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Train-18 : शताब्‍दी को टक्‍कर देने के लिए तैयार है सबसे तेज-लग्जरी ट्रेन

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 25 अक्टूबर, 2018 11:36 AM
  • 25 अक्टूबर, 2018 11:36 AM
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रफ्तार, डिजाइन और सुविधाओं के मामले में ट्रेन-18 शताब्दी एक्सप्रेस को भी पछाड़ने के लिए काफी है. आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बनाई गई ये ट्रेन दुनिया भर की लग्जरी ट्रेनों को टक्कर देगी.

मेक इन इंडिया के तहत 18 महीनों के अंदर एक नई ट्रेन बनकर तैयार हो गई है, जिसे 'ट्रेन-18' नाम दिया गया है. यह ट्रेन सीधे शताब्दी एक्सप्रेस को टक्कर देगी. शताब्दी 1988 में आई थी और अभी 20 रूट्स पर चलती है. इस ट्रेन को भी इन्हीं रूट्स पर चलाया जाएगा. हालांकि, रफ्तार, डिजाइन और सुविधाओं के मामले में ट्रेन-18 शताब्दी एक्सप्रेस को भी पछाड़ने के लिए काफी है. आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बनाई गई ये ट्रेन दुनिया भर की लग्जरी ट्रेनों को टक्कर देगी. खास बात तो ये है कि यह ट्रेन मेट्रो ट्रेन की तरह है, जिसमें इंजन नहीं है और यह तेजी से रफ्तार पकड़ सकती है और साथ ही तेजी से ब्रेक भी लगाए जा सकेंगे. चलिए जानते हैं इस ट्रेन की 10 खास बातें.

रफ्तार, डिजाइन और सुविधाओं के मामले में ट्रेन-18 शताब्दी एक्सप्रेस को भी पछाड़ने के लिए काफी है.

1- सेल्फ प्रोपल्जन मॉड्यूल वाली ट्रेन-18 अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से दौड़ सकेगी.

2- बिना इंजन वाली यह 16 कोच की ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस की तुलना में 15 फीसदी कम समय में यात्रा पूरी कर लेगी. आपको बता दें कि शताब्दी की अधिकतम रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटा है

यह ट्रेन इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 18 महीनों में बनी है.

3- आईसीएफ यानी इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 18 महीनों में बनी ये ट्रेन पूरी तरह से एयर कंडिशन है, जिसे कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यात्री सीधे ड्राइवर के केबिन में देख सकेंगे.

4- इस ट्रेन की लागत करीब 100 करोड़...

मेक इन इंडिया के तहत 18 महीनों के अंदर एक नई ट्रेन बनकर तैयार हो गई है, जिसे 'ट्रेन-18' नाम दिया गया है. यह ट्रेन सीधे शताब्दी एक्सप्रेस को टक्कर देगी. शताब्दी 1988 में आई थी और अभी 20 रूट्स पर चलती है. इस ट्रेन को भी इन्हीं रूट्स पर चलाया जाएगा. हालांकि, रफ्तार, डिजाइन और सुविधाओं के मामले में ट्रेन-18 शताब्दी एक्सप्रेस को भी पछाड़ने के लिए काफी है. आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बनाई गई ये ट्रेन दुनिया भर की लग्जरी ट्रेनों को टक्कर देगी. खास बात तो ये है कि यह ट्रेन मेट्रो ट्रेन की तरह है, जिसमें इंजन नहीं है और यह तेजी से रफ्तार पकड़ सकती है और साथ ही तेजी से ब्रेक भी लगाए जा सकेंगे. चलिए जानते हैं इस ट्रेन की 10 खास बातें.

रफ्तार, डिजाइन और सुविधाओं के मामले में ट्रेन-18 शताब्दी एक्सप्रेस को भी पछाड़ने के लिए काफी है.

1- सेल्फ प्रोपल्जन मॉड्यूल वाली ट्रेन-18 अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से दौड़ सकेगी.

2- बिना इंजन वाली यह 16 कोच की ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस की तुलना में 15 फीसदी कम समय में यात्रा पूरी कर लेगी. आपको बता दें कि शताब्दी की अधिकतम रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटा है

यह ट्रेन इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 18 महीनों में बनी है.

3- आईसीएफ यानी इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 18 महीनों में बनी ये ट्रेन पूरी तरह से एयर कंडिशन है, जिसे कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यात्री सीधे ड्राइवर के केबिन में देख सकेंगे.

4- इस ट्रेन की लागत करीब 100 करोड़ रुपए है. इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री के जनरल मैनेजर सुधांशु मनी के अनुसार इस ट्रेन का प्रोटोटाइप बनाने में तो 100 करोड़ रुपए का खर्च आया है, लेकिन ऐसी और भी ट्रेनें बनेंगी तो लागत में कमी आएगी.

5- एग्जिक्युटिव कोच में लगी कुर्सियां 360 डिग्री घूम सकेंगी.

एग्जिक्युटिव कोच की कुर्सियां 360 डिग्री घूम सकती हैं.

6- ट्रेन-18 को 29 अक्टूबर को लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद यह 3-4 दिन तक फैक्ट्री के बाहर ट्रायल पर रहेगी. इसके बाद ट्रेन को आगे के ट्रायल के लिए Research Design and Standards Organisation (RDSO) को सौंप दिया जाएगा.

7- इस ट्रेन में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, दो एग्जिक्युटिव कंपार्टमेंट होंगे, जिसमें 52-52 सीटें होंगी. जबकि अन्य कोचों में 78 लोगों के बैठने की सुविधा है. वहीं अगर ड्राइवर केबिन वाले कोच में सिर्फ 44 सीटें होंगी.

8- दावा किया जा रहा है कि ट्रेन-18 में जीरो डिस्चार्ज बायो-वैक्यूम शौचालय है.

ट्रेन में टॉयलेट भी बायो वैक्यूम वाला है.

9- इसमें स्वचालित दरवाजे होंगे और जीपीएस आधारित पैसेंजर इंफॉर्मेशन सिस्टम होगा. इसके अलावा यात्रियों को मुफ्त वाईफाई और इंटरटेनमेंट की सुविधा भी मिलेगी.

10- जैसे ही ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकेगी, वैसे ही स्लाइड होने वाली सीढ़ियां की वजह से कोच के दरवाजे पर लगी सीढ़ियां बाहर की ओर स्लाइड हो जाएंगी, ताकि यात्री सुरक्षित तरीके से और आराम से ट्रेन से उतर सकें. इससे ट्रेन और प्लेटफॉर्म का फ्लोर ऊपर-नीचे होने की स्थिति में भी यात्री को ट्रेन से उतरने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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