• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
टेक्नोलॉजी

Chandrayaan 2 मिशन का अब तक सफर उसकी कामयाबी की गारंटी है

    • आईचौक
    • Updated: 22 जुलाई, 2019 03:12 PM
  • 22 जुलाई, 2019 03:12 PM
offline
चंद्रयान-2 को लेकर सारा देश खासा उत्साहित है. इसे एक कामयाब प्रोजेक्ट माना जा रहा है जिसमें चंद्रमा को लेकर उन तमाम रहस्यों से पर्दा हटेगा जो अब तक छुपे हुए थे. लेकिन इस प्रोजेक्ट यहां तक पहुंचाने की कहानी किसी आश्‍चर्य से कम नहीं है.

आज भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के जरिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष में भारत की सफलता के नए आयाम स्थापित करने वाला है. मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि जहां एक तरफ इससे चंद्रमा में नई खोजों की सम्भावना बढ़ेगी. तो वहीं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी सम्पूर्ण विश्व के सामने भारत का कद बढ़ेगा. इसरो के बहुचर्चित प्रोजेक्ट मिशन चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) को लेकर 'बाहुबली' रॉकेट सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भर रहा है. माना जा रहा है कि मिशन पूरी तरह से कामयाब है और हमें चंद्रमा के बारे में ऐसा बहुत कुछ पता चलेगा जो अब तक रहस्य था.

लॉन्च के मद्देनजर न सिर्फ इसरो बल्कि सारा देश उत्साहित है. लॉन्च देखने के लिए देशभर से हजारों लोग श्री हरिकोटा पहुंचे हैं. इसरो के अधिकारियों के अनुसार, रॉकेट के प्रक्षेपण को देखने के लिए कुल 7,500 लोगों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है. इसरो ने हाल ही में लॉन्च को देखने के लिए आम जनता को अनुमति दी है. लोगों के लिए इसरो ने लगभग 10 हजार लोगों की क्षमता वाली एक गैलरी बनाई है.

चंद्रयान-2: क्‍या है पूरा मिशन

चंद्रयान-2 भारत का महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन है. इस मिशन में पहली दफा ऐसा हो रहा है जब भारत के वैज्ञानिक चंद्रमा की सतह पर कोई स्पेसक्राफ्ट उतार रहे हैं. चंद्रयान-2 मिशन के तहत भारत चंद्रमा के उस हिस्से में रोवर उतार रहा है जहां पर अभी तक किसी भी देश का कोई भी अंतरिक्ष यान नहीं उत्तरा है. वैज्ञानिक प्रोफेसर आरसी कपूर के मुताबिक भारत में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को अपनी खोजबीन का टारगेट बनाया है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा चंद्रमा पर उतरने वाले रोवर में खास तरीके के उपकरण लगाए गए हैं.

इन उपकरणों के जरिए चंद्रमा की सतह पर भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन किया जाएगा. साथ ही साथ चंद्रमा की सतह पर मौजूद मिट्टी में कौन-कौन से तत्व है इसका विश्लेषण भी किया जाएगा. चंद्रयान-2 चंद्रमा के तमाम ऐसे रहस्य से पर्दा हटाएगा जो अब तक अनसुलझे हैं....

आज भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के जरिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष में भारत की सफलता के नए आयाम स्थापित करने वाला है. मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि जहां एक तरफ इससे चंद्रमा में नई खोजों की सम्भावना बढ़ेगी. तो वहीं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी सम्पूर्ण विश्व के सामने भारत का कद बढ़ेगा. इसरो के बहुचर्चित प्रोजेक्ट मिशन चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) को लेकर 'बाहुबली' रॉकेट सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भर रहा है. माना जा रहा है कि मिशन पूरी तरह से कामयाब है और हमें चंद्रमा के बारे में ऐसा बहुत कुछ पता चलेगा जो अब तक रहस्य था.

लॉन्च के मद्देनजर न सिर्फ इसरो बल्कि सारा देश उत्साहित है. लॉन्च देखने के लिए देशभर से हजारों लोग श्री हरिकोटा पहुंचे हैं. इसरो के अधिकारियों के अनुसार, रॉकेट के प्रक्षेपण को देखने के लिए कुल 7,500 लोगों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है. इसरो ने हाल ही में लॉन्च को देखने के लिए आम जनता को अनुमति दी है. लोगों के लिए इसरो ने लगभग 10 हजार लोगों की क्षमता वाली एक गैलरी बनाई है.

चंद्रयान-2: क्‍या है पूरा मिशन

चंद्रयान-2 भारत का महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन है. इस मिशन में पहली दफा ऐसा हो रहा है जब भारत के वैज्ञानिक चंद्रमा की सतह पर कोई स्पेसक्राफ्ट उतार रहे हैं. चंद्रयान-2 मिशन के तहत भारत चंद्रमा के उस हिस्से में रोवर उतार रहा है जहां पर अभी तक किसी भी देश का कोई भी अंतरिक्ष यान नहीं उत्तरा है. वैज्ञानिक प्रोफेसर आरसी कपूर के मुताबिक भारत में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को अपनी खोजबीन का टारगेट बनाया है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा चंद्रमा पर उतरने वाले रोवर में खास तरीके के उपकरण लगाए गए हैं.

इन उपकरणों के जरिए चंद्रमा की सतह पर भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन किया जाएगा. साथ ही साथ चंद्रमा की सतह पर मौजूद मिट्टी में कौन-कौन से तत्व है इसका विश्लेषण भी किया जाएगा. चंद्रयान-2 चंद्रमा के तमाम ऐसे रहस्य से पर्दा हटाएगा जो अब तक अनसुलझे हैं. चंद्रयान 2 के लिए भारत जीएसएलवी मार्क 3 राकेट का इस्तेमाल कर रहा है. जिसमें क्रायोजेनिक तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है.

चंद्रयान-2 को इसरो और मोदी सरकार दोनों का ही एक बेहद महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट माना जा रहा है

चंद्रयान-2: कब उतरेगा चंद्रमा पर

चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के बाद यह मिशन अगले 23 दिनों तक धरती के इर्द-गिर्द चक्कर काटता रहेगा. इस दौरान इसरो के वैज्ञानिक इसकी कक्षा को बढ़ाते जाएंगे. चंद्रयान-2 को सबसे पहले एक अंडाकार कक्षा में स्थापित किया जाएगा. जिसकी धरती से सबसे नजदीकी दूरी 170 किलोमीटर होगी और सब से दूर की दूरी 39120 किलोमीटर होगी. धरती की अंडाकार कक्षा में स्थापित होने के बाद चंद्रयान-2 को बार-बार छोटे-छोटे रॉकेट लॉन्च कर कक्षा को बढ़ाया जाएगा यह प्रक्रिया 23 दिनों तक चलेगी.

लांचिंग के 23 वें दिन चंद्रयान2 को चंद्रमा की कक्षा में ट्रांसफर किया जाएगा. धरती से चंद्रमा की कक्षा में ट्रांसफर करने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाएगी उसमें 7 दिन लगेंगे यानी तीस दिन के बाद चंद्रयान 2 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा.  उसके बाद चंद्रयान 13 दिनों तक चंद्रमा के चारों तरफ घूमता रहेगा. लांचिंग के 43 वें दिन आर्बिटर से लैंडर को अलग किया जाएगा और 44 वें दिन लैंडर की एक बार फिर से जांच की जाएगी कि यह सही पोजीशन में है या नहीं.

चंद्रयान-2 लांच होते हुए इसरो एक नई मंजिल की ओर चल पड़ा है, और साथ ही भारत की उम्‍मीदें भी...

लांचिंग के 48 वें दिन यानी 8 सितंबर को लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा विक्रम लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद इसमें से प्रज्ञान रोवर को बाहर निकाला जाएगा. प्रज्ञान रोवर लैंडिंग की जगह से 500 मीटर के दायरे में घूमेगा. प्रज्ञान रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अगले 12 दिनों तक यानी 20 सितंबर तक तमाम वैज्ञानिक प्रयोग करेगा. इन वैज्ञानिक प्रयोगों में सबसे खास है चंद्रमा की सतह पर मौजूद मिट्टी को लेजर बीम के जरिए जलाना और उससे मिले स्पेक्ट्रम के जरिए यह पता लगाना कि चंद्रमा पर कौन-कौन से तत्व मौजूद हैं और कितनी कितनी मात्रा में मौजूद हैं.

इसके बाद एक दूसरा एक्सपेरिमेंट जिसके लिए प्रज्ञान रोवर को तैयार किया गया है वह है चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधियों का पता लगाना धरती की तरह चंद्रमा के अंदर भूकंप की हलचल होती है या नहीं इसका पता प्रज्ञान रोवर लगाएगा. प्रज्ञान रोवर से मिल रही जानकारियों को रेडियो फ्रिकवेंसी के जरिए विक्रम लैंडर को भेजा जाएगा विक्रम लैंडर इस जानकारी को चंद्रमा के चक्कर लगा रहे आर्बिटर को भेजेगा. आर्बिटर इस जानकारी को बेंगलुरु में डीप स्पेस सेंटर को भेजेगा जहां पर इसरो के वैज्ञानिक चंद्रमा की जानकारी का अध्ययन करेंगे.

चंद्रयान-2: कितनी लागत आई है

जून 2019 तक चंद्रयान-2 मिशन के लिए 978 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे. जिसमें से 603 करोड़ रुपए सिर्फ अंतरिक्ष सेग्‍मेंट के लिए थे. इसके अलावा 375 करोड़ रुपए मिशन को लांच करने की लागत के तौर पर दिए गए. जिससे चंद्रयान को प्र‍क्षेपित करने वाले GSLV Mk III रॉकेट का निर्माण हुआ. जिसे बाहुबली का नाम दिया गया है. यही रॉकेट चंद्रयान-2 को शुरुआत में पृथ्‍वी की कक्षा में कुछ दिनों के लिए स्‍थापित करेगा. चंद्रयान-2 कुछ दिनों तक पृथ्‍वी के आसपास चक्‍कर लगाएगा. कभी यह पृथ्‍वी के 170 किमी नजदीक होगा, तो कभी 40,400 किमी दूर. और इसके बाद फिर तय समय पर इसे चंद्रमा की ओर भेजा जाएगा.

चंद्रयान-2: कितना समय लगा इसे पूरा होने में

12 नवंबर 2007 को इसरो और रूसी स्‍पेस एजेंसी  Russian Federal Space Agency (Roscosmos) ने चंद्रयान-2 प्रोजेक्‍ट पर काम करने के लिए समझौता साइन किया. इस समझौते के तहत इसरो की जिम्‍मेदारी थी अंतरिक्ष यान और रोवर बनाने की, जबकि रूसी एजेंसी को लैंडर (चंद्रमा पर यान और रोवर को उतारने वाला व्‍हीकल) बनाने की.

18 सितंबर 2008 को तत्‍कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्‍यक्षता में भारत सरकार की कैबिनेट ने इस प्रोजेक्‍ट को मंजूरी दी. इसरो ने अपने हिस्‍से का काम तो समय पर पूरा कर दिया, लेकिन रूसी स्‍पेस एजेंसी अपना काम करने में नाकाम रही. 2015 में रूस ने जब पूरी तरह से हाथ खड़े कर दिए तो मोदी सरकार ने इस प्रोजेक्‍ट को पूरी तरह स्‍वदेशी बनाने की मंजूरी दे दी. सरकार के इस भरोसे पर इसरो के वैज्ञानिक रिकॉर्ड समय में खरे उतरे. और चंद्रयान-2 अपने मिशन पर है.

चंद्रयान-2: कौन हैं इस मिशन के इंचार्ज

वैसे तो इसरो के सभी मिशन एक जबर्दस्‍त टीमवर्क का नतीजा रहे हैं. लेकिन चंद्रयान-2 मिशन कई मायनों में खास है. इस मिशन की कमान दो महिलाओं को सौंपी गई है. प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर हैं एम वनीता. और मिशन डायरेक्‍टर हैं रितु करिदल.इसरो चेयरमैन के सिवन कहतेहैं कि वैसे तो कई बार इसरो की महिला वैज्ञानिकों ने अपने काम का लोहा मनवाया है. और वे कई बार सैटेलाइट प्रोग्राम की डायरेक्‍टर रही हैं, लेकिन यह तीसरा मौका है जब इसरो अंतरिक्ष के बाहर मिशन को अंजाम देने जा रहा है. इससे पहले चंद्रयान-1 और मंगल मिशन इसरो की उपलब्धि रहे हैं. और इन मिशन पर महिला वैज्ञानिकों ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी. चंद्रयान-2 मिशन पर महिलाओं को जो जिम्‍मेदारी सौंपी गई है, वह उनकी योग्‍यता के आधार पर है. इस मिशन की 30 फीसदी टीम महिलाओं से बनी है.

ये भी पढ़ें -

चंद्रयान-2 मिशन की कामयाबी मनुष्य जाति को बहुमूल्य सौगात देने जा रही है

चंद्रयान-2 लॉन्च टला लेकिन 6 सबक दे गया

मानव अंतरिक्ष मिशन की ओर इसरो की जोरदार छलांग


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    मेटा का ट्विटर किलर माइक्रो ब्लॉगिंग एप 'Threads' आ गया...
  • offline
    क्या Chat GPT करोड़ों नौकरियों के लिये खतरा पैदा कर सकता है?
  • offline
    Google Bard है ही इतना भव्य ChatGPT को बुरी तरह से पिछड़ना ही था
  • offline
    संभल कर रहें, धोखे ही धोखे हैं डिजिटल वर्ल्ड में...
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲