. ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में केंद्रीय एजेंसियों के कथित अत्याचार के खिलाफ एक प्रस्ताव पास करने के दौरान कहा कि 'मुझे नहीं लगता कि केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी हैं. ये सब कुछ गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है. ये सारी चीजें कुछ भाजपा नेता कर रहे हैं.' हालांकि, ममता बनर्जी ने भाजपा पर निशाना साधने में कोई कमी नहीं रखी. और, कहा कि 'भाजपा के तानाशाही रवैये की वजह से बड़े बिजनेसमैन देश छोड़कर जा रहे हैं.' इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि RSS के बाद अब नरेंद्र मोदी पर 'ममता' क्यों बरसा रही हैं 'दीदी'?

Mamata Banerjee Narendra Modiममता बनर्जी ने भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ भी जांच किए जाने की मांग की है.

आरएसएस पर भी बरसाई थी 'ममता'

सियासत में कोई भी बयान यूं ही नहीं दिया जाता है. और, बात जब ममता बनर्जी की हो, जो भाजपा और आरएसएस की धुरविरोधी के तौर पर प्रख्यात हैं. तब इसके मायने और बदल जाते हैं. बीते दिनों ममता बनर्जी ने आरएसएस की भी तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि 'आरएसएस इतना भी बुरा नहीं हैं. संगठन में कुछ लोग हैं, जो भाजपा की तरह नहीं सोचते हैं. एक दिन ऐसा भी आएगा जब उनका सब्र टूटेगा और वो अपनी चुप्पी तोड़ेंगे.' हालांकि, इस तारीफ के बाद आरएसएस ने ममता बनर्जी को नसीहत देते हुए उन्हें अपने राज्य में हो रही राजनीतिक हिंसा रोकने की सलाह दी थी. इस बयान के बाद कांग्रेस, एआईएमआईएम और सीपीआई (एम) भी ममता बनर्जी पर हमलावर हो गई थी. और, इन पार्टियों ने पश्चिम बंगाल की सीएम को चुनावी लाभ पाने के लिए कट्टरपंथी हिंदुओं और मुस्लिमों को बहलाने से लेकर भाजपा का ही प्रोडक्ट होने तक के आरोप लगा दिए थे. वैसे, 2003 में आरएसएस ने भी ममता बनर्जी को 'दुर्गा' कहा था.

मोदी पर 'ममता', लेकिन भाजपा के खिलाफ उगली आग

केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ममता बनर्जी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि 'वे (भाजपा) हिटलर, स्टालिन, मुसोलिनी और तानाशाहों से भी आगे हैं. अगर एजेंसियां भाजपा नेताओं के घरों पर छापेमारी करें, तो उन्हें नोटों का पहाड़ मिलेगा. प्रधानमंत्री को केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारों पर नजर रखनी चाहिए. पीएम को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि केंद्र सरकार और उनकी पार्टी के हित आपस में मिलें नहीं.' ममता बनर्जी ने अपने पुराने करीबी और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'वह केंद्रीय एजेंसियों से कह रहे थे कि मुझे मत छुओ. उनके पास क्या नहीं है. कितने पेट्रोल पंप, फ्लैट्स, प्रॉपर्टी उनके पास हैं. उसे घोषित करिए. वह भाजपा में शामिल होने के बाद साधु बन गए हैं.'

क्या अधिकारी ने बताई 'ममता' की असली वजह?

वहीं, ममता बनर्जी के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि इस प्रस्ताव से सीबीआई और ईडी की कार्रवाई को रोका नहीं जा सकता है. 'चोर पकड़ो, जेल भरो' ऑपरेशन चलता रहेगा. इतना ही नहीं, सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुश करने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन, ये होगा नहीं. बता दें कि बीते कुछ महीनों में भ्रष्टाचार के आरोपों में तृणमूल कांग्रेस बुरी तरह से घिर चुकी है. पार्टी के दो बड़े नेता पार्थ चटर्जी और अनुब्रत मंडल अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किए जा चुके हैं. वहीं, अवैध कोल घोटाले में ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी की संलिप्तता की जांच भी की जा रही है. इतना ही नहीं, अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा नरूला पर ओसीआई कार्ड हासिल करने के लिए तथ्य छुपाने और उनके लगेज से सोना बरामद होने के मामले चल रहे हैं.

मोदी के खिलाफ 'चुप्पी' से क्या होगा?

ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ सियासी हमलों को बीते कुछ समय में कम किया है. वरना हाल ही में कर्तव्य पथ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के अनावरण के कार्यक्रम से ममता बनर्जी दूर रही थीं. इससे पहले कोलकाता में नेताजी की जयंती के कार्यक्रम में ममता बनर्जी और पीएम नरेंद्र मोदी मंच पर थे. लेकिन, ममता के बोलने के समय 'जय श्री राम' के नारे लगने लगे. इससे ममता बनर्जी चिढ़ गई थीं. और, मंच छोड़कर चली गई थीं. माना जा रहा है कि ममता बनर्जी की पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आक्रामकता छोड़ने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इसके चलते पश्चिम बंगाल में हिंदू मतदाता उनसे छिटक सकते हैं. क्योंकि, नरेंद्र मोदी भले ही भाजपा के सर्वोच्च नेता हों. लेकिन, उनकी ओर से कभी ऐसे बयान नहीं आते हैं, जैसे ममता बनर्जी उनके खिलाफ जारी करती है. और, लोकसभा चुनाव 2024 से पहले शायद ही ममता बनर्जी इस तरह का खतरा मोल लेने की कोशिश करेंगी. क्योंकि, उनका सियासी आधार सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही है. और, इसकी वजह से उनका पीएम बनने का सपना टूट सकता है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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