• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
टेक्नोलॉजी

मोदी का 'देसी GPS' टक्कर देगा अमेरिका को

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 29 मई, 2017 07:16 PM
  • 29 मई, 2017 07:16 PM
offline
भूल जाइए गूगल मैप... अब सही मंजिल पर पहुंचाने के लिए मोदी का देसी जीपीएस आ रहा है. लॉन्च होते ही इतिहास में नाम भी लिखा जाएगा.

कहीं जाना है और रास्ता पता नहीं तो लोग गूगल मैप का इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि वही एक ऐसा मैप है जो सही मंजिल तक पहुंचाता है. लेकिन अब मोदी एक ऐसा एप लेकर आ रहे हैं. जिससे आप गूगल मैप भूल जाएंगे. अब भारत में गूगल को टक्कर देने के लिए देसी GPS तैयार हो रहा है.

अगर आप कभी रास्ता भटकेंगे तो आपको ये देसी जीपीएस मदद देगा. इस जीपीएस का नाम है NavIC. अगर ये देसी जीपीएस आया तो हम जीपीएस के मामले में अमेरिका से भी आगे निकल जाएंगे. इसकी लॉन्चिंग की तैयारी जोरों पर चल रही है.

2018 में होगी एन्ट्री

NavIC नाम का ये जीपीएस पूरी तरह से मेक इन इंडिया होगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो 2018 तक ये भारतीय बाजार में आ जाएगा. दावा भी किया गया है कि आने वाले वक्त में ये जीपीएस दुनिया के हर मुल्क के जीपीएस को कड़ी टक्कर दे सकेगा. इस एप को अहमदाबाद में स्पेस एप्लिकेशन सेंटर मे तैयार किया जा रहा है. ये पूरा काम पीएम की नजरों के सामने हो रहा है. पीएम छोटी से छोटी जानकारी ले रहे हैं. फिलहाल इस पर अभी टेस्टिंग चल रही है.

पीएम मोदी ने रखा था नाम

NavIC का मतलब नाविक या नेविगेटर होता है. जब IRNSS-1G की लॉन्चिंग हुई थी. तो उस वक्त पीएम मोदी ने ही इसे नाम दिया था. ये जीपीएस देशभर में कहीं भी, किसी भी लोकेशन का सही और सटीक डेटा यूजर तक पहुंचा सकेगा.

ये एप अमेरिका को देगा टक्कर

अमेरिका का जीपएस सिस्टम फिलहाल 24 सैटेलाइट के पर काम करता है. भारत का नेविगेशन सिस्टम 7 सेटेलाइट पर काम करेगा, लेकिन वह अमोरिका से कहीं ज्यादा कारगर है. जहां, यूएस का जीपीएम...

कहीं जाना है और रास्ता पता नहीं तो लोग गूगल मैप का इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि वही एक ऐसा मैप है जो सही मंजिल तक पहुंचाता है. लेकिन अब मोदी एक ऐसा एप लेकर आ रहे हैं. जिससे आप गूगल मैप भूल जाएंगे. अब भारत में गूगल को टक्कर देने के लिए देसी GPS तैयार हो रहा है.

अगर आप कभी रास्ता भटकेंगे तो आपको ये देसी जीपीएस मदद देगा. इस जीपीएस का नाम है NavIC. अगर ये देसी जीपीएस आया तो हम जीपीएस के मामले में अमेरिका से भी आगे निकल जाएंगे. इसकी लॉन्चिंग की तैयारी जोरों पर चल रही है.

2018 में होगी एन्ट्री

NavIC नाम का ये जीपीएस पूरी तरह से मेक इन इंडिया होगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो 2018 तक ये भारतीय बाजार में आ जाएगा. दावा भी किया गया है कि आने वाले वक्त में ये जीपीएस दुनिया के हर मुल्क के जीपीएस को कड़ी टक्कर दे सकेगा. इस एप को अहमदाबाद में स्पेस एप्लिकेशन सेंटर मे तैयार किया जा रहा है. ये पूरा काम पीएम की नजरों के सामने हो रहा है. पीएम छोटी से छोटी जानकारी ले रहे हैं. फिलहाल इस पर अभी टेस्टिंग चल रही है.

पीएम मोदी ने रखा था नाम

NavIC का मतलब नाविक या नेविगेटर होता है. जब IRNSS-1G की लॉन्चिंग हुई थी. तो उस वक्त पीएम मोदी ने ही इसे नाम दिया था. ये जीपीएस देशभर में कहीं भी, किसी भी लोकेशन का सही और सटीक डेटा यूजर तक पहुंचा सकेगा.

ये एप अमेरिका को देगा टक्कर

अमेरिका का जीपएस सिस्टम फिलहाल 24 सैटेलाइट के पर काम करता है. भारत का नेविगेशन सिस्टम 7 सेटेलाइट पर काम करेगा, लेकिन वह अमोरिका से कहीं ज्यादा कारगर है. जहां, यूएस का जीपीएम 20-30 मीटर पर पोजिशन दिखाता है, नाविक की लिमिट 5 मीटर है.

बता दें कि अमेरिका ने अपना जीपीएस सिस्टम साल 1973 में शुरू कर दिया था. इस बीच 1999 में करगिल में भारत ने जब इसकी मदद मांगी तो अमेरिका ने साफ मना कर दिया. इसके बाद से ही भारत ने अपने नेविगेशन सिस्टम बनाए जाने पर काम शुरू कर दिया था.

अमेरिका के अलावा रूस का ग्लोनास और यूरोपियन यूनियन का गेलिलियो नाम का अपना जीपीएस सिस्टम है. NavIC के लॉन्चिंग के साथ ही भारत उन देशों में शुमार हो जाएगा, जिनका अपना जीपीएस सिस्टम होगा.

भारत में गूगल मैप ही एक ऐसा नेविगेशन एप है जो सबसे सटीक लोकेशन देता है. इसके अलावा कोई ऐसा एप नहीं. मोदी की फेन फॉलोइंग देखकर लगता है कि लॉन्च के बाद लोग मोदी की तरह इस देसी जीपीएस को भी जरूर अपना लेंगे.

ये भी पढ़ें-

500 रु में चांद पर अपना नाम लिखिए, धोखा नहीं सच है जनाब...

ट्रंप में ये बदलाव नहीं बल्कि भटकाव है

एक पंजाबी मुंडे को अमेरिका ने 'विलेन' मान लिया है !

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    मेटा का ट्विटर किलर माइक्रो ब्लॉगिंग एप 'Threads' आ गया...
  • offline
    क्या Chat GPT करोड़ों नौकरियों के लिये खतरा पैदा कर सकता है?
  • offline
    Google Bard है ही इतना भव्य ChatGPT को बुरी तरह से पिछड़ना ही था
  • offline
    संभल कर रहें, धोखे ही धोखे हैं डिजिटल वर्ल्ड में...
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲