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जियो के दौर में TRAI का दो रुपए वाला Wi-Fi किसे चाहिए ?

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 06 अप्रिल, 2018 08:40 PM
  • 06 अप्रिल, 2018 08:40 PM
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TRAI देश में एक ऐसा ढांचा बनाना चाहती है जिससे लोगों को सस्ते दामों पर Wi-Fi पर इंटरनेट मिल सके. कुछ-कुछ STD/PCO बूथ की तरह. लेकिन सवाल उठता है कि जियो जैसी कंपनियों के सस्‍ते इंटरनेट प्‍लान के चलते ये वाईफाई सेवा कितने लोगों के काम आएगी?

टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी TRAI अब एक नए प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. ट्राई ने सरकार को एक नई रिपोर्ट पेश की है जिसमें ओपन आर्किटेक्चर पर आधारित वाई-फाई सर्विस की जानकारी है जो बहुत कम दाम में लोगों को दी जा सकेगी. इसका नाम रखा गया है "Public Wi-Fi Open Pilot Project".

ट्राई के चेयरमैन आर. एस. शर्मा का कहना है कि ये आधार और PI की तरह ही मजबूत सिस्टम होगा. ये कुछ ऐसा होगा कि डेटा की कीमतें 10 गुना तक कम हो जाएंगी. जो नया मॉडल काम करेगा वो होगा "Wi-Fi Access Network Interface (WANI)". इसमें इस्तेमाल किए जा सकने वाले जो भी प्रोडक्ट्स होंगे वो छोटे होंगे, जिनकी कीमत 2 रुपए से शुरू हो सकेगी.

इस सिस्टम के अंतरगत सर्विस देने वाले और सर्विस लेने वाले के बीच पेमेंट और सर्विस ट्रांसफर क्लाउड की मदद से होगा. जो एक इलाके में राउटर को देखेगा उसे PDO (Public Data Office) कहा जाएगा. ये कुछ-कुछ वैसा ही है होगा जैसे पहले के समय में STD-PCO हुआ करते थे.

भारत में वायरलेस नेटवर्क ज्यादा बड़ा है और इसलिए इंटरनेट प्रोवाइड करने का सबसे सस्ता तरीका वाईफाई ही हो सकता है.

क्‍या है 2 रुपए में Wi-fi का प्‍लान..

ट्राई की रिपोर्ट में लिखा है कि ये वाई-फाई विकल्प Sachet Size (पाउच साइज) में होंगे और इसकी शुरुआत 2 रुपए से हो सकती है. अभी इसके बारे में कोई जानकारी रिपोर्ट में नहीं है कि ये किस तरह से खरीदे जा सकेंगे. टॉप-अप कार्ड की तरह इन्हें स्क्रैच कर वाई-फाई पासवर्ड मिलेगा और घंटों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जैसे अमूमन रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई हॉटस्पॉट के साथ होता है या फिर ये सीधे एप के जरिए पेमेंट लेंगे और एक तय समय के लिए वाई-फाई सुविधा देंगे. इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं, लेकिन ये पब्लिक वाई-फाई 2 रुपए से लेकर 20 रुपए के बीच लोगों को इंटरनेट देंगे. हो सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में इसकी जानकारी मिल जाए.

टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी TRAI अब एक नए प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. ट्राई ने सरकार को एक नई रिपोर्ट पेश की है जिसमें ओपन आर्किटेक्चर पर आधारित वाई-फाई सर्विस की जानकारी है जो बहुत कम दाम में लोगों को दी जा सकेगी. इसका नाम रखा गया है "Public Wi-Fi Open Pilot Project".

ट्राई के चेयरमैन आर. एस. शर्मा का कहना है कि ये आधार और PI की तरह ही मजबूत सिस्टम होगा. ये कुछ ऐसा होगा कि डेटा की कीमतें 10 गुना तक कम हो जाएंगी. जो नया मॉडल काम करेगा वो होगा "Wi-Fi Access Network Interface (WANI)". इसमें इस्तेमाल किए जा सकने वाले जो भी प्रोडक्ट्स होंगे वो छोटे होंगे, जिनकी कीमत 2 रुपए से शुरू हो सकेगी.

इस सिस्टम के अंतरगत सर्विस देने वाले और सर्विस लेने वाले के बीच पेमेंट और सर्विस ट्रांसफर क्लाउड की मदद से होगा. जो एक इलाके में राउटर को देखेगा उसे PDO (Public Data Office) कहा जाएगा. ये कुछ-कुछ वैसा ही है होगा जैसे पहले के समय में STD-PCO हुआ करते थे.

भारत में वायरलेस नेटवर्क ज्यादा बड़ा है और इसलिए इंटरनेट प्रोवाइड करने का सबसे सस्ता तरीका वाईफाई ही हो सकता है.

क्‍या है 2 रुपए में Wi-fi का प्‍लान..

ट्राई की रिपोर्ट में लिखा है कि ये वाई-फाई विकल्प Sachet Size (पाउच साइज) में होंगे और इसकी शुरुआत 2 रुपए से हो सकती है. अभी इसके बारे में कोई जानकारी रिपोर्ट में नहीं है कि ये किस तरह से खरीदे जा सकेंगे. टॉप-अप कार्ड की तरह इन्हें स्क्रैच कर वाई-फाई पासवर्ड मिलेगा और घंटों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जैसे अमूमन रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई हॉटस्पॉट के साथ होता है या फिर ये सीधे एप के जरिए पेमेंट लेंगे और एक तय समय के लिए वाई-फाई सुविधा देंगे. इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं, लेकिन ये पब्लिक वाई-फाई 2 रुपए से लेकर 20 रुपए के बीच लोगों को इंटरनेट देंगे. हो सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में इसकी जानकारी मिल जाए.

हां, रिपोर्ट में ये जरूर लिखा है कि इंटीग्रेटेड पेमेंट के तरीकों को टेस्ट किया जाएगा जैसे कूपन, टॉपअप, क्रेडिट-डेबिट कार्ड, PI, ई-वॉलेट आदि.

जियो के दौर में क्या होगा इस Wifi का हाल..

फिलहाल जियो का जमाना चल रहा है और बाकी सर्विस प्रोवाइडर भी अपने डेटा प्लान काफी कम कर चुके हैं. इस समय फ्री वाई-फाई सेवा लोगों के लिए जरूरत से ज्यादा लग्जरी कही जा सकती है. हालांकि, ये पूरी तरह से फ्री नहीं होगी, लेकिन डेटा का दाम इतना सस्ता है कि इसे लगभग फ्री कहा जाए तो गलत नहीं होगा. जितना डेटा मिलता है उतना इस्तेमाल किया जाए ये सही है.

जियो और बाकी सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ ये दिक्कत है कि उनमें एक दिन की लिमिट होती है और उस लिमिट के खत्म होते ही इंटरनेट धीमा हो जाता है. ऐसे में वाईफाई एक लग्जरी साबित हो सकता है. जियो के डेटा पैक्स की कीमत भी 5 रुपए प्रति दिन के हिसाब से ही होती है तो ऐसे में अलग से घर के बाहर जाकर 2 रुपए वाला वाईफाई इस्तेमाल करना कितना किफायती साबित होगा? जिस समय पीसीओ ऑफिस थे उस समय आम घरों में न तो फोन हुआ करते थे और न ही मोबाइल क्रांति आई थी. ऐसे में पीसीओ का अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन जियो के जमाने में पब्लिक वाईफाई सुविधा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना और खर्च करना उतना किफायती समझ नहीं आता.

राजनीति और वाई-फाई...

राजनीति में लंबे अर्से से तकनीकी विकास और मुफ्त वाईफाई की बातें चलती आई हैं. अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली चुनाव से पहले राज्य में मुफ्त वाईफाई देने का वादा करते थे. जियो आने से पहले जहां इंटरनेट की दरें बहुत महंगी थीं वहीं वाईफाई चुनावी मुद्दा बना हुआ था, लेकिन जब वैसे ही घर में 5 रुपए से कम कीमत का इंटरनेट मिल रहा है उस समय ये चुनावी मुद्दा नहीं बन सकता. जिस समय वाईफाई मुद्दा था उस समय डिमांड ज्यादा थी, लेकिन इस समय ये उतना बड़ा मुद्दा नहीं है. 

किसी सस्ती वाईफाई सुविधा को प्रदान करने के लिए एक बड़ा आर्किटेक्चर तैयार करना पड़ता है और उसमें समय और पैसा दोनों ही काफी ज्यादा खर्च होते हैं. जिस तरह से केजरीवाल साहब ने फ्री वाईफाई की सुविधा देने के लिए प्रचार किया था उस हिसाब से तो काम हुआ नहीं. फ्री वाईफाई तो लोगों को मिला नहीं, लेकिन अब उसकी जरूरत भी नहीं रही. ऐसे में सस्ते दामों पर वाईफाई का मामला अब राजनीतिक भी नहीं रह गया है. 

फ्री सेवा का क्या किया जाता है...

2016 में पटना रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई की सुविधा लाई गई थी. एक महीने के अंदर ही रेलटेल की एक रिपोर्ट आई जिसमें सामने आया कि लोग रेलवे स्टेशन के वाई-फाई का इस्तेमाल सबसे ज्यादा पोर्न देखने के लिए करते हैं.

गूगल के डेटा के अनुसार अभी तक जितने भी स्टेशन पर वाईफाई सर्विस लगी हैं उनमें से टियर 2 शहरों में सबसे ज्यादा लोग वाईफाई का इस्तेमाल कर रहे हैं. डेटा के इस्तेमाल के मामले में भुवनेश्वर ने मुंबई सेंट्रल को लॉन्च होने के एक दिन के अंदर ही पीछे छोड़ दिया. रिपोर्ट के अनुसार कुछ ऐसा ही पटना, जयपुर और विशाखापट्टनम जैसे शहरों का हाल है. एक और बात, लोग 3जी पैक के मुकाबले 15 गुना ज्यादा डेटा इस्तेमाल करते हैं. इनका इस्तेमाल क्या होता है इसका सबसे अच्छा जवाब है मनोरंजन के लिए.

लोग फिल्में डाउनलोड करते हैं, पोर्न देखते हैं और वीडियो देखने में सबसे ज्यादा इस तरह के काम किए जाते हैं.

भारत में ये प्रथा है कि हमेशा जो भी चीज़ फ्री में दी जाती है उसका इस्तेमाल भरपूर होता है. चाहें पंडाल के बाहर कहीं बूंदी बट रही हो या फिर फ्री में वाई-फाई दिया जा रहा हो. जियो सिम लेने के लिए भी लोग लाइन में सिर्फ इसलिए खड़े रहे क्योंकि फ्री में इंटरनेट देने की बात की गई थी. इसलिए अगर फ्री में या सस्ते दामों में वाईफाई की सुविधा ट्राई देती है तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं होगी कि लोग उसका इस्तेमाल करें, लेकिन अगर देखा जाए तो लोगों के लिए इसकी जरूरत अब खत्म सी हो गई है. ये प्रोजेक्ट कितना उपयोगी साबित होता है ये इसपर निर्भर करता है कि उस प्रोजेक्ट को कहां लगाया जाता है. अभी भी देश में कई ऐसे इलाके हैं जहां जियो या किसी अन्य सर्विस प्रोवाइडर का नेटवर्क उतना नहीं है, लेकिन वहां इंटरनेट यूजर्स काफी बढ़ सकते हैं. 

ये भी पढ़ें-

आखिर किस लिए दिया जाए भारत में फ्री वाईफाई ?

पटना रेलवे स्टेशन छोड़िए, देखिए देश क्या-क्या खोजता है!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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