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Updated: 15 मई, 2018 04:19 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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कर्नाटक चुनाव के रुझान जब आना शुरू हुए तो कांग्रेस को बढ़त मिलती दिखी, लेकिन ये बढ़त ज्यादा देर कायम नहीं रह सकी. देखते ही देखते भाजपा कांग्रेस को टक्कर देने लगी और कांग्रेस को पछाड़ते हुए आगे निकल गई. एक ऐसा भी समय आया जब भाजपा को रुझानों में 120 सीटें तक मिल गईं. इस आंकड़े के बाद सभी को लगने लगा था कि अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनना तय है, लेकिन दोपहर 3.30 बजे तक भाजपा फिसल कर 107 सीटों तक आ पहुंची. रुझानों के नतीजे देखकर जिन्हें लग रहा था कि चुनाव खत्म हो गया, उनके लिए असली चुनाव तो अब शुरू हुआ है.

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कांग्रेस ने चला अपना दाव

रुझानों में 120 के आंकड़े को छू चुकी भाजपा, अब 107 तक फिसल गई है. रुझानों से चिंता में पड़ी कांग्रेस को अब उम्मीद की एक किरण दिखाई दे रही है. वहीं जेडीएस का भी सरकार में आने के सपना पूरा होने की आशंका दिखाई दे रही है. ऐसे में कांग्रेस ने अपना दाव चलते हुए जेडीएस के साथ मिलकर कर्नाटक में सरकार बनाने का प्रस्ताव भेज दिया है. जेडीएस ने भी कांग्रेस को समर्थन देने के लिए हामी भर दी है. अगर भाजपा बहुतम तक नहीं पहुंच सकी तो कांग्रेस की कोशिश होगी कि वह जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बना ले. लेकिन सवाल ये है कि जेडीएस कांग्रेस का साथ क्यों देगी? आइए जानते हैं.

जेडीएस क्यों आएगी कांग्रेस के साथ?

सोनिया गांधी की तरफ से जेडीएस को यहां तक ऑफर दिए जाने की बात सामने आ रही है कि अगर जेडीएस और कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री का पद जेडीएस को मिलेगा. यानी अब कुमारस्वामी भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन सकते हैं. लेकिन देखना ये होगा कि कहीं भाजपा फिर से मणिपुर और गोवा की तरह कोई तिकड़म भिड़ा कर सरकार न बना ले. कांग्रेस के खाते में 73 सीटे हैं और जेडीएस के पास 40 सीटें हैं. ऐसे में अगर दोनों मिल जाएं तो 113 सीटें इस गठबंधन के पास होंगी. यानी बहुमत इनके पास होगा.

भाजपा के पास क्या हैं विकल्प?

ऐसा नहीं है कि भाजपा की सरकार बनने का सिर्फ एक यही तरीका है कि उन्हें बहुमत मिले. बहुमत नहीं मिलता देखकर हो सकता है कि भाजपा की ओर से कोशिश की जाए कि जेडीएस या कांग्रेस के उम्मीदवारों को तोड़कर अपने साथ मिला लें. लेकिन यहां आपको बता दें कि किसी भी पार्टी को तोड़ने के लिए उनके कम से कम दो तिहाई उम्मीदवारों का समर्थन पाना होगा. ऐसे में ये बात तो साफ है कि भाजपा के लिए जेडीएस को तोड़ना आसान है, लेकिन कांग्रेस ने जेडीएस को मुख्यमंत्री पद का लुभावना ऑफर दिया है, उससे साफ है कि भाजपा जेडीएस को नहीं तोड़ पाएगी. यानी देखा जाए तो अगर भाजपा को बहुमत नहीं मिला तो कांग्रेस और जेडीएस मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.

इतना ही नहीं, अगर भाजपा एक दूसरे तरीके से भी जीत सकती है. अगर कांग्रेस या जेडीएस के कुछ उम्मीदवार इस्तीफा दे दें, तो बहुमत का आंकड़े 112 से घट जाएगा. ऐसे में भाजपा अपना बहुमत सिद्ध कर सकती है. अब सवाल ये है कि आखिर कौन और क्यों देगा इस्तीफा? सिद्धारमैया की लीडरशिप में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा, लेकिन अब हार का ठीकरा उन्हीं की सिर पर फूट रहा है. ऐसे में अगर सिद्धारमैया को भाजपा कोई खास ऑफर दे दे तो वह खुद तो इस्तीफा दे ही देंगे, साथ ही अपने कुछ खास विधायकों से भी इस्तीफा दिलवा सकते हैं. ऐसे में भाजपा सरकार बना सकती है.

कर्नाटक में भी हो सकता है मणिपुर-गोवा जैसा

इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होगी अगर भाजपा की तरफ से कर्नाटक में भी मणिपुर और गोवा की तरह अपनी सरकार बनाने की कोशिश की जाए. सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा अन्य उम्मीदवारों को अपने साथ जोड़कर राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. अगर फिर भी कुछ सीटें कम पड़ती हैं तो इसमें कोई संशय की बात नहीं है कि भाजपा की तरफ से जेडीएस या कांग्रेस के कुछ उम्मीदवारों को लुभावने ऑफर देते हुए उन्हें तोड़कर अपने साथ मिलाने की कोशिश की जा सकती है.

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