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गूगल के पास है आपका क्या-क्या डेटा, जानिए उससे भविष्य में क्या कर सकती है कंपनी?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 13 मई, 2018 06:40 PM
  • 13 मई, 2018 06:40 PM
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एक इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंसल्टेंट Dylan Curran ने जब अपना फेसबुक का सारा डेटा डाउनलोड किया तो उनकी फाइल का साइज 600 एमबी मिला. लेकिन जब उन्होंने उसी तरह की फाइल गूगल से डाउनलोड की तो उन्हें 5.5 जीबी की फाइल मिली.

हाल ही में गूगल की तरफ से गूगल अस्सिटेंट और उसके नए अपग्रेडेड फीचर्स को लोगों के सामने पेश किया गया है. गूगल ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की मदद से गूगल असिस्टेंड का अपग्रेडेड वर्जन Duplex डिजाइन किया है. इसकी मदद से आप कॉल कर सकते हैं, बोल कर किसी रेस्टोरेंट या दुकान की जानकारी ले सकते हैं, यानी ये आपका असिस्टेंट है, जो आपके इशारों पर काम करेगा. तकनीक तो हमें मिल गई, हम इसका इस्तेमाल भी खूब जमकर करेंगे, लेकिन क्या आपने सोचा है कि ये तकनीक गूगल ने हमें दी कैसे? खासकर गूगल ने ये मुफ्त में क्यों दी? चलिए समझते हैं गूगल के काम करने का तरीका.

हमारे डेटा का इस्तेमाल करता है गूगल

गूगल का ये नया प्रोडक्ट उस डेटा के आधार पर डिजाइन किया गया है, जिसे कंपनी रोजाना अरबों लोगों से जमा करती है. आज के समय में बहुत से लोगों को पता ही नहीं है कि गूगल उनकी जानकारियां जमा करती है और जिन्हें पता है, उनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें इस बात से कोई फर्क भी नहीं पड़ता है. आपको बता दें कि मौजूदा समय में गूगल के कुल 7 प्रोडक्ट हैं और हर प्रोडक्ट के करीब 1 अरब मंथली एक्टिव यूजर्स हैं. इनमें से कोई भी प्रोडक्ट बिना यूजर्स के डेटा के काम नहीं कर सकता है. इन्हीं डेटा का इस्तेमाल कर के गूगल अपने प्रोडक्ट्स को डिजाइन करता है.

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ये जानकारियां गूगल के पास आती कैसे हैं?

हमारी जिन जानकारियों का इस्तेमाल कर के गूगल हमें नए-नए प्रोडक्ट देता है, क्या आपको पता है कि वो जानकारियां गूगल के पास...

हाल ही में गूगल की तरफ से गूगल अस्सिटेंट और उसके नए अपग्रेडेड फीचर्स को लोगों के सामने पेश किया गया है. गूगल ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की मदद से गूगल असिस्टेंड का अपग्रेडेड वर्जन Duplex डिजाइन किया है. इसकी मदद से आप कॉल कर सकते हैं, बोल कर किसी रेस्टोरेंट या दुकान की जानकारी ले सकते हैं, यानी ये आपका असिस्टेंट है, जो आपके इशारों पर काम करेगा. तकनीक तो हमें मिल गई, हम इसका इस्तेमाल भी खूब जमकर करेंगे, लेकिन क्या आपने सोचा है कि ये तकनीक गूगल ने हमें दी कैसे? खासकर गूगल ने ये मुफ्त में क्यों दी? चलिए समझते हैं गूगल के काम करने का तरीका.

हमारे डेटा का इस्तेमाल करता है गूगल

गूगल का ये नया प्रोडक्ट उस डेटा के आधार पर डिजाइन किया गया है, जिसे कंपनी रोजाना अरबों लोगों से जमा करती है. आज के समय में बहुत से लोगों को पता ही नहीं है कि गूगल उनकी जानकारियां जमा करती है और जिन्हें पता है, उनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें इस बात से कोई फर्क भी नहीं पड़ता है. आपको बता दें कि मौजूदा समय में गूगल के कुल 7 प्रोडक्ट हैं और हर प्रोडक्ट के करीब 1 अरब मंथली एक्टिव यूजर्स हैं. इनमें से कोई भी प्रोडक्ट बिना यूजर्स के डेटा के काम नहीं कर सकता है. इन्हीं डेटा का इस्तेमाल कर के गूगल अपने प्रोडक्ट्स को डिजाइन करता है.

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ये जानकारियां गूगल के पास आती कैसे हैं?

हमारी जिन जानकारियों का इस्तेमाल कर के गूगल हमें नए-नए प्रोडक्ट देता है, क्या आपको पता है कि वो जानकारियां गूगल के पास पहुंचती कैसे हैं. दरअसल, ये सभी जानकारियां हम खुद गूगल को देते हैं. आप जितने अधिक गूगल के प्रोडक्ट इस्तेमाल करेंगे, गूगल के पास आपकी उतनी ही अधिक जानकारी जाएगी. भले ही वह जीमेल हो, आपको मोबाइल का एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम हो, यू ट्यूब हो, गूगल ड्राइव हो, गूगल मैप हो या भले ही गूगल सर्च क्यों ना हो. इन सभी के जरिए कंपनी आपका ढेर सारा डेटा जमा कर रही है. इतना ही नहीं, गूगल आपके ईमेल को भी स्कैन करता है, ताकि वहां से ऐसे कीवर्ड प्राप्त कर सके, जिनसे आने वाले प्रोडक्ट बनाने में आसानी हो और मशीन की सीखने की क्षमता को बढ़ाया जा सके. तो गूगल को पता है कि आप क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, कहां-कहां जाते हैं, कैसी फिल्में देखते हैं, इंटरनेट पर क्या सर्च करते हैं और भी बहुत कुछ.

मुफ्त की चीजों से अरबों की कमाई

गूगल अपने प्रोडक्ट लोगों को मुफ्त में देता है. लोग भी इन प्रोडक्ट का जमकर इस्तेमाल करते हैं. बदले में कंपनी की होती है अरबों की कमाई. दरअसल, कंपनी लोगों को उनकी लोकेशन और पसंद के हिसाब से विज्ञापन दिखाती है और विज्ञापन देने वाली कंपनियों से पैसे लेती है. इसी का नतीजा है कि गूगल ने 2018 के शुरुआती 3 महीने में ही 31.2 अरब डॉलर यानी करीब 2.1 लाख करोड़ रुपए की कमाई कर ली है.

क्या गूगल जानकारियां बेचता है?

बहुत से लोगों को इस बात की चिंता रहती है कि कहीं गूगल उनसे जमा की गई जानकारियों को बेचता तो नहीं है. गूगल की प्राइवेसी पॉलिसी के अनुसार कंपनी हमारे डेटा इस्तेमाल गूगल की सेवाएं देने, उन्हें मेंटेन करने और बेहतर बनाने में करती है. कंपनी ने यह भी साफ लिखा है कि वह इस डेटा का इस्तेमाल अधिक सटीक सर्च रिजल्ट दिखाने और विज्ञापन दिखाने में करती है. हालांकि, प्राइवेसी पॉलिसी कितनी सही है, ये सवाल हमेशा रहेगा. कैंब्रिज एनालिटिका का केस होने से पहले लोग फेसबुक की प्राइवेसी पॉलिसी पर भी आंख बंद कर के भरोसा करते थे.

कितना डेटा है गूगल के पास?

गूगल के पास हमारा कितना डेटा है, ये जानकर आप हैरान हो सकते हैं. एक इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंसल्टेंट Dylan Curran ने जब अपना फेसबुक का सारा डेटा डाउनलोड किया तो उनकी फाइल का साइज 600 एमबी मिला. लेकिन जब उन्होंने उसी तरह की फाइल गूगल से डाउनलोड की तो उन्हें 5.5 जीबी की फाइल मिली, यानी लगभग 9 गुना अधिक डेटा. जरा सोचिए, कोई आपके कमरे में ताक-झांक करे या कैमरा लगा दे तो आपको गुस्सा आ जाएगा, यहां तक कि सरकार अगर आपकी निजी जानकारियां जमा करे तो आप भड़क उठेंगे, लेकिन आप हंसते-हंसते अपनी निजी जानकारियां एक प्राइवेट कंपनी गूगल को दे देते हैं और माथे पर एक शिकन तक नहीं आती. आप भी अपना डेटा यहां से डाउनलोड कर सकते हैं.

आपसे पास क्या है रास्ता?

यूजर्स गूगल का ऑनलाइन डैशबोर्ड देख सकते हैं और वहां से विज्ञापन की सेटिंग बदलकर यह साफ कर सकते हैं कि आप कौन सा डेटा देना चाहते हैं और कौन सा नहीं. आप चाहे तो अपना बहुत सारा डेटा डिलीट भी कर सकते हैं, जिसमें पूरी सर्च हिस्ट्री भी शामिल होगी. यहां तक कि आप अपने जियोलोकेशन डेटा भी डिलीट कर सकेंगे, जिसके आधार पर गूगल आपके फिजिकल मूवमेंट को भी ट्रैक कर सकता है.

इस डेटा का भविष्य में गूगल क्या कर सकता है?

सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस डेटा का इस्तेमाल करके गूगल भविष्य में क्या कर सकता है? गूगल के लिए लोगों का डेटा बहुत ही काम की चीज है. लेकिन जब इस डेटा को आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के साथ जोड़ दिया जाएगा तो कंपनी और अधिक पैसे कमाएगी. कंपनी लगातार कोई न कोई प्रोडक्ट लॉन्च कर रही है, जिससे लोगों को काफी फायदे भी होते हैं. जब तक कंपनी से ये डेटा चोरी ना हो या फिर खुद गूगल इसका कोई दुरुपयोग ना करे, तब तक गूगल हमारे लिए बड़े काम की चीज है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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