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Updated: 02 नवम्बर, 2021 04:48 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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भारत में होने वाले सभी चुनावों में हार-जीत काफी हद तक चुनावी वादों पर ही निर्भर करती है. अगले साल की पहली तिमाही में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इन विधानसभा चुनावों में दिल्ली से बाहर अपनी किस्मत बदलने की ठान चुके हैं. अरविंद केजरीवाल लंबे समय से आम आदमी पार्टी के विस्तार की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, उन्हें इसमें कोई खास कामयाबी नहीं मिल सकी है. लेकिन, जब से केजरीवाल ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनजर अयोध्या में रामलला के दर्शन किए हैं. तब से उनके मन में भगवान राम के लिए कुछ विशेष श्रद्धा उत्पन्न हो गई है. वैसे, इस बात का खुलासा अरविंद केजरीवाल ने खुद ही किया है.

दरअसल, गोवा में होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी भी ताल ठोंक रही है. वहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविंद केजरीवाल ने बताया- अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन करने के बाद मन में विचार आया कि रामलला के दर्शन का जो सौभाग्य मुझे मिला, मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को अयोध्या जी और रामलला के दर्शन कराऊंगा. अगर गोवा में हमारी सरकार बनती है, तो गोवा के लोगों को हम फ्री में अयोध्या में रामलला के दर्शन कराएंगे. हमारे क्रिश्चियन भाई-बहनों को हम वेलांकन्नी, मुस्लिम परिवार को अजमेर शरीफ और आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं को शिरडी की तीर्थ यात्रा कराने की गारंटी देते हैं. अरविंद केजरीवाल ने साफ किया कि ये योजना दिल्ली में कुछ वर्षों से चल रही है. इसमें लोगों को एसी ट्रेन से लेकर एसी होटल के साथ मुफ्त खाना भी दिया जाता है.

टूर एंड ट्रैवल्स एजेंसी के सहारे तुष्टिकरण

अरविंद केजरीवाल ने अपने चुनावी वादों को फेवीकोल की जोड़ की तरह गारंटी बताया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो चाहे कुछ भी हो जाए, ये वादे आम आदमी पार्टी सरकार बनने के बाद किसी भी सूरत-ए-हाल में पूरे करेगी ही करेगी. वहीं, केजरीवाल की इस फेवीकोल के जोड़ वाली गारंटी पर लोग कहते दिख रहे हैं कि वो वहां सरकार बनाने गए हैं या या टूर एंड ट्रैवल्स की कंपनी खोलने. बात सही भी नजर आती है, जहां केंद्र सरकार ने हज सब्सिडी जैसी योजनाओं को बंद कर दिया है. वहां मतदाताओं को मंदिर, मस्जिद और चर्च घुमाने के लिए एसी ट्रेन से लेकर एसी होटल के साथ मुफ्त खाने का ऑफर किसी टूर एंड ट्रैवल्स एजेंसी के विज्ञापन जैसा ही नजर आता है. पीएम नरेंद्र मोदी की शैक्षिक डिग्री पर सवाल उठाने वाले आईआईटीयन अरविंद केजरीवाल से कम से कम इतना तो ध्यान रखना ही चाहिए कि एक समय वो राजनीति को बदलने आए एक क्रांतिकारी आम आदमी का चेहरा हुआ करते थे. विकल्प की राजनीति की बात कहने वाले अरविंद केजरीवाल अब खुद ही पूरी तरह से एक परिपक्व नेता बन चुके हैं.

वैसे, अरविंद केजरीवाल के इस चुनावी वादे में भारत की राजनीति में गहरी जड़ें जमा चुके 'तुष्टिकरण' के फॉर्मूले को किसी भी हाल में इग्नोर नहीं किया जा सकता है. यहां ये बताना जरूरी है कि अरविंद केजरीवाल ने यूपी चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में केवल अयोध्या को ही तीर्थ माना है. क्योंकि, यूपी में वोटों के हिसाब से अजमेर शरीफ, वेलांकन्नी और शिरडी के लिए ज्यादा स्पेस बचता नहीं है. और, वहां समस्या ये भी है कि ऐसी घोषणा से बहुसंख्यक यानी हिंदू वोट छिटकने का भी खतरा था, तो आम आदमी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश में ये तीर्थयात्रा वाली योजना एक्सक्लूसिव तौर पररामलला के लिए ही रजिस्टर्ड कर दी गई है.

Arvind Kejriwal Ayodhya Card In GOAबदलाव और विकल्प की राजनीति करने वाले अरविंद केजरीवाल को अब इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए.

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की बात की जाए, तो दिल्ली में पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल की है. जिसमें फ्री बिजली-पानी, मोहल्ला क्लीनिक, प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाओं वाले सरकारी विद्यालय बनाने के वादों के सहारे केजरीवाल सरकार ने भाजपा और कांग्रेस को पछाड़ दिया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अरविंद केजरीवाल के पास 'दिल्ली मॉडल' का प्लान है, जिसे वो तकरीबन हर राज्य में लागू करने की हसरत लिए चुनाव दर चुनाव आम आदमी पार्टी को स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं. केजरीवाल के पास 'ये फ्री और वो भी फ्री' के अलावा कोई ठोस विजन नजर नहीं आता है.

मंदिर, मस्जिद, चर्च का विकल्प नहीं खोज पाए केजरीवाल

खैर, वापस श्रद्धा और तीर्थयात्रा पर आते हैं. दरअसल, तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी भी गोवा में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है. टीएमसी के नेताओं ने चुनाव से पहले अपनी पार्टी के नाम का मतलब बताते हुए कहा था कि वो टी यानी टेंपल, एम यानी मॉस्क (मस्जिद) और सी यानी चर्च को खुद में समाहित किए हुए हैं. कहना गलत नहीं होगा कि अरविंद केजरीवाल ने मौका और दस्तूर देखते हुए मंदिर, मस्जिद और चर्च की राजनीति करते हुए सीधे लोगों को इन स्थानों पर ही भेजने का दांव खेल दिया है. वैसे, अरविंद केजरीवाल ये वाली मेहनत केवल गोवा में ही नहीं कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब में भी वो इतनी ही शिद्दत के साथ लगे हुए हैं. अगर वो इसमें कामयाब हो जाते हैं, तो आम आदमी पार्टी के लिए ये मिशन 2024 से पहले 'मील का पत्थर' साबित हो जाएगी.

आसान शब्दों में कहा जाए, तो बदलाव और विकल्प की राजनीति करने वाले अरविंद केजरीवाल को अब इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए. वैसे, फ्रीबीज (मुफ्त वाली योजनाएं) के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए साउथ अमेरिकी देश वेनेजुएला के बारे में पढ़ने से ज्ञानवर्द्धन की उम्मीद की जा सकती है. क्योंकि, भारत में राजनीति का प्रारब्ध बदलने की ताकत किसी में भी नही है. अपनी बात को विराम देने से पहले केवल इतना कहने का मन है कि ऑनलाइन टूर एंड टैवल्स एजेंसियों के लिए आगे बहुत मुश्किल समय आने वाला है. अरविंद केजरीवाल उनके व्यापार में हिस्सा बांटने आ रहे हैं और मुफ्त वाले ऑफर के आगे शायद उनकी कंपनियां बंद भी होने का खतरा बना रहेगा.

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लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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