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कश्‍मीर को दिमाग में रखकर इजरायल बेचना चाहता है कुछ हथियार

    • राहुल लाल
    • Updated: 16 जनवरी, 2018 06:46 PM
  • 16 जनवरी, 2018 06:42 PM
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इजराइल के बहुत से हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल कश्मीर में भी किया जाता है और कई ऐसे भी हथियार हैं जिनका भविष्य में कश्मीर में इस्तेमाल किया जा सकता है.

हाल ही में इजराल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भारत आए थे. पीएम मोदी ने भी खुद एयरपोर्ट जाकर उनका स्वागत किया. दोनों देशों के अच्छे रिश्ते हथियारों के मामले में भारत को काफी मजबूत बना रहे हैं. दोनों देशों के बीच कई सारे समझौते भी हुए. इजराइल की तरफ से भारत को कई ऐसे हथियार दिए जा रहे हैं, जिनसे देश की सुरक्षा व्यवस्था काफी मजबूत हो जाएगी. इजराइल के बहुत से हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल कश्मीर में भी किया जाता है और कई ऐसे भी हथियार हैं जिनका भविष्य में कश्मीर में इस्तेमाल किया जा सकता है. दरअसल, कश्मीर और इजराइल के हालात लगभग एक जैसे ही हैं. दोनों ही जगहों पर प्रदर्शनकारियों को भगाने में सुरक्षा बलों को खासी मशक्कत करनी पड़ती है. आइए जानते हैं इजराइल के ऐसे ही कुछ हथियारों के बारे में.

1- Skunk

स्कंक का इस्तेमाल इजराइल डिफेंस फोर्स प्रदर्शन कर रही उग्र भीड़ को भगाने के लिए करती है. इजराइल इसे अन्य देशों को भी बेचता है, जिसका इस्तेमाल वहां पर प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए किया जाता है. यह हथियार रबर बुलेट और टीयर गैस जैसे हथियारों से भी अधिक असरदार है. भारत ने भी इजराइल से यह हथियार खरीदा है. Skunk हथियार से एक बदबूदार तरल पदार्थ भीड़ पर फेंका जाता है. इसे बेकिंग पाउडर, यीस्ट और कुछ अन्य चीजों से बनाया जाता है, जो जहरीला नहीं होता है और पूरी तरह से ऑर्गेनिक भी है. इस हथियार का नाम स्कंक नाम के एक जानवर पर पड़ा है, जो खुद को खतरे में देखते हुए अपने बचाव के तौर पर पीले रंग का ऐसा पदार्थ छोड़ता है जिससे खतरनाक बदबू आती है. इस बदबू की वजह से दुश्मन भाग जाता है. हालांकि, भारत में यह अधिक असरदार नहीं दिख रही. सीआरपीएफ ने कहा है कि उन्होंने भीड़ के एक हिस्से पर इसका इस्तेमाल भी किया था, लेकिन वह लोग इस बदबू को आसानी से सहन कर ले रहे थे.

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हाल ही में इजराल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भारत आए थे. पीएम मोदी ने भी खुद एयरपोर्ट जाकर उनका स्वागत किया. दोनों देशों के अच्छे रिश्ते हथियारों के मामले में भारत को काफी मजबूत बना रहे हैं. दोनों देशों के बीच कई सारे समझौते भी हुए. इजराइल की तरफ से भारत को कई ऐसे हथियार दिए जा रहे हैं, जिनसे देश की सुरक्षा व्यवस्था काफी मजबूत हो जाएगी. इजराइल के बहुत से हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल कश्मीर में भी किया जाता है और कई ऐसे भी हथियार हैं जिनका भविष्य में कश्मीर में इस्तेमाल किया जा सकता है. दरअसल, कश्मीर और इजराइल के हालात लगभग एक जैसे ही हैं. दोनों ही जगहों पर प्रदर्शनकारियों को भगाने में सुरक्षा बलों को खासी मशक्कत करनी पड़ती है. आइए जानते हैं इजराइल के ऐसे ही कुछ हथियारों के बारे में.

1- Skunk

स्कंक का इस्तेमाल इजराइल डिफेंस फोर्स प्रदर्शन कर रही उग्र भीड़ को भगाने के लिए करती है. इजराइल इसे अन्य देशों को भी बेचता है, जिसका इस्तेमाल वहां पर प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए किया जाता है. यह हथियार रबर बुलेट और टीयर गैस जैसे हथियारों से भी अधिक असरदार है. भारत ने भी इजराइल से यह हथियार खरीदा है. Skunk हथियार से एक बदबूदार तरल पदार्थ भीड़ पर फेंका जाता है. इसे बेकिंग पाउडर, यीस्ट और कुछ अन्य चीजों से बनाया जाता है, जो जहरीला नहीं होता है और पूरी तरह से ऑर्गेनिक भी है. इस हथियार का नाम स्कंक नाम के एक जानवर पर पड़ा है, जो खुद को खतरे में देखते हुए अपने बचाव के तौर पर पीले रंग का ऐसा पदार्थ छोड़ता है जिससे खतरनाक बदबू आती है. इस बदबू की वजह से दुश्मन भाग जाता है. हालांकि, भारत में यह अधिक असरदार नहीं दिख रही. सीआरपीएफ ने कहा है कि उन्होंने भीड़ के एक हिस्से पर इसका इस्तेमाल भी किया था, लेकिन वह लोग इस बदबू को आसानी से सहन कर ले रहे थे.

2- The Scream

यह एक ऐसा हथियार है, जिसका इस्तेमाल इजराइल प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए करता है. The Scream हथियार से एक तेज आवाज निकलती है, जो लोगों के कानों के लिए बेहद दर्दनाक होती है. इसका इस्तेमाल किसी गाड़ी पर इसे लगाकर किया जाता है. इस हथियार की खास बात यह है कि इससे जो तेज आवाज निकलती है उससे सीधे किसी खास जगह को टारगेट किया जा सकता है. इसे इजराइल की इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स रिसर्च & डेवलपमेंट लिमिटेड कंपनी ने बनाया.

3- Stun Grenades

स्टन ग्रेनेड इजराइल में इस्तेमाल किए जाने वाले वह हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल आंसू गैस के गोलों के साथ खूब किया जाता है. यह एक ग्रेनेड की तरह फटता है, जिससे तेज रोशनी और खतरनाक आवाज होती है. इनका इस्तेमाल लोगों को डराने के लिए किया जाता है. कश्मीर में प्रदर्शन कर रही उग्र भीड़ पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, जो लोग स्कंक की बदबू के सामने भी टिके रहे, उन पर स्टन ग्रेनेड पता नहीं अपना असर दिखा पाएगा या नहीं.

4- Pellet Gun

कश्मीर में हिंसा कर रही भीड़ को भगाने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें 5 से 12 तक की रेंज के कारतूस पड़ते हैं. इसमें 5 की रेंज को सबसे तेज और खतरनाक माना जाता है. इन कारतूस में लोहे के छर्रे होते हैं. हर कारतूस में करीब 500 तक छर्रे हो सकते हैं. इसे फायर करने के बाद कारतूस हवा में फूटता है और फिर छर्रे चारों ओर बिखर जाते हैं. इससे काफी दूर खड़े लोगों को भी नुकसान होता है. पैलेट गन की वजह से कश्मीर में बहुत से लोग अंधे तक हो चुके हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि पैलेट गन इंसान को जिंदा लाश बना सकती है. लेकिन जब प्रदर्शन बहुत अधिक उग्र हो जाता है तो सेना के पास कोई और चारा भी नहीं बचता है. इजराइल में भी इसका इस्तेमाल उग्र भीड़ को भगाने के लिए किया जाता है.

इजराइल से ये हथियार भी खरीदेगा भारत

हथियारों की खरीद के लिए इजराइल भारत का 5 वाँ सबसे बड़ा स्रोत है. गत एक दशक में भारत ने इजराइल से 10 अरब डॉलर से अधिक के हथियार खरीदे हैं. इजराइल भी मानता है कि सैन्य उद्योग की दृष्टि से भारत महत्वपूर्ण है. 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान प्रयोग किए गए लेजर गाइडेड बम और मानवरहित हवाई वाहनों की त्वरित आपूर्ति कर इजराइल ने संकट के समय महत्वपूर्ण सहयोगी की भूमिका का निर्वहन किया.

टैंक रोधी मिसाइल स्पाइक : इजराइल की इस मिसाइल को लेकर भारत ने अपने दरवाजे पूरी तरह से बंद नहीं किए हैं. इजराइल इस मिसाइल का निर्माण भारत के साथ करने को तैयार है. ज्ञात हो कि कुछ समय पहले सहमति बनी थी कि भारतीय सेना 8,000 स्पाइक मिसाइल खरीदेगी. इसकी कीमत 50 करोड़ डॉलर आंकी गई थी. लेकिन पिछले दिनों राफेल की तरफ से जानकारी दी गई थी कि भारत ने इस सौदे को रद्द कर दिया है. अब माना जा रहा है कि सौदे को बचाने के लिए स्पाइक मिसाइल बनाने वाली कंपनी राफेल ने आकर्षक प्रस्ताव दिया है. संभावना इस बात की है कि भारत पहले के मुकाबले कम स्पाइक मिसाइलें खरीदे.

अवाक्स: भारतीय वायुसेना के पास तीन ऑपरेशनल अवाक्स मौजूद हैं. इसके अलावा दो अन्य के जल्द ही वायुसेना में शामिल होने की उम्मीद है. यहाँ यह उल्लेखनीय है कि चीन के इच्छा के बावजूद यह तकनीक इजराइल ने चीन को नहीं दी.

बराक : सितंबर 2014 में भारत ने इजराइली एयरोस्पेस उद्योग की बराक-एंटी मिसाइल डिफेंस खरीदने का एक महत्वपूर्ण समझौता किया था, जो सबसे महत्वपूर्ण सैन्य समझौतों में शामिल है. पिछली यूपीए सरकार इस समझौते से पीछे हट गई थी, लेकिन मौजूदा सरकार इन समझौतों को तीव्र गति से आगे बढ़ा रही है.

ड्रोन : भारत अभी निगरानी और टोह लेने के लिए इजराइल में निर्मित 176 ड्रोन इस्तेमाल कर रहा है, जिसमें 108 आईएआई (इजराइली एयरोस्पेस इंडस्ट्री) सर्चर हैं जबकि 68 बिना शस्त्र वाले हेरान एट एयरक्राफ्ट है. इन परंपरागत सैन्य उपकरणों के साथ सीमा पर बाड़ लगाने से संबंधित तकनीक का भी भारत, इजराइल से आयात कर रहा है. इसका प्रयोग जम्मू कश्मीर के लाइन ऑफ कंट्रोल पर किया जा रहा है.

भारतीय सैन्य आधुनिकीकरण की तीव्र गति की आवश्यकता हो, या कृषि में अप्रत्याशित सुधार या इजराइली नवाचार का मामला हो; सभी मोर्चों पर इजराइल का साथ विशेष महत्व रखता है. 2015 में भारतीय राष्ट्रपति की इजराइल की यात्रा, वर्ष 2016के शुरुआत में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की इजराइल यात्रा से संबंधों में जो गति आई थी, उसे इजराइली राष्ट्रपति के नवंबर 2016 यात्रा ने और भी नवीन आयाम प्रदान की है. वहीं जुलाई 2017 प्रधानमंत्री की तीन दिवसीय यात्रा में तो यह अटूट मित्रता में बदल गई. इजराइल अतीत में अन्य देशों की तुलना में भारत को वरीयता देता रहा है. उदाहरण के लिए इजराइल ने भारत को मिसाइल, एंटी मिसाइल सिस्टम, अवाक्स इत्यादि दिया, परंतु चीन को अवाक्स सिस्टम बेचने से इंकार कर दिया.

यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी के पिछले वर्ष के सफलतम अमेरिका यात्रा के बाद अब इजराइली प्रधानमंत्री के भारत यात्रा ने चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता में भारत का शर्त रहित समर्थन इत्यादि भारत - इजराइल संबंधों के ऐसे चिरस्मरणीय भाग हैं जो भारतीय कूटनीति के सफलतम तत्वों को रेखांकित करते हैं. जब अरब देश साऊदी अरब फिलस्तीन समर्थक होने के बाद भी इजराइल से घनिष्ठ मित्रता कर रहा है, तो ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने पर्दे के पीछे चल रहे भारत-इजराइल मित्रता को एक नई ऊँचाई प्रदान की है. वास्तव में भारत-इजराइल के इस अटूट मित्रता ने विश्व राजनीति के कई समीकरणों को भी उलट-पुलट दिया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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