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मेटा का ट्विटर किलर माइक्रो ब्लॉगिंग एप 'Threads' आ गया...

    • प्रकाश कुमार जैन
    • Updated: 07 जुलाई, 2023 07:39 PM
  • 07 जुलाई, 2023 07:39 PM
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मेटा 'थ्रेड्स' वाकई ट्विटर किलर साबित हो सकता है. इसके इंजीनियर्स को पता है कि दुनिया भर के अरबों यूज़र्स को क्या चाहिए. मेटा फॅमिली के तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक अलर्ट भर ही तो देना है स्टॉर्म क्रिएट करने के लिए.

और ऐसे समय में आया है जब ट्विटर से नाराजगी बढ़ती जा रही है. माना जा रहा था कि एलन मस्क में ट्विटर को सफल बनाने की पूरी क्षमता है, लेकिन अतिशयोक्ति नहीं होगी यदि कहें मस्क की लापरवाहियों ने मेटा को अवसर दे दिया है. एक वक्त था जब ट्विटर पर यूजर्स की मनमर्जियां चलती थी और अब मस्क की. महानुभाव ने कॉस्ट कटिंग का लॉजिक देते हुए एक के बाद एक, ब्लू टिक को चार्जेबल बनाने से लेकर एकदम हालिया यूजर्स के लिए हर दिन देखी जा सकने वाली ट्विटर पोस्ट की संख्या भी सीमित कर दी. निःसंदेह उनकी कवायद है सर्वरों पर पड़ रहे भार को कम किया जा सके जिसका सीधा असर कॉस्ट पर पड़ता है. इसके अलावा कुछ दिन पहले ही ट्विटर ने बिना अकाउंट वाले यूजर्स के लिए ब्राउज़िंग एक्सेस को भी प्रतिबंधित कर दिया था. नतीजन ट्विटर यूजर्स का कम होना लाजिमी था.दरअसल लागत कम करने की मस्क की कोशिशों के वास्तविक परिणामों में से एक को इस क्षेत्र में प्रतिद्वंदियों के लिए दरवाजे खोलने के रूप में देखा जा सकता है. उनकी खुशकिस्मती ही समझिये गत वर्ष जब से उन्होंने ट्विटर को ख़रीदा है, इसका कोई प्रैक्टिकल विकल्प कल तक तो सामने नहीं आया था.

माना जा रहा है कि थ्रेड्स के आने से ट्विटर को भारी नुकसान होगा

लेकिन मेटा की तैयारियां ज़ोर शोर से चल रही थीं इस दिशा में, आभास चंद दिनों पहले ही हो गया था जब "थ्रेड्स" थोड़ी देर के लिए गूगल प्ले स्टोर पर धूमकेतु के माफिक झलककर गायब हो गया था. इधर मस्क सफाई दे रहे थे अपने कठोर क़दमों की. उनके अनुसार इसलिए जरुरी था चूंकि सैंकड़ों संगठन अति उच्च स्तर पर डेटा नष्ट कर रहे हैं ; एआई भी डेटा को जिस कदर एक्सप्लॉइट कर रहा हैं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स थ्रेट अनुभव कर रहे हैं. परन्तु यूजर्स को क्या सरोकार इन बातों से ? उन्हें तो इतना ही मतलब है कि वे वीकेंड में...

और ऐसे समय में आया है जब ट्विटर से नाराजगी बढ़ती जा रही है. माना जा रहा था कि एलन मस्क में ट्विटर को सफल बनाने की पूरी क्षमता है, लेकिन अतिशयोक्ति नहीं होगी यदि कहें मस्क की लापरवाहियों ने मेटा को अवसर दे दिया है. एक वक्त था जब ट्विटर पर यूजर्स की मनमर्जियां चलती थी और अब मस्क की. महानुभाव ने कॉस्ट कटिंग का लॉजिक देते हुए एक के बाद एक, ब्लू टिक को चार्जेबल बनाने से लेकर एकदम हालिया यूजर्स के लिए हर दिन देखी जा सकने वाली ट्विटर पोस्ट की संख्या भी सीमित कर दी. निःसंदेह उनकी कवायद है सर्वरों पर पड़ रहे भार को कम किया जा सके जिसका सीधा असर कॉस्ट पर पड़ता है. इसके अलावा कुछ दिन पहले ही ट्विटर ने बिना अकाउंट वाले यूजर्स के लिए ब्राउज़िंग एक्सेस को भी प्रतिबंधित कर दिया था. नतीजन ट्विटर यूजर्स का कम होना लाजिमी था.दरअसल लागत कम करने की मस्क की कोशिशों के वास्तविक परिणामों में से एक को इस क्षेत्र में प्रतिद्वंदियों के लिए दरवाजे खोलने के रूप में देखा जा सकता है. उनकी खुशकिस्मती ही समझिये गत वर्ष जब से उन्होंने ट्विटर को ख़रीदा है, इसका कोई प्रैक्टिकल विकल्प कल तक तो सामने नहीं आया था.

माना जा रहा है कि थ्रेड्स के आने से ट्विटर को भारी नुकसान होगा

लेकिन मेटा की तैयारियां ज़ोर शोर से चल रही थीं इस दिशा में, आभास चंद दिनों पहले ही हो गया था जब "थ्रेड्स" थोड़ी देर के लिए गूगल प्ले स्टोर पर धूमकेतु के माफिक झलककर गायब हो गया था. इधर मस्क सफाई दे रहे थे अपने कठोर क़दमों की. उनके अनुसार इसलिए जरुरी था चूंकि सैंकड़ों संगठन अति उच्च स्तर पर डेटा नष्ट कर रहे हैं ; एआई भी डेटा को जिस कदर एक्सप्लॉइट कर रहा हैं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स थ्रेट अनुभव कर रहे हैं. परन्तु यूजर्स को क्या सरोकार इन बातों से ? उन्हें तो इतना ही मतलब है कि वे वीकेंड में काफी देर तक अपने ट्वीट्स को हमेशा की तरह स्क्रॉल नहीं कर पा रहे थे.

और यही क्षण थे जब यूजर्स ने विकल्पों की ओर ताकना शुरू किया. नतीजन भारत को छोड़कर अन्य देशों में 'मस्टडॉन' के यूजर्स में तेजी से बढ़ौत्तरी हुई. भारतीयों के लिए इसकी जटिलता आड़े आ गई. ट्विटर के ही भूतपूर्व सर्वेसर्वा जैक डोरसी के इंटरेस्ट वाली 'ब्लूस्काई' को भी यूजर्स की बढ़ती संख्या देखते हुए नए साइन अप अस्थायी रूप से ससपेंड करने पड़े. और भी हैं जिनमें से एक पूर्व ट्विटर कर्मियों का प्लेटफार्म 'टी 2' है.

हालांकि अभी बीटा मोड में ही है. एक और पूर्व कर्मियों का ग्रुप अपने वेंचर 'स्पिल' को लेकर आशान्वित है. कहावत है अब ऊंट आया पहाड़ के नीचे. दो दिन पहले ही मेटा ने 'थ्रेड्स' लांच कर दिया और चार घंटे में 50 लाख से ज़्यादा लोगों ने इसे साइन अप भी कर लिया. चूंकि मेटा हस्ती है. फ़ेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम सरीखे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जो हैं इसके. यूज़र्स बेस तो तैयार पड़ा है. सो असल थ्रेट यही है ट्विटर के लिए और इसीलिए हेडलाइन जस्टिफाई भी होती है. 'मेटा का ट्विटर किलर माइक्रो ब्लॉगिंग एप्प 'थ्रेड्स' आ गया है.

थ्रेड्स पर लॉग इन करने के लिए इंस्टा यूजर्स अपने मौजूदा अकाउंट को इस्तेमाल कर सकते हैं, सो थ्रेड्स को इंस्टाग्राम का एक्सटेंशन भी कह सकते है. फ़िलहाल जो फ़ीचर्स हैं , वे हैं आप 500 करैक्टर तक का पोस्ट लिख सकते हैं, लिंक, पांच मिनट तक के वीडियो व फोटो अटैच किए जा सकते हैं. थ्रेड्स से पोस्ट इंस्टा पर और वाईस वर्सा भी शेयर किया जा सकता है, यूज़र्स के पास विकल्प है कि कौन उन्हें मेंशन करे, कुछ ख़ास शब्दों वाली पोस्ट के रिप्लाई को फ़िल्टर भी किया जा सकता है.

किसी को अनफॉलो करना, ब्लॉक करना, रेस्ट्रिक्ट करना या रिपोर्ट करना भी संभव है. और जिस अकाउंट को यूजर ने इंस्टा पर ब्लॉक कर दिया है, वह स्वतः ही थ्रेड्स पर ब्लॉक हो जाएगा . मेटा का कहना है अभी शुरुआती वर्जन लांच हुआ है, आने वाले समय में इसमें अन्य सोशल मीडिया ऐप जैसे फ़ीचर्स मसलन लोगों से बात करने जैसी सुविधा भी लाये जाएंगे।

मेटा के कर्ताधर्ता मार्क जुकरबर्ग शायद ट्विटर को चैलेंज करने के लिए ही 11 साल बाद ट्विटर पर अवतरित हुए और एक स्पाइडर मैन मीम शेयर कर बहुत कुछ कह दिया. कहने का मतलब दो स्पाइडर मैन एक दूसरे को उंगली दिखाकर इस बात पर सरप्राइज हो रहे हैं, चौंक रहे हैं कि वे एक जैसे दिखते हैं. कुल मिलाकर वे उनके मेक ले रहे हैं जो थ्रेड्स को ट्विटर की कॉपी बता रहे हैं.

और ट्विटर ने खतरे को भांप लिया है, तभी तो ट्वीट तक पहुंचने के लिये लॉग-इन ऑप्शन चुपचाप हटा दिया. इससे ट्विटर यूजर घटने जो लगे थे. लगे हाथों ट्विटर ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मेटा पर केस करने की धमकी भी दे दी है क्योंकि मेटा ने इस ऐप को डेवलप करने के लिए पूर्व ट्विटर इंजीनियर्स को हायर किया है. हालांकि मेटा इंकार कर रही है कि थ्रेड्स टीम में कोई भी ट्विटर का पूर्व इंजीनियर है. मस्क भी कह रहे हैं, 'Competition is fine, cheating is not.'

मेटा 'थ्रेड्स' वाकई ट्विटर किलर साबित हो सकता है. इसके इंजीनियर्स को पता है कि दुनिया भर के अरबों यूज़र्स को क्या चाहिए. मेटा फॅमिली के तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक अलर्ट भर ही तो देना है स्टॉर्म क्रिएट करने के लिए. हां, दो बातें महत्वपूर्ण है - प्रथम मालिक उसपर अपनी ही विचारधारा का प्रचार न करे और दूसरे जानकारी के विश्वसनीय स्रोतों की अवहेलना न करे.

इन दो मानकों पर फिलहाल ट्विटर बहुत हद तक एक आदर्श स्थिति है लेकिन मस्क का बनिया दिमाग और साथ ही उनका ढुलमुल रवैया इस आदर्श स्थिति को बदल रहा है. और जब एक सक्षम आइडेंटिकल प्लेटफार्म आ गया है तो यदि एक बार लोगों के प्लेटफार्म बदलने का क्रम शुरू होने की देर है, मस्क के लिए इस पलायन को रोकना बहुत मुश्किल होगा. परंतु टर्म्स एंड कंडीशंस अप्लाई है कि मेटा अपनी पुरानी आदतों से बाज आये और निम्नस्तरीय कंटेंट को डिसकरेज करे, विज्ञापनों के मोह में बड़े इन्फ्लुएंसरों की पैरवी करना बंद करे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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