• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
टेक्नोलॉजी

क्या Chat GPT करोड़ों नौकरियों के लिये खतरा पैदा कर सकता है?

    • prakash kumar jain
    • Updated: 05 जुलाई, 2023 08:26 PM
  • 05 जुलाई, 2023 08:26 PM
offline
कुछ हद तक सही भी है. दोहराए जाने वाले कार्य समाप्त ही हो जाएंगे. लेकिन कुशल और प्रतिभाशाली सफलता की ऊंचाइयों को छूते रहेंगे...चैटजीपीटी एक नवीनतम कौशल ही है, टूल है, जो जितना इसके गुरों को सीख पारंगत होगा तरक्की करेगा.

कुछ हद तक सही भी है. खतरा है उन कामकाजियों के लिए जो अनावश्यक काम करते हैं मसलन असिस्टेंट्स, एनालिस्ट्स, कुछेक टेक जॉब्स भी, जर्नलिज्म विज्ञापन और कंटेंट राइटिंग जैसी मीडिया जॉब्स, रूटीन फाइनेंस और ट्रेडिंग जॉब्स भी. दोहराए जाने वाले कार्य समाप्त ही हो जाएंगे. लेकिन कुशल और प्रतिभाशाली सफलता की ऊंचाइयों को छूते रहेंगे. ऑन ए लाइटर नोट, चैटजीपीटी इन्हीं प्रतिभाओं की ही देन है, अब कल यही अद्भुत प्रोडक्ट भस्मासुर बनकर मेकर्स को ही खा जाएं, रिमोट ही सही कल्पना के घोड़े तो दौड़ा ही सकते हैं. एक व्यक्ति के रूप में अपनी ताकत का विश्लेषण करना और खुद को बेहतर बनाने के लिए उन पर काम करना महत्वपूर्ण है. निःसंदेह चैटजीपीटी इस सोच के वर्कफ़ोर्स के लिए सौपे गए कार्यों को अधिक कुशलता के साथ करने के लिए महत्वपूर्ण हथियार सिद्ध हो सकता है. और फिर यदि आपके पास वांछित कौशल है, तो कोई भी एम्पलॉयर आपको नहीं छोड़ना चाहेगा.

चैटजीपीटी हर क्षेत्र में जैसे अपने पैर पसार रहा है युवाओं का टेंशन में आना लाजमी है

थोड़ा पास्ट ट्रेवल करें और टाइपराइटर के आने और फिर बाद में कंप्यूटर के आने के दिनों को याद करें. जब टाइपराइटर आये थे तो कहा गया था कि लोगों की नौकरियां खा जायेगा क्योंकि हस्तलेखन की तुलना में 40 मिनट प्रति घंटा बचाता जो था. ऐसा ही कंप्यूटर के आने पर कहा गया था. लेकिन नौकरियों का एक प्रकार गया तो दूसरा प्रकार आया भी. जो कंप्यूटर पहले नौकरियों के लिए भस्मासुर माना जा रहा था, आज वही अन्नदाता है.

कहने का मतलब चैटजीपीटी एक नवीनतम कौशल ही है, टूल है, जो जितना इसके गुरों को सीख पारंगत होगा तरक्की करेगा. हां, शुरुआती शॉक लगेंगे ही. हर क्रांतिकारी आर्विभाव से तात्कालिक उथल पुथल होना अवश्यंभावी है, परंतु शीघ्र ही चीजें सेटल होती हैं. AI बेस्ड...

कुछ हद तक सही भी है. खतरा है उन कामकाजियों के लिए जो अनावश्यक काम करते हैं मसलन असिस्टेंट्स, एनालिस्ट्स, कुछेक टेक जॉब्स भी, जर्नलिज्म विज्ञापन और कंटेंट राइटिंग जैसी मीडिया जॉब्स, रूटीन फाइनेंस और ट्रेडिंग जॉब्स भी. दोहराए जाने वाले कार्य समाप्त ही हो जाएंगे. लेकिन कुशल और प्रतिभाशाली सफलता की ऊंचाइयों को छूते रहेंगे. ऑन ए लाइटर नोट, चैटजीपीटी इन्हीं प्रतिभाओं की ही देन है, अब कल यही अद्भुत प्रोडक्ट भस्मासुर बनकर मेकर्स को ही खा जाएं, रिमोट ही सही कल्पना के घोड़े तो दौड़ा ही सकते हैं. एक व्यक्ति के रूप में अपनी ताकत का विश्लेषण करना और खुद को बेहतर बनाने के लिए उन पर काम करना महत्वपूर्ण है. निःसंदेह चैटजीपीटी इस सोच के वर्कफ़ोर्स के लिए सौपे गए कार्यों को अधिक कुशलता के साथ करने के लिए महत्वपूर्ण हथियार सिद्ध हो सकता है. और फिर यदि आपके पास वांछित कौशल है, तो कोई भी एम्पलॉयर आपको नहीं छोड़ना चाहेगा.

चैटजीपीटी हर क्षेत्र में जैसे अपने पैर पसार रहा है युवाओं का टेंशन में आना लाजमी है

थोड़ा पास्ट ट्रेवल करें और टाइपराइटर के आने और फिर बाद में कंप्यूटर के आने के दिनों को याद करें. जब टाइपराइटर आये थे तो कहा गया था कि लोगों की नौकरियां खा जायेगा क्योंकि हस्तलेखन की तुलना में 40 मिनट प्रति घंटा बचाता जो था. ऐसा ही कंप्यूटर के आने पर कहा गया था. लेकिन नौकरियों का एक प्रकार गया तो दूसरा प्रकार आया भी. जो कंप्यूटर पहले नौकरियों के लिए भस्मासुर माना जा रहा था, आज वही अन्नदाता है.

कहने का मतलब चैटजीपीटी एक नवीनतम कौशल ही है, टूल है, जो जितना इसके गुरों को सीख पारंगत होगा तरक्की करेगा. हां, शुरुआती शॉक लगेंगे ही. हर क्रांतिकारी आर्विभाव से तात्कालिक उथल पुथल होना अवश्यंभावी है, परंतु शीघ्र ही चीजें सेटल होती हैं. AI बेस्ड चैटबॉट्स के ऐलान के बाद से नौकरियां जाने का डर उपजा. ऐसा कुछ लोगों के साथ होने भी लगा है. और तो और, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की रिसर्च बताती है कि अगले 10 वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में 47 प्रतिशत से अधिक नौकरियों में कटौती की जा सकती है.

वहीं भारत जैसे विकासशील देश में भी यही होगा, भले ही एक दशक लग जाए. और चैटजीपीटी एआई आधारित ही तो है. वहीं Goldman Sachs की स्टडी कहती है कि चैटजीपीटी सरीखा एआई दुनिया भर में 30 करोड़ से अधिक नौकरियों का स्वरूप बदल सकता है, उन्हें काट सकता है. ख़बरें आ भी रही हैं नौकरियों के जाने की. 34 साल के एक कॉपी राइटर ने वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि उसके क्लाइंट्स ने अब AI का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

मजबूरन वह प्लम्बर या एसी टेक्नीशियन का काम करने की सोच रहा है. एक अन्य फ्री लांसर कंटेंट राइटर बड़ी तेजी से अपने क्लाइंट्स खो रहा है जिनका कहना है जब वे AI के माध्यम से अपना काम बिना पैसों के कर सकते हैं तो वे इस काम के लिए पैसा क्यों खर्च करे. एरिक फिन नाम के इस राइटर का कहना है कि उन्होंने अपना पहला क्लाइंट मार्च में खोया था.

इसके बाद धीरे-धीरे उनके सारे क्लाइंट्स ने कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल कर दिये. कभी एक घंटे काम कर वह 60 डॉलर(4900 रुपये) कमा लेता था और अब कुछ भी नहीं. अब स्पष्ट होता जा रहा है कि खासकर कानून और एडमिनिस्ट्रेटिव से जुड़ी सर्विसेस में जॉब घटती दिखेंगी. हो सकता है सीनियर वकील के जूनियर्स को चैटजीपीटी रिप्लेस कर लें. कॉपी राइटिंग का सेक्टर भी इसकी वजह से प्रभावित होना शुरू हो गया है.

चलिए चैटजीपीटी से ही पूछ लेते हैं, बता तेरी रजा क्या है ? जवाब है- मुझे खेद है, लेकिन यह दावा कि मैं कंटेंट राइटर्स को काम से हटा रहा हूं या उनकी  नौकरियां छीन रहा हूं गलत है. मेरा उद्देश्य उपयोगकर्ताओं की सहायता करना है, विभिन्न प्रश्नों का उत्तर देना और सामग्री प्रदान करना. मैं एक टूल हूं जो ज्ञान और संदेशों को साझा करने के लिए बनाया गया है और लोगों को आपूर्ति के स्रोतों के साथ समर्थन प्रदान करता है.

कंटेंट राइटर्स की नौकरियां तकनीकी प्रगति, आवश्यकताओं के परिवर्तन और व्यापार की परिवर्तनशीलता के कारण प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन यह मेरे कारण नहीं है. क्या चैटजीपीटी किसी भी व्यक्ति को नौकरी दे सकता है ? जवाब है बिल्कुल नहीं ! क्योंकि यह एक कंप्यूटरीकृत संवाद सहायक है जो उपयोगकर्ताओं के सवालों का उत्तर देने के लिए डिजिटल माध्यम का उपयोग करता है.

यह ऐप और टूल है जिसका उद्देश्य ज्ञान और संदेशों को साझा करना है, नौकरी देना नहीं. तो थ्योरिटिकली कह सकते हैं जो ‘जो’ दे नहीं सकता, वो ‘वो’ ले भी नहीं सकता. हां, इसके उपयोग से, और ऐसा हर नई चीज के आने से शुरुआत में होता ही है, एक रीशफल होना अवश्यंभावी है. सिर्फ़ चिंता चीजों के जल्द स्थिर होने की है और अपेक्षा इस बात की है की बदलाव की प्रक्रिया जल्द ही ख़त्म होकर आकार ले लें.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    मेटा का ट्विटर किलर माइक्रो ब्लॉगिंग एप 'Threads' आ गया...
  • offline
    क्या Chat GPT करोड़ों नौकरियों के लिये खतरा पैदा कर सकता है?
  • offline
    Google Bard है ही इतना भव्य ChatGPT को बुरी तरह से पिछड़ना ही था
  • offline
    संभल कर रहें, धोखे ही धोखे हैं डिजिटल वर्ल्ड में...
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲