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Updated: 09 मार्च, 2021 06:13 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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किसी जमाने में 'डिस्को डांसर' कहलाने वाले बॉलीवुड के अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती अब भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार हो चुके हैं. अपने शुरुआती दौर में वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले 'मिथुन दा' तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रहे हैं. भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने खुद को 'कोबरा' घोषित कर दिया है. कहा जा सकता है कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी को लगातार नुकसान पहुंचा रही भाजपा ने मिथुन चक्रवर्ती के सहारे खुद के 'बाहरी' होने के दाग को धुलने की कोशिश की है. ब्रिगेड परेड मैदान में मिथुन ने कहा, आपका हक जो छीनने की कोशिश करेगा, वहां हम जैसे कुछ लोग खड़े हो जाएंगे. बंगाल में रहने वाला हर कोई बंगाली है. मैं दिल से बंगाली हूं.

 बंगाली अस्मिता और संस्कृति को लेकर भाजपा पर हमलावर रहीं ममता बनर्जी के लिए यह एक बड़ा झटका है.बंगाली अस्मिता और संस्कृति को लेकर भाजपा पर हमलावर रहीं ममता बनर्जी के लिए यह एक बड़ा झटका है.

बंगाली अस्मिता और संस्कृति को लेकर भाजपा पर हमलावर रहीं ममता बनर्जी के लिए यह एक बड़ा झटका है. भारतीय सिनेमा में पश्चिम बंगाल के सबसे सफल अभिनेता का भाजपा में आना पार्टी को गांवों में रहने वाले गरीब और मजदूरों तक पहुंच बनाने में मदद करेगा. इसकी वजह से भद्रलोक में भी भाजपा की एंट्री होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं. सिनेमाई दुनिया में गरीब और मजदूर वर्ग के 'अमिताभ बच्चन' कहलाने वाले मिथुन क्षेत्रीय अस्मिता और संस्कृति का एक अहम हिस्सा है. भाजपा का दामन थामकर उन्होंने तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है और अब पार्टी बिना 'कोई शक' राज्य में 'कप्तान' खोजने की ओर बढ़ गई है.

कप्तान का साथ निभाएगा अहम भूमिका

पश्चिम बंगाल में चुनावी पिच पूरी तरह से तैयार हो चुकी है. माना जा रहा है कि फाइनल मैच भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की टीमों के बीच ही खेला जाएगा. तृणमूल कांग्रेस की टीम शुरुआत से ही मजबूत नजर आ रही थी. लेकिन, दिसंबर में हुए बड़े 'प्लेयर्स ऑक्शन' (दल-बदल) से टीएमसी को काफी नुकसान हुआ था. तृणमूल कांग्रेस के शुभेंदु अधिकारी जैसे कई बड़े खिलाड़ी भाजपा की टीम में शामिल हो गए थे. टीम के उपकप्तान अभिषेक बनर्जी का पार्टी के हर मामले में बढ़ता दखल टीएमसी में फैली नाराजगी के पीछे की बड़ी वजह माना जा रहा है. टीएमसी में फैली नाराजगी से भाजपा की टीम को भरपूर फायदा हुआ है. भाजपा अपनी टीम को मजबूत कर आगे बढ़ रही है और इस चुनावी मैच में टीएमसी को टक्कर देने के लिए तैयार दिख रही है. लेकिन, उसे अभी भी जरूरत है एक अदद 'कप्तान' की.

बीते साल दिसंबर में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली के पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिलने के बाद से ही सियासी चर्चा शुरू हो गई थी. हालांकि, उन्होंने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया था. इसके एक दिन बाद गांगुली ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ मंच साझा किया था. दिल्ली के कोटला मैदान में दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली की प्रतिमा अनावरण के कार्यक्रम में इन दोनों के एकसाथ देखे जाने पर पश्चिम बंगाल की राजनीतिक हवा में हलचल पैदा हो गई थी. माकपा के वरिष्ठ नेता अशोक भट्टाचार्य ने भी उनसे मुलाकात की थी. इन शुरुआती मुलाकातों के दौर के तुरंत बाद ही सौरव गांगुली को इस साल जनवरी में दिल से जुड़ी बीमारी के लिए सर्जरी करानी पड़ी थी.

सौरव गांगुली से मिलने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर ममता बनर्जी तक पहुंची थीं.सौरव गांगुली से मिलने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर ममता बनर्जी तक पहुंची थीं.

अब तक दो बार सर्जरी करा चुके सौरव गांगुली से मिलने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर ममता बनर्जी तक पहुंची थीं. मिथुन चक्रवर्ती के भाजपा में जाने के बाद इंडियन क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान को लेकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही लगातार हाथ-पैर मार रही हैं. आईपीएल की फ्रेंचाइजी 'कोलकाता नाइट राइडर्स' ने 2012 और 2014 में खिताब पर कब्जा जमाया था. उस दौरान सौरव गांगुली ने ममता बनर्जी के साथ कई बार मंच साझा किया था. उसके बाद भी वह 'दीदी' के साथ कई मौकों पर नजर आते रहे. टीम इंडिया के सफल कप्तानों में शामिल 'दादा' भी बंगाली संस्कृति और अस्मिता का एक बड़ा चेहरा हैं. तृणमूल कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में इसका फायदा भी मिला होगा.

भद्रलोक में जगह बनाना भाजपा की चुनौती

इस साल जनवरी में ममता सरकार से इस्तीफा देने वाले मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला पूर्व भारतीय क्रिकेटर रहे हैं. शुक्ला के इस्तीफे के कई मायने निकाले जा रहे थे. बंगाल रणजी टीम के पूर्व कप्तान लक्ष्मी रतन शुक्ला ने इस्तीफा देने के बाद कहा था कि मैं कुछ समय के लिए राजनीति छोड़ रहा हूं, क्योंकि खेलों के विकास के लिए काम करना चाहता हूं. शुक्ला के इस बयान के बाद संभावनाएं जताई जा रही थीं कि गांगुली के साथ वह भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं. इसे लेकर लगाई जा रही तमाम अटकलें अभी भी पूरी नहीं हुई हैं. ब्रिगेड परेड मैदान में हुई पीएम नरेंद्र मोदी की रैली में गांगुली के मंच साझा करने की चर्चाएं थीं. लेकिन, यह नहीं हो सका. भाजपा की ओर से लगातार की जा रही कोशिशें फिलहाल रंग नहीं ला पाई हैं.

मिथुन 'दा' के आने से भाजपा मजबूत हुई है. लेकिन, 'दादा' के टीम में आ जाने से भाजपा की एक बड़ी समस्या खत्म हो जाएगी. पश्चिम बंगाल के भद्रलोक में भाजपा की एंट्री के लिए गांगुली का आना बहुती जरूरी है. मिथुन से एक टीवी इंटरव्यू में सवाल पूछा गया कि भाजपा में कई नेता जुड़ रहे हैं, जिनकी छवि साफ-सुथरी नहीं है. इसे लेकर पार्टी में ही सवाल उठाए जा रहे हैं. चक्रवर्ती ने एक मंझे हुए नेता की जवाब देते हुए कहा कि मैं एक उड़ता हुआ कौआ अभी आकर डाली पर बैठा हूं. मैं सही-गलत क्या बता सकता हूं. खैर, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली फिलहाल 'आराम' कर रहे हैं. भाजपा की पश्चिम बंगाल में 'कप्तान' की खोज पूरी तरह से गांगुली के स्वास्थ्य और चुनावी मौसम पर निर्भर करती है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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