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ना गोल्ड, ना ब्लैक गोल्ड, अब डेटा करेगा दुनिया पर बादशाहत

    • खुशदीप सहगल
    • Updated: 21 मार्च, 2018 09:28 PM
  • 21 मार्च, 2018 09:27 PM
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डेटा लीक प्रकरण की वजह से ही फेसबुक CEO मार्क जुकरबर्ग को एक दिन में 6.06 अरब डॉलर गंवाने पड़े. इस बीच, यूएस फेडरल ट्रेड कमिशन यह जांच कर रहा है कि क्या पर्सनल डेटा के इस्तेमाल को लेकर फेसबुक ने नियमों का उल्लंघन किया है?

अब ना गोल्ड और ना ही ब्लैक गोल्ड (पेट्रोल) दुनिया पर राज करेगा, नई ताकत है डेटा. जिसके पास डेटा की जितनी ज़्यादा ताकत होगी,  वो दुनिया का उतना ही बड़ा बादशाह होगा. अब बड़ा सवाल क्या डेटा के जरिए किसी देश में चुनावों को प्रभावित कर सरकारें बनाईं और बिगाड़ी भी जा सकती हैं?

व्हाट्सअप के को-फाउंडर ब्रायन एक्टन ने ऐसे ही नहीं कहा कि अब वक्त आ गया है फेसबुक डिलीट करने का. दरअसल, ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका पर आरोप है कि उसकी ओर से कथित तौर पर फेसबुक से लोगों के डेटा चोरी कर चुनावों में राजनीतिक दलों के फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. ये भी कहा जा रहा है कि इसी के जरिए 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को भी प्रभावित किया गया.

डेटा लीक प्रकरण की वजह से ही फेसबुक CEO मार्क जुकरबर्ग को एक दिन में 6.06 अरब डॉलर गंवाने पड़े. इस बीच, यूएस फेडरल ट्रेड कमिशन यह जांच कर रहा है कि क्या पर्सनल डेटा के इस्तेमाल को लेकर फेसबुक ने नियमों का उल्लंघन किया है? डेटा से छेड़छाड़ की संभावनाओं के बीच ही मार्क जुकरबर्ग को अमेरिका और ब्रिटेन संसदीय समिति की ओर से तलब किया जा चुका है.  

मार्क जुकरबर्ग को एक दिन में गंवाए 6.06 अरब डॉलर

डेटा लीक के तूफान ने भारतीय राजनीति के गलियारों को भी बुधवार को झिंझोड़ कर रख दिया. केंद्र की ओर से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस साफ करे कि कैम्ब्रिज एनालिटिका का राहुल गांधी के सोशल मीडिया प्रोफाइल से क्या संबंध है.

रविशंकर प्रसाद ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए यह भी कहा कि ऐसी भी खबरें आई हैं कि कैंब्रिज एनालिटिका के पूर्व सीईओ विपक्ष...

अब ना गोल्ड और ना ही ब्लैक गोल्ड (पेट्रोल) दुनिया पर राज करेगा, नई ताकत है डेटा. जिसके पास डेटा की जितनी ज़्यादा ताकत होगी,  वो दुनिया का उतना ही बड़ा बादशाह होगा. अब बड़ा सवाल क्या डेटा के जरिए किसी देश में चुनावों को प्रभावित कर सरकारें बनाईं और बिगाड़ी भी जा सकती हैं?

व्हाट्सअप के को-फाउंडर ब्रायन एक्टन ने ऐसे ही नहीं कहा कि अब वक्त आ गया है फेसबुक डिलीट करने का. दरअसल, ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका पर आरोप है कि उसकी ओर से कथित तौर पर फेसबुक से लोगों के डेटा चोरी कर चुनावों में राजनीतिक दलों के फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. ये भी कहा जा रहा है कि इसी के जरिए 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को भी प्रभावित किया गया.

डेटा लीक प्रकरण की वजह से ही फेसबुक CEO मार्क जुकरबर्ग को एक दिन में 6.06 अरब डॉलर गंवाने पड़े. इस बीच, यूएस फेडरल ट्रेड कमिशन यह जांच कर रहा है कि क्या पर्सनल डेटा के इस्तेमाल को लेकर फेसबुक ने नियमों का उल्लंघन किया है? डेटा से छेड़छाड़ की संभावनाओं के बीच ही मार्क जुकरबर्ग को अमेरिका और ब्रिटेन संसदीय समिति की ओर से तलब किया जा चुका है.  

मार्क जुकरबर्ग को एक दिन में गंवाए 6.06 अरब डॉलर

डेटा लीक के तूफान ने भारतीय राजनीति के गलियारों को भी बुधवार को झिंझोड़ कर रख दिया. केंद्र की ओर से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस साफ करे कि कैम्ब्रिज एनालिटिका का राहुल गांधी के सोशल मीडिया प्रोफाइल से क्या संबंध है.

रविशंकर प्रसाद ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए यह भी कहा कि ऐसी भी खबरें आई हैं कि कैंब्रिज एनालिटिका के पूर्व सीईओ विपक्ष के कई नेताओं से मिले थे और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति तैयार करने में उनकी मदद करने में लगे थे.

ये तो रहा सरकार और बीजेपी का पक्ष. लेकिन रविशंकर प्रसाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ ही देर बाद कांग्रेस ने पलटवार किया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि कैंब्रिज एनालिटिका से हमारा कोई लेना देना नहीं है. इसका इस्तेमाल तो दरअसल बीजेपी ने ही किया है. कांग्रेस का आरोप है कि 2010 बिहार विधानसभा चुनाव समेत चार राज्य चुनावों में इस कंपनी की सेवाएं ली गई थीं.

हालांकि इस मामले में भारत के राजनीतिक दल कैसे शीशे के घर में खड़े हैं, इसका खुलासा ब्रिटेन के चैनल 4 न्यूज़ ने किया है.  

चैनल 4 की रिपोर्ट के मुताबिक कैम्ब्रिज एनालिटिका की पेरेंट कंपनी स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशन्स लेबोरेट्रीज (SCL) है जिसने भारत, अर्जेन्टीना, केन्या, चेक रिपब्लिक, नाइजीरिया में 200 से ज्यादा चुनावों में काम किया है.

भारत में SCL की पार्टनरशिप ओवलेना बिजनेस इंटेलीजेंस (OBI) के साथ है. OBI ने अपनी वेबसाइट में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीयू को अपना ग्राहक बता रखा है. दरअसल, OBI और किसी की नहीं बल्कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी की कंपनी है. OBI में अमरीश त्यागी के साथ कैम्ब्रिज एनालिटिका के चीफ एक्जीक्यूटिव अलेक्जेंडर निक्स भी डायरेक्टर हैं. ये कंपनी गाजियाबाद में स्थित है.  

अमरीश त्यागी का कहना है कि चैनल 4 की स्टोरी के बारे में कोई भी सवाल कैम्ब्रिज एनालिटिका से ही पूछा जाना चाहिए. इस कंपनी से OBI का कोई जुड़ाव नहीं रहा है. OBI की भागीदारी SCL से है जो कैम्ब्रिज एनालिटिका की पेरेंट कंपनी है. त्यागी के मुताबिक OBI ने भारत में सोशल मीडिया या डिजिटल मीडिया के लिए कोई काम नहीं किया है. बल्कि इसकी जगह कंपनी ने कुछ राजनीतिक दलों के लिए जमीनी काम किया.

त्यागी के मुताबिक OBI ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 में बीजेपी के लिए बूथ प्रोफाइलिंग का काम किया. त्यागी के मुताबिक यूथ कांग्रेस चुनाव के लिए झारखंड में 2011 और 2012 में उनके संगठन ने सर्वे किए थे. जहां तक जेडीयू का सवाल है तो उस पर त्यागी का कहना है कि 2010 में इस पार्टी के लिए ग्राउंड रिसर्च की गई थी. त्यागी के मुताबिक उनका संगठन कभी भी किसी संदिग्ध गतिविधि में शामिल नहीं रहा.

बता दें कि बीते हफ्ते कैम्ब्रिज एनालिटिका के बारे में व्हिस्लब्लोअर की ओर से सनसनीखेज खुलासे किए गए थे. ये जानकारी thisisyourdigitallife एप्लीकेशन के जरिए सामने लाई गई. इस एप्लीकेशन को ग्लोबल साइंस रिसर्च ने बनाया है. कैम्ब्रिज एनालिटिका पर आरोप है कि उसने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2016 से पहले बिना आधिकारिक अनुमति के 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स की निजी जानकारियों के डेटा एकत्र किए थे. फिर इन डेटा का इस्तेमाल चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए हनी ट्रैप्स या घूस देने में किया गया हो सकता है.

जांच के दौरान अंडरकवर रिपोर्टर्स ने काल्पनिक क्लाइंट बनकर कैम्ब्रिज एनालिटिका के चीफ एक्जीक्यूटिव अलेक्जेंडर निक्स और कैम्ब्रिज एनालिटिका पॉलिटिकल ग्लोबल के मैनेजिंग डायरेक्टर मार्क टर्नबुल से मुलाकात की थी. निक्स और टर्नबुल दोनों ने इस दौरान शेखी बधारते हुए कहा था कि उन्होंने दुनिया भर में ऐसे कई कामयाब ऑपरेशन्स किए हैं. दोनों ने भारत का नाम भी लिया जहां वो सक्रिय रह चुके हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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