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बाबा रामदेव के Kimbho app से फर्जीवाड़ा करने वालों की चांदी हो गई !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 04 जून, 2018 07:15 PM
  • 04 जून, 2018 07:15 PM
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भले ही बाबा रामदेव की चालाकी उनके काम न आई हो, लेकिन अब किम्भो का नाम इस्तेमाल करके बहुत से लोगों ने इस नाम को पैसे कमाने का जरिया बना लिया है.

हाल ही में बाबा रामदेव ने किम्भो नाम का एक ऐप लॉन्च किया था. कहा जा रहा था कि यह ऐप वाट्सऐप को टक्कर देगा, लेकिन सुरक्षा से जुड़े कुछ मामलों को लेकर इसे गूगल प्ले से हटा दिया गया. बाद में पता चला कि इस ऐप को तो बाबा रामदेव ने एक विदेशी ऐप से ही कॉपी पेस्ट किया है, जिससे काफी थू-थू भी हुई. जहां एक ओर फर्जी ऐप लॉन्च करने को लेकर पतंजलि और बाबा रामदेव की आलोचना हो रही है, लोग भला-बुरा कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह के कई फर्जी ऐप और तैयार हो गए हैं. बाबा का दाव भले ही फेल हो गया और ऐप को हटाना पड़ा, लेकिन इसका नाम किम्भो इस्तेमाल करते हुए कुछ लोगों ने कई फर्जी ऐप लॉन्च कर दिए हैं और खूब कमाई भी कर रहे हैं.

ये हैं वो फर्जी ऐप

इस समय गूगल प्ले पर किम्भो के बहुत से फर्जी ऐप हैं. किसी को स्वदेशी नाम दिया है, तो किसी को मैसेजिंग और कॉलिंग का नाम दिया है. गूगल प्ले पर ऐसे 20 से भी अधिक ऐप हैं जो किम्भो का नाम इस्तेमाल करते हुए फर्जी तरीके से बनाए गए हैं. इनमें से कोई भी ऐप पतंजलि की तरफ से जारी नहीं किया गया है. यानी देखा जाए तो सिर्फ फर्जी ऐप के दम पर ही कुछ लोग पैसा कमा रहे हैं. भले ही बाबा रामदेव की चालाकी उनके काम न आई हो, लेकिन अब किम्भो का नाम इस्तेमाल करके बहुत से लोगों ने इस नाम को पैसे कमाने का जरिया बना लिया है.

किम्भो नाम इस्तेमाल करते हुए कुछ लोगों ने कई फर्जी ऐप लॉन्च कर दिए हैं.

कैसे हो रही है कमाई?

ये फर्जी ऐप 30 मई के बाद से गूगल ऐप पर लिस्ट हुए हैं. इनमें से अधिकतर के 1000 से भी अधिक डाउनलोड हो चुके हैं. अब अंदाजा लगाइए कि अगर हफ्ते भर से भी कम में लोगों ने इन ऐप को इतना डाउनलोड कर लिया है तो आने वाले कुछ दिनों में या हो सकता है महीनों तक लोग इन ऐप को डाउनलोड करते रहें. हर ऐप...

हाल ही में बाबा रामदेव ने किम्भो नाम का एक ऐप लॉन्च किया था. कहा जा रहा था कि यह ऐप वाट्सऐप को टक्कर देगा, लेकिन सुरक्षा से जुड़े कुछ मामलों को लेकर इसे गूगल प्ले से हटा दिया गया. बाद में पता चला कि इस ऐप को तो बाबा रामदेव ने एक विदेशी ऐप से ही कॉपी पेस्ट किया है, जिससे काफी थू-थू भी हुई. जहां एक ओर फर्जी ऐप लॉन्च करने को लेकर पतंजलि और बाबा रामदेव की आलोचना हो रही है, लोग भला-बुरा कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह के कई फर्जी ऐप और तैयार हो गए हैं. बाबा का दाव भले ही फेल हो गया और ऐप को हटाना पड़ा, लेकिन इसका नाम किम्भो इस्तेमाल करते हुए कुछ लोगों ने कई फर्जी ऐप लॉन्च कर दिए हैं और खूब कमाई भी कर रहे हैं.

ये हैं वो फर्जी ऐप

इस समय गूगल प्ले पर किम्भो के बहुत से फर्जी ऐप हैं. किसी को स्वदेशी नाम दिया है, तो किसी को मैसेजिंग और कॉलिंग का नाम दिया है. गूगल प्ले पर ऐसे 20 से भी अधिक ऐप हैं जो किम्भो का नाम इस्तेमाल करते हुए फर्जी तरीके से बनाए गए हैं. इनमें से कोई भी ऐप पतंजलि की तरफ से जारी नहीं किया गया है. यानी देखा जाए तो सिर्फ फर्जी ऐप के दम पर ही कुछ लोग पैसा कमा रहे हैं. भले ही बाबा रामदेव की चालाकी उनके काम न आई हो, लेकिन अब किम्भो का नाम इस्तेमाल करके बहुत से लोगों ने इस नाम को पैसे कमाने का जरिया बना लिया है.

किम्भो नाम इस्तेमाल करते हुए कुछ लोगों ने कई फर्जी ऐप लॉन्च कर दिए हैं.

कैसे हो रही है कमाई?

ये फर्जी ऐप 30 मई के बाद से गूगल ऐप पर लिस्ट हुए हैं. इनमें से अधिकतर के 1000 से भी अधिक डाउनलोड हो चुके हैं. अब अंदाजा लगाइए कि अगर हफ्ते भर से भी कम में लोगों ने इन ऐप को इतना डाउनलोड कर लिया है तो आने वाले कुछ दिनों में या हो सकता है महीनों तक लोग इन ऐप को डाउनलोड करते रहें. हर ऐप विज्ञापन के जरिए पैसे कमाता है और जितने अधिक लोग इन ऐप्स को डाउनलोड करेंगे, उतनी ही कमाई करेंगे.

किम्भो ऐप में कॉपी-पेस्ट का क्या मामला है?

आपको बताते चलें कि 'वाट्स अप' यानी 'क्या हो रहा है' को संस्कृत में किम्भो कहा जाता है. वाट्सऐप को टक्कर देने के लिए बाबा रामदेव जो ऐप लाए, उसका नाम भी वाट्सऐप से चुराया. बस नकल करने के चक्कर में ही बाबा रामदेव का ये दाव उल्टा पड़ गया. दरअसल, कहा जा रहा है कि ये ऐप BOLO मैसेंजर ऐप का कॉपी-पेस्ट जैसा वर्जन था. ऐप का डिस्क्रिप्शन और फोटो तक BOLO ऐप का था. इतना ही नहीं, इस ऐप के लिए जो ओटीपी सिस्टम इस्तेमाल किया गया, वह भी BOLO ऐप का ही था. पतंजलि के प्रवक्ता तिजारावाला ने तो इसे लेकर ट्वीट भी कर दिया.

पतंजलि के प्रवक्ता तिजारावाला ने तो इसे लेकर ट्वीट भी कर दिया.

इस समय पतंजलि का किम्भो ऐप गूगल प्ले स्टोर पर तो नहीं है, लेकिन इसकी चर्चा हर ओर हो रही है. कुछ लोग इसे स्वदेशी ऐप की तरह देखते हुए तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसे बाबा का बिजनेस एक्सपेंशन भी कह रहे हैं. खैर, फेसबुक के विवादों में फंसने के बीच बाबा रामदेव के पास एक स्वदेशी ऐप लॉन्च करने का मौका भी था और उन्हें ऐप लॉन्च भी किया, लेकिन स्वदेशी के नाम पर फर्जीवाड़ा कर बैठे और एक बड़ा मौका गंवा दिया.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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