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करोड़ों रुपए के भारतीय नोट चीन में छपने की सच्‍चाई !

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 14 अगस्त, 2018 03:32 PM
  • 14 अगस्त, 2018 03:32 PM
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चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन के अध्यक्ष स्वीकार करते हैं कि चीन कई देशों की मुद्रा छाप रहा है. लेकिन वे साथ ही ये भी बता देते हैं कि वो राष्ट्र तकनीकी रूप से कितना बेबस है जो किसी दूसरे राष्ट्र में अपनी मुद्रा छपवा रहा है.

अब तक हम अपनी सरहदों पर चीन की घुसपैठ की बात सुनते आए हैं. इसके बाद ये सुनना की चीन हमारी अर्थव्यवस्था में घुसपैठ कर चुका है और उसको किसी दीमक की तरह चाट रहा है. अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है. बात निश्चित तौर पर विचलित करने वाली और गहरी चिंता का विषय है. मगर सच है. खबर के मुताबिक भारत के करंसी नोटों की छपाई चीन में हो रही है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट जो लिखा है वो किसी भी आम भारतीय के माथे पर पसीने की बूंदों के अलावा चिंता के बल लाने के लिए पर्याप्त है. खबर जहां एक साथ लाखों कहे अनकहे सवाल खड़े कर रही है तो वहीं ये भी बता रही है कि यदि वक़्त रहते इस राज का अगर पर्दाफाश न हुआ तो फिर हमारे देश के पास बचाने के लिए कुछ बचेगा नहीं.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (एससीएमपी) में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार हाल के वर्षों में चीन को कई बाहरी देशों के नोट छापने का बड़ा प्रोजेक्ट मिला है. बात अगर उन देशों की हो जिनकी करेंसी चीन अपनी मशीनों से छाप रहा है और उन देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है तो इन देशों में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, ब्राजील और पोलैंड के नाम शामिल हैं.

चीन का भारत समेत तमाम देशों की करंसी छापना ये बताता है कि भविष्य के लिए चीन के इरादे गंभीर हैं

चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन के अध्यक्ष ल्यू गिशेंग ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने एक इंटरव्यू दिया है. दिए गए इंटरव्यू में उस वक़्त ल्यू गिशेंग ने लोगों को हैरत में डाल दिया जब उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वर्तमान में चीन थाइलैंड के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, भारत, ब्राजील और पोलैंड में करेंसी उत्पादन के कई बड़े प्रोजेक्ट चला रहा है. ल्यू गिशेंग ने ये भी माना है कि इस लिस्ट में कई देश ऐसे हैं जिन्होंने चीन से...

अब तक हम अपनी सरहदों पर चीन की घुसपैठ की बात सुनते आए हैं. इसके बाद ये सुनना की चीन हमारी अर्थव्यवस्था में घुसपैठ कर चुका है और उसको किसी दीमक की तरह चाट रहा है. अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है. बात निश्चित तौर पर विचलित करने वाली और गहरी चिंता का विषय है. मगर सच है. खबर के मुताबिक भारत के करंसी नोटों की छपाई चीन में हो रही है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट जो लिखा है वो किसी भी आम भारतीय के माथे पर पसीने की बूंदों के अलावा चिंता के बल लाने के लिए पर्याप्त है. खबर जहां एक साथ लाखों कहे अनकहे सवाल खड़े कर रही है तो वहीं ये भी बता रही है कि यदि वक़्त रहते इस राज का अगर पर्दाफाश न हुआ तो फिर हमारे देश के पास बचाने के लिए कुछ बचेगा नहीं.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (एससीएमपी) में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार हाल के वर्षों में चीन को कई बाहरी देशों के नोट छापने का बड़ा प्रोजेक्ट मिला है. बात अगर उन देशों की हो जिनकी करेंसी चीन अपनी मशीनों से छाप रहा है और उन देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है तो इन देशों में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, ब्राजील और पोलैंड के नाम शामिल हैं.

चीन का भारत समेत तमाम देशों की करंसी छापना ये बताता है कि भविष्य के लिए चीन के इरादे गंभीर हैं

चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन के अध्यक्ष ल्यू गिशेंग ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने एक इंटरव्यू दिया है. दिए गए इंटरव्यू में उस वक़्त ल्यू गिशेंग ने लोगों को हैरत में डाल दिया जब उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वर्तमान में चीन थाइलैंड के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, भारत, ब्राजील और पोलैंड में करेंसी उत्पादन के कई बड़े प्रोजेक्ट चला रहा है. ल्यू गिशेंग ने ये भी माना है कि इस लिस्ट में कई देश ऐसे हैं जिन्होंने चीन से अनुरोध किया है कि वो उनकी करंसी छपाई के ऑर्डर की बात जगजाहिर नहीं करे. इससे उन देशों की जहां एक तरह विश्व पटल पर जमकर आलोचना होगी तो वहीं दूसरी तरफ सरकार अपने नागरिकों की नजर में भी गिर जाएगी.

इसके अलावा चीन में करेंसी छपवा रहे देशों ने ये भी माना है कि इससे उनके देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है साथ ही इससे उनके देश में एक बेमतलब का विवाद चर्चा का विषय बन आम नागरिकों की भावना को आहत कर सकता है.

ल्यू गिशेंग ने उस वक़्त लोगों को आश्चर्य में डाल दिया जब उन्होंने एक बयान में कहा कि, वर्तमान में दुनिया की इकॉनमी में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. चीन जैसे-जैसे सशक्त होता जाएगा, वह पश्चिम के मूल्यों को चुनौती देना शुरू करेगा. अपनी बात आगे बढ़ाते हुए ल्यू गिशेंग ने कहा कि इस दिशा में विदेशी करंसी नोट छापना एक अहम कदम होगा. ज्ञात हो कि आज जिस तरह चीन इस बात को खुल के स्वीकार रहा है कि वो अन्य देशों की करंसी छाप रहा है वो यह साफ दर्शाता है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था पर चीन भी अपना दबदबा कायम करने में जी जान एक कर रहा है.

ल्यू गिशेंग अपने और अपने देश के मिशन को किस तरह पूरा करने में जुटे हैं इसका अंदाजा यदि लगाना हो तो हम उन लोगों की तरह रुख कर सकते हैं जो इस मिशन में ल्यू गिशेंग कड़े साथ हैं. बताया जा रहा है कि इस काम के लिए ल्यू गिशेंग ने 18000 लोगों को नियुक्त किया है जो अलग-अलग देशों के नोट छाप कर उनकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं.

किसी भी राष्ट्र के लिए ये बेहद खतरनाक है कि उसकी करंसी किसी दूसरे मुल्क में छपे

बात गंभीर है और मुद्दा संवेदनशील है. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मुद्दे पर सरकार को घेरा है और पीयूष गोयल और अरुण जेटली को टैग करते हुए कहा है कि अगर ये सत्य है तो वाकई ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है. साथ ही इसमें थरूर ने पाकिस्तान को भी जोड़ा है और कहा है कि इसके बाद पाकिस्तान को भी भारत में नकली करेंसी पहुंचाने में मदद मिलेगी.

गौरतलब है कि चीन अन्य देशों की करेंसी छापेगा इस परियोजना की शुरुआत चीन 2013 में हुई थी और इसके लिए देश की सरकार ने अपना ब्लूप्रिंट तैयार किया था. तब इसके लिए चीन ने  एशिया, अफ्रीका और यूरोप के 60 देशों से बात भी की थी. बात अगर चीन द्वारा किसी दूसरे मुल्क की मुद्रा छापने की हो तो सबसे पहले चीन ने नेपाल का 100 रुपए का नोट छापा था और इसी के बाद से उन्हें अन्य देशों की मुद्रा छापने के मौके मिले जिसका उन्होंने सदुपयोग किया और आज स्थिति हमारे सामने है.

बहरहाल इस खबर के बाद बहुत सारी बातें साफ हो गई हैं. निश्चित तौर पर 'मुद्रा किसी भी देश की संप्रभुता का प्रतीक है.' ऐसे में चीन का किसी भी देश की मुद्रा व्यवस्था पर कब्ज़ा करना साफ बता देता है कि उनकी सोच दूरगामी है और उनका इरादा न सिर्फ विश्व मानचित्र पर अपनी ताकत दर्शाना है बल्कि उस ताकत के बल पर दुनिया पर राज करना है.

इसके अलावा वो तमाम मुल्क जो अपनी करंसी चीन में छपवा रहे हैं उनके लिए बस इतना ही कि इन्होंने जान बूझ कर मुसीबत गले लगाई है. उन्हें जबतक अपनी गलती का एहसास होगा तब तक ड्रैगन उन्हें पूरी तरह निगल चुका होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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