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Updated: 10 जून, 2019 09:19 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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2019 के चुनाव में सियासी उठा पटक के बीच देश की जनता ने कई अहम मंजर देखे. 2019 के इस पूरे चुनाव में जो सबसे रोचक दृश्य भारतीय राजनीति के अंतर्गत दिखा, वो था अखिलेश यादव, मायावती और अजीत सिंह का एक साथ मंच पर आना और भाजपा को उत्तर प्रदेश में करारी शिकस्त देने के लिए गठबंधन बनाना. गठबंधन का उद्देश्य मोदी शाह के विजय रथ को रोकना था. गठबंधन से पहले कयास इसी बात के लगाए जा रहे थे कि यदि सब कुछ ठीक चला और ये गठबंधन कामयाब हुआ तो निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश में भाजपा की सीटें कम होंगी जो भाजपा और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए चिंता का सबब बनेंगी. चुनाव हुए और जब नतीजों की घोषणा हुई तो मालूम चला कि सपा बसपा और आरएलडी का ये गठबंधन करिश्मा करने में नाकाम रहा. सूबे की जनता ने इस गठबंधन और इसकी नीतियों को पूरी तरह खारिज कर दिया. चुनाव बाद अखिलेश यादव और मायावती ने अपने रास्ते अलग कर लिए हैं और इस बात पर मंथन शुरू हो गया है कि आखिर सूबे की जनता द्वारा इस गठबंधन को नकारे जाने की वजह क्या थी? करारी हार का मंथन होना चाहिए मगर उस मंथन के दौरान मारपीट और गाली गलौज बिल्कुल नहीं होना चाहिए. खबर है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में बसपा की मंडलीय बैठक के दौरान मारपीट हुई है.

बसपा, मायावती, हाथरस, बैठक, कार्यकर्ता, मारपीट  हाथरस में बैठक के दौरान बसपा कार्यकर्ताओं में मारपीट होना ये बताता है कि पार्टी के अन्दर अनुशासन नाम की कोई चीज नहीं है

बताया जा रहा है कि हाथरस में बसपा नेता मनोज सोनी के घर पर बैठक चल रही थी. वहां मौजूद नगीना सांसद गिरीश कुमार के सामने कुछ कार्यकर्ता अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन सांसद गिरीश कुमार के साथ आए लोगों ने उन लोगों को अपनी बातें कहने से रोक दिया. उपस्थित लोगों को सांसद के लोगों का ये बर्ताव नागवार गुजरा और एक मामूली सी बात ने विवाद का रूप ले लिया.

बैठक के दौरान ये विवाद कितना बढ़ा इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नौबत लाठी, डंडा, सरिया निकालने और मारपीट तक आ गई. बताया जा रहा है कि कार्यकर्ताओं ने मौके पर जमकर उत्पात मचाया और एक दूसरे पर कुर्सियां तक मारीं. ज्ञात हो कि कार्यकर्ताओं ने थाने में मामले की तहरीर दी है जिसके मद्देनजर इलाके की पुलिस भी जांच में जुट गई है.

गौरतलब है कि बसपा का सबसे बुरा प्रदर्शन आगरा मंडल में रहा जहां पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम साबित हुई. बात अगर इस इलाके की हो तो आगरा मंडल का शुमार बसपा के सबसे मजबूत गढ़ में होता है. ध्यान रहे कि इस मंडल में आगरा, फतेहपुर सीकरी, मथुरा, हाथरस, फिरोज़ाबाद और मैनपुरी लोकसभा सीटें आती हैं. ध्यान रहे कि इनमें आगारा और फतेहपुर सीकरी सीट में बसपा ने चुनाव लड़ा था. जबकि हाथरस, फिरोजाबाद और मैनपुरी सीट पर सपा और मथुरा सीट पर आरएलडी ने चुनाव लड़ा था.

दिलचस्प बात ये है कि यदि मैनपुरी सीट को हटा दिया जाए तो अन्य किसी सीट पर गठबंधन का जलवा नहीं दिखा. छोड़कर किसी भी सीट पर गठबंधन जीत दर्ज नहीं कर सका. उत्तर प्रदेश के इस हिस्से में गठबंधन की ये हार इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि आगरा मंडल न सिर्फ बसपा का बल्कि सपा का भी अहम किला माना जाता था.

ऐसे में दोनों ही प्रमुख दलों के प्रत्याशियों का नाकाम होना इस बात की पुष्टि अपने आप कर देता है कि शायद सूबे की जनता को भी मायावती और अखिलेश यादव का साथ नहीं पसंद आया और उसने ये मान लिया कि ये दोनों ही और इनके दल मोदी विरोध के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं.

बहरहाल बात की शुरुआत हमने हाथरस में घटित घटना से की थी. जिसमें बसपा के लोग इस बात का अवलोकन कर रहे थे कि हार क्यों हुई और उसके क्या कारण थे? ऐसे में मौके पर बेबात की बात का विवाद का कारण बनना ये बता देता है कि न तो पार्टी के पास कोई विचारधारा है और न ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में कोई अनुशासन है. बात अनुशासन की चल रही है तो हमारे लिए मायावती के उस बयान को समझना भी जरूरी हो जाता है जब अभी कुछ दिनों पहले ही उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में गठबंधन की रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने अनुशासन की बात कही थी.

इस दौरान समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं की नारेबाजी से वह नाराज हो गईं, और उन्होंने नसीहत दे डाली थी . मायावती ने कहा था कि मेरे ख्याल से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बसपा के कार्यकर्ताओं से अनुशासन सीखने की जरूरत है. आप लोग जो बीच में नारे लगा रहे हैं, आपको बसपा के लोगों से कुछ सीखना चाहिए. बसपा के लोग पार्टी और हमारी बात बहुत शांति से सुनते हैं.

हाथरस में जो हुआ उसे देखकर सवाल यही उठता है कि आखिर मायावती किस अनुशासन की बात कर रही हैं? वो जिसमें छोटी सी बात को तूल दिया जाता है और नौबत मारपीट और थाना पुलिस तक आ जाती है. या फिर ये सारी नसीहतें केवल दूसरों के लिए हैं.

खैर मामला प्रकाश में आ चुका है और जिस तरह का घटनाक्रम चल रहा है कहा यही जा सकता है कि राजनीति में एक दूसरे पर दोष मड़ना कोई नई बात नहीं है. मगर ये जो हाथरस में बसपा की मंडलीय बैठक के दौरान हुआ वो कई मायनों में लोकतंत्र को शर्मिंदा करने वाला है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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