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शी जिनपिंग सरकार का अब इंटरनेट पर वार!

    • आईचौक
    • Updated: 23 अप्रिल, 2018 06:36 PM
  • 23 अप्रिल, 2018 06:36 PM
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अमेरिका ने इस सप्ताह के शुरूआत में चीनी दूरसंचार उपकरण निर्माता ZTE द्वारा बनाए गए पार्ट्स और सॉफ्टवेयर की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे चीनी फर्म के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान खड़ा हो गया है.

चीन को अपने व्यापक सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इंटरनेट पर अपनी पकड़ को मजबूत करना होगा. राज्य समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने शनिवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की टिप्पणियों का हवाला देते हुए ये रिपोर्ट प्रकाशित की है. इसके जरिए ऑनलाइन सामग्री के प्रति चीनी सरकार के सख्त दृष्टिकोण को रेखांकित किया.

शी के शासन में चीन ने इंटरनेट पर अपनी पकड़ को तेजी से कड़ा किया है. इसके पीछे उनकी चिंता युवा पीढ़ी पर अपने प्रभाव और नियंत्रण खोने की थी जो आज ऑनलाइन की हर विधा को इस्तेमाल करने में माहिर हैं. लाइवस्ट्रीमिंग से लेकर ब्लॉग तक. सिन्हुआ ने शी के हवाला देते हुए लिखा, "वेब की सुरक्षा के बिना कोई राष्ट्रीय सुरक्षा नहीं है, कोई आर्थिक और सामाजिक स्थिरता नहीं है, और व्यापक जनता के हितों को सुनिश्चित करना मुश्किल है."

सिन्हुआ ने लिखा," हम इंटरनेट को हानिकारक जानकारी प्रसारित करने, अफवाहों को बढ़ावा देने और परेशानी बढ़ाने का एक मंच बनने नहीं दे सकते हैं."

अब इंटरनेट पर नकेल कसने की तैयारी

पिछले साल से चीन की नियामक संस्थाएं, मीडिया सामग्री पर कठोर नियम लागू कर रही हैं. जिससे देश के कंटेंट डेवलेपर और वितरकों के बीच हलचल पैदा हो गई है. सभी परेशान हैं.

चीन इंटरनेट रेग्युलेशन और टेक्नोलॉजी में वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका निभाने के मौके तलाश रहा है. अमेरिका के साथ हथियारों की होड़ के साथ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी भिड़त की तैयारी है. अमेरिका ने इस सप्ताह के शुरूआत में चीनी दूरसंचार उपकरण निर्माता ZTE द्वारा बनाए गए पार्ट्स और सॉफ्टवेयर की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे चीनी फर्म के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान खड़ा हो गया है. ZTE अपने कई स्मार्टफोन में यू.एस. चिप्स का इस्तेमाल करता है.

ZTE मामले ने चीन में...

चीन को अपने व्यापक सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इंटरनेट पर अपनी पकड़ को मजबूत करना होगा. राज्य समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने शनिवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की टिप्पणियों का हवाला देते हुए ये रिपोर्ट प्रकाशित की है. इसके जरिए ऑनलाइन सामग्री के प्रति चीनी सरकार के सख्त दृष्टिकोण को रेखांकित किया.

शी के शासन में चीन ने इंटरनेट पर अपनी पकड़ को तेजी से कड़ा किया है. इसके पीछे उनकी चिंता युवा पीढ़ी पर अपने प्रभाव और नियंत्रण खोने की थी जो आज ऑनलाइन की हर विधा को इस्तेमाल करने में माहिर हैं. लाइवस्ट्रीमिंग से लेकर ब्लॉग तक. सिन्हुआ ने शी के हवाला देते हुए लिखा, "वेब की सुरक्षा के बिना कोई राष्ट्रीय सुरक्षा नहीं है, कोई आर्थिक और सामाजिक स्थिरता नहीं है, और व्यापक जनता के हितों को सुनिश्चित करना मुश्किल है."

सिन्हुआ ने लिखा," हम इंटरनेट को हानिकारक जानकारी प्रसारित करने, अफवाहों को बढ़ावा देने और परेशानी बढ़ाने का एक मंच बनने नहीं दे सकते हैं."

अब इंटरनेट पर नकेल कसने की तैयारी

पिछले साल से चीन की नियामक संस्थाएं, मीडिया सामग्री पर कठोर नियम लागू कर रही हैं. जिससे देश के कंटेंट डेवलेपर और वितरकों के बीच हलचल पैदा हो गई है. सभी परेशान हैं.

चीन इंटरनेट रेग्युलेशन और टेक्नोलॉजी में वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका निभाने के मौके तलाश रहा है. अमेरिका के साथ हथियारों की होड़ के साथ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी भिड़त की तैयारी है. अमेरिका ने इस सप्ताह के शुरूआत में चीनी दूरसंचार उपकरण निर्माता ZTE द्वारा बनाए गए पार्ट्स और सॉफ्टवेयर की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे चीनी फर्म के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान खड़ा हो गया है. ZTE अपने कई स्मार्टफोन में यू.एस. चिप्स का इस्तेमाल करता है.

ZTE मामले ने चीन में एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के मामले में "ताजा बहस को जन्म" दे दिया है. चिप्स जैसे महंगे टेक्नोलॉजी पर महारत हासिल करना उनके एक मजबूत राष्ट्र बनने के लिए "महत्वपूर्ण" था.

चीन के डिप्टी इंडस्ट्री मंत्री लुओ वेन ने कहा कि "चीन ने इलेक्ट्रिक वाहनों और विमानन जैसे क्षेत्रों में अग्रिम विनिर्माण में प्रगति की है. लेकिन फिर भी उच्च स्तरीय टैलेंट और वैश्विक स्तर की कमी के चलते इसे अभी भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है."

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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